फिर आज असहनशीलता पर इतना शोर क्यों?....................online updates by police prahari news

नई दिल्लीः कांग्रेस के बड़े नेता और यूपीए सरकार में गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम ने कबूल किया है कि राजीव गांधी सरकार में सलमान रूश्दी की चर्चित किताब द सैटेनिक वर्सेज पर बैन लगाना गलती थी. सवाल ये है कि जब सत्ताइस साल पहले भी असहनशीलता की वजह से एक किताब पर बैन लगा दिया गया तो अब असहनशीलता पर इतना शोर क्यों?

as per ABP :

चिदंबरम ने कहा, ''मुझे ये कहने ने भी जरा भी हिचक नहीं है कि सलमान रुश्दी की किताब पर बैन लगाना एक भूल थी''

रुश्दी की किताब सैटेनिक वर्सेज में इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की आलोचना थी. अक्टूबर 1988 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने इस पर बैन लगाया था. उस वक्त चिदंबरम राजीव गांधी सरकार में गृह राज्य मंत्री थे. कांग्रेस राजीव गांधी सरकार के फैसले का बचाव कर रही है और कह रही है कि चिदंबरम चाहते तो गृह मंत्री रहते बैन हटा सकते थे.
यूपीए सरकार में चिदंबरम गृह मंत्री भी बने थे.चिदंबरम के गलती कबूलने के बाद सलमान रश्दी ने ट्विट करके कहा-  इस बात को कबूलने में 27 साल लग गए. इस 'गलती' को सुधारने में कितना वक्त लगेगा ?

चिदंबरम के कबूलनामे के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है.
अब एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा है कि क्या चिदबंरम बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाने और मलियाना, हाशिमपुरा हत्याकांड पर भी अफसोस जताएंगे.. उम्मीद है उनको ये भी याद होगा.

चिदंबरम का ये बयान ऐसा वक्त आया है जब देश में बिगड़े माहौल पर बहस छिड़ी हुई है. बैन कल्चर को लेकर मोदी सरकार भी घिरती रही है लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता के गलती मानने के बाद बड़ा सवाल ये है कि जब 27 साल पहले भी देश में असहनशीलता थी तो अब इस पर हंगामा क्यों ?
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