as per ABP :
नई दिल्ली : किसी भी बीमारी या शरीर में किसी तरह तकलीफ होने पर प्राय: उसकी जांच के लिए डॉक्टर एक्स-रे और सीटी स्कैन कराने की सलाह देते हैं, लेकिन बच्चों के लिए इस तरह की जांच भविष्य में खुद बीमारी की वजह बन सकती है, क्योंकि इन जांचों के रेडियेशन से नुकसान पहुंचता है. खासकर बच्चों में जिनकी हड्डियां और कोशिकाएं कोमल होती हैं. (21:56)
महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा प्रो. डॉ. वीएन त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों में जिनकी हड्डियां और कोशिकाएं कोमल होती है, उन पर ऐसी जांचों का असर ज्यादा पड़ता है. जितना छोटा बच्चा हो उसके लिए रेडियोएक्टिव की मात्रा उतनी कम होनी चाहिए पर प्राय: टेक्निशियन ऐसा नहीं करते हैं. वह एक ही रेट पर ज्यादातर सभी का एक्स-रे और सीटी स्कैन कर देते हैं. ऐसे में बच्चा जरूरत से ज्यादा मात्रा में रेडियोएक्टिव किरणों के सम्पर्क में आ सकता है.
उन्होंने बताया कि कुछ वर्षो पूर्व तक फेफड़े की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड अच्छा नहीं माना जाता था. मरीजों का एक्स-रे कराया जाता था. लेकिन अब इसके स्थान पर अल्ट्रासाउंड जांच करायी जाती है. रेडियोएक्टिव किरणें जब भी हमारे शरीर की कोशिकाओं के सम्पर्क में आती हैं तो इसमें कई तरह के बदलाव आते हैं.
उन्हांेने बताया कि रेडियोएक्टिव किरणों के ज्यादा सम्पर्क से त्वचा और खून के कैंसर की सम्भावना का खतरा बढ़ता है. बच्चों में कई जांच ऐसी होती हैं जिसमें एक्स-रे और सीटी स्कैन की जगह अल्ट्रासाउंड से जांच की जा सकती है. अत: चिकित्सक से परामर्श के अनुसार शरीर के अंदुरूनी अंगों की जांच के लिए एक्स-रे व सीटी स्कैन की जगह अल्ट्रसाउंड की जांच को प्राथमिकता दें.
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