नई दिल्लीः पहले सिर्फ आशंकाएं जताई जाती थी फिर ये आशंकाएं डर बनने लगीं और अब तो तबाही के सुबूत भी सामने आ चुके हैं. दुनिया ये जान चुकी है कि धरती के बढ़ते तापमान को तुरंत नहीं रोका गया तो धीरे-धीरे सब तहस-नहस हो जाएगा. धरती की सूरत को बिगाड़ने के लिए 2 डिग्री सेल्सियस तापमान ही काफी है. और इसी 2 डिग्री सेल्सियस को रोकने के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस में महासम्मेलन हो रहा है.
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ताकि फिर से साल 2005 की तरह मुंबई शहर बारिश के पानी में ना डूब जाए. ताकि फिर से कुछ घंटों की बारिश सैकड़ों लोगों की जान ना ले ले. पेरिस में हो रहा ये सम्मेलन उत्तराखंड के केदारनाथ जैसी तबाही को रोकने के लिए है. ये दुनिया मिलकर कोशिश करने जा रही है कि तबाही के ऐसे सैलाब फिर किसी का आशियाना ना उजाड़े. लेह में फिर बादल ना फटे और आफत की एक बारिश फिर से धरती के स्वर्ग जम्मू-कश्मीर की सूरत ना बिगाड़ दे.
तबाही की ये कहानियां और तस्वीरें सिर्फ भारत की हैं. दुनिया के अलग-अलग हिस्से धरती के बढ़ते तापमान में कुछ ऐसी ही बर्बादी मचाई है.
फ्रांस की राजधानी पेरिस में करीब 190 से ज्यादा देश मिलकर इस बात पर चर्चा करेंगे कि धरती के बढ़ते तापमान को कैसे रोका जाए. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत दुनिया भर के प्रतिनिधि मौजूद होंगे. जलवायु परिवर्तन पर हो रहा COP21 सम्मेलन 30 नवंबर को शुरू होकर 11 दिसंबर तक चलेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस जाने से पहले मन की बात कार्यक्रम में देश के लोगों से ऊर्जा बचाने की अपील करते हुए कहा कि धरती का तापमान ना बढ़े इसकी जिम्मेदारी हम सब की है. पेरिस में दुनिया भर से करीब 50 हजार लोग जुटने वाले हैं लेकिन धरती का बढ़ता तापमान रोका कैसे जाएगा ये भी जान लीजिए.
कार्बन उत्सर्जन यानि ,कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस के जलने से निकलने वाला धुआं जिसमें कार्बन मौजूद होता है. इस धुएं की वजह से वायुमंडल में एक मोटी परत बनती जा रही है जो साल दर साल जितनी मोटी हो रही है धरती उतनी ही ज्यादा गर्म हो रही है.
बढ़ता तापमान दुनिया के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि जिस रफ्तार से सभी देश मिलकर कार्बन का उत्सर्जन कर रहे हैं उससे 2030 तक यानि अगले 15 सालों के भीतर धरती का तापमान 2 डिग्री से बहुत ज्यादा हो जाएगा. सम्मेलन का उद्देश्य ये है कि धरती का तापमान 2 डिग्री से ज्यादा ना बढ़े.
फिलहाल धरती का मौजूदा तापमान 15.5 डिग्री सेल्सियस है मतलब इसे 17.5 से आगे नहीं बढने देना है.
वक्त कम है और कार्बन उत्सर्जन ज्यादा है. कार्बन उत्सर्जन के मामले में चौथे नंबर पर होने के बावजूद भारत ने इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए ना सिर्फ चिंता बताई है बल्कि उत्सर्जन कम करने का प्लान भी पेश कर दिया है. लेकिन सम्मेलन की शुरुआत से पहले ही अमेरिका ने भारत के रुख को सहमति के लिए चुनौती बता दिया है. जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया है.
सम्मेलन की शुरुआत से पहले अमेरिका का ये रुख सावधान करने वाला है ताकि भारत किसी दबाव में आकर अपने कार्बन बजट के हिस्से से कोई समझौता ना कर लें.
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