पेरिस/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज यहां पहुंच गए. इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने के मकसद से विभिन्न देशों के बीच एक कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक समझौता होने की उम्मीद है. इस 21वें जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में आज पीएम मोदी देश को संबोधित करेंगे.
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पीएम मोदी आज शाम पेरिस के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जो भाषण देंगे वो सिर्फ तीन मिनट का होगा.
पेरिस में आज से शुरू हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत समेत 190 देशों के नेता हिस्सा ले रहे हैं. 11 दिसंबर तक चलेगा सम्मेलन.
पेरिस सम्मेलन में धरती के बढ़ते तापमान को रोकने के उपायों पर चर्चा होगी. इसके लिए कार्बन उत्सर्जन की सीमा तय करने की कोशिश भी की जाएगी.
फ्रांस जाने से पहले मन की बात में बोले पीएम मोदी, कहा- हम सब की जिम्मेदारी है कि धरती का तापमान नहीं बढ़ना चाहिए.
पीएम मोदी बीते दिन ही सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे. जिसके बाद मोदी के फ्रांसीसी राजधानी पहुंचने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘‘ सलाम पेरिस . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कॉप 21 में भाग लेने के लिए फ्रांस पहुंच गए हैं .’’ प्रधानमंत्री कल जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में भारतीय पैवेलियन का उद्घाटन करेंगे.
वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ कल संयुक्त रूप से भारत द्वारा पेश इंटरनेशनल सोलर एलायंस का भी उद्घाटन करेंगे .
इस महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में मोदी करीब 150 राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और राष्ट्राध्यक्षों के साथ शामिल होंगे .
मोदी ने पेरिस रवाना होने से पूर्व नई दिल्ली में अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम का उपयोग भी यह कहने में किया कि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित है.
उन्होंने कहा, ‘‘इस पर हर जगह चर्चा है और चिंता जताई जा रही है..अब पृथ्वी का तापमान नहीं बढ़ना चाहिए. यह सभी की जिम्मेदारी और चिंता है.’’
सभी पर जिम्मेदारी डालने वाली प्रधानमंत्री मोदी की बात इसलिए काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि विकसित देश जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष की अधिक जिम्मेदारी भारत जैसे विकासशील देशों पर डालने की कोशिश कर रहे हैं . जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत का कहना है कि विकसित देश सदियों से बड़े प्रदूषक हैं और उन्हें विकासशील देशों को कोष मुहैया कर और कम कीमत पर प्रौद्योगिकी उपलब्ध करा कर ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में व्यापक भूमिका निभानी चाहिए.
चुनिंदा देशों के समूह में शामिल होते हुए भारत ने कहा है कि वह राष्ट्रमंडल में कमजोर देशों को स्वच्छ उर्जा लागू करने और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करने के लिए उन्हें 25 लाख डालर की मदद मुहैया कराएगा.
30 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच हो रहा पेरिस जलवायु सम्मेलन का लक्ष्य पिछले 20 से भी अधिक साल में पहली बार जलवायु पर एक कानूनी बाध्यकारी और सार्वभौम समझौता करना है. साथ ही इसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है.
सम्मेलन में करीब 50 हजार प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है जिसमें करीब 25 हजार सरकारी प्रतिनिधिमंडल , अंतर सरकारी संगठन , संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों , एनजीओ और सिविल सोसायटी के सदस्य होंगे.
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