नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने आज 'मन की बात' में कानपुर की महिला नूरजहां की कहानी सुनाई जिसने सौर ऊर्जा के त्रेत्र में अहम काम किया है. नूरजहां सोलर ऊर्जा का उपयोग करते हुए गरीबों को रोशनी देने का काम कर रही हैं. आज के ही अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर के जावेद अहमद नाम के व्यक्ति के बारे में बताया. जावेद अहमद को आतंकवादियों ने 1996 में गोली मार दी थी. आतंकवादियों की गोलियों के कारण जावेद ने किडनी गंवा दी. Intestine और आँत का एक हिस्सा खो दिया. शरीर साथ नहीं देता है लेकिन 20 साल से जावेद मजलूम बच्चों की पढ़ाई में डूबे हुए हैं.
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हाल ही में नरेंद्र मोदी ने लंदन के वैम्बली स्टेडियम में हुए कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के अलवर के इमरान की कामयाबी की कहानी सुनाई थी. इमरान वो शख्स हैं जिन्होंने एक छोटे शहर में रहते हुए जरूरतमंद छात्रों की पढ़ाई के लिए 50 एप तैयार किया है. क्या ये महज इत्तफाक है कि नरेंद्र मोदी एक समुदाय विशेष के लोगों की कामयाबी सुना रहे हैं?
पिछले काफी समय से हमारे देश के समुदाय विशेष के बीच एक 'सेंस ऑफ विक्टिमहुड' की धारणा विकसित हुई है. बड़ी तादाद में ऐसे लोग मिल जाएंगे जिन्हें लगता है कि किसी खास वजह से उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया है. इस स्थिति की जायज वजहें भी हो सकती हैं और नहीं भी हो सकती है. इस पर अलग से विस्तार से बहस की जा सकती है पर इस समय ये चर्चा का विषय नहीं है. जब दुनियाभर में धार्मिक आधार पर एक किस्म का सिनिसिज्म हो. निराशा हो. नकारात्मकता का बोलबाला हो. ऐसे हालात से निकलने का सबसे अच्छा रास्ता क्या हो सकता है? सबसे अच्छा रास्ता यही हो सकता है कि हम इमरान, जावेद और नूरजहां सरीखे अनगिनत लोगों की कहानी दुनिया को दिखाएं और सुनाएं.
प्रधानमंत्री जिस सोच के साथ समाज में या समाज विशेष के बीच सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं उसकी कामयाबी इस बात पर निर्भर करेगी कि कितनी सख्ती से वो अपनी पार्टी के 'गोरखपुरी बाबा', 'सोम-रस बाबा' या 'ज्योति देवी' या फिर 'कुसंस्कृति मंत्री' जैसों की हरकतों और उनकी जुबान पर रोक लगाते हैं. अगर प्रधानमंत्री ऐसा कर पाने में नाकाम होंगे तो सकात्मकता बनाने की उनकी सारी कोशिश किसी बयान बहादुर के एक जहरीले बयान से तुरत हवा हो जाएगी.
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