As per ABP : गुजरात में पाटीदार समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर पिछले तीन महीने से आंदोलन चला रहे हार्दिक पटेल पर अब देशद्रोह का मामला दर्ज गया है. ये मामला उस भड़काउ बयान को लेकर दर्ज हुआ है, जो इसी तीन अक्टूबर को हार्दिक पटेल ने सूरत में दिया था. ऐसे में अब लगातार विवादित बयान देने वाले हार्दिक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
दरअसल, हार्दिक ने विपुल देसाई नामक एक युवक से मुलाकात के दौरान ये बयान दिया था. दरअसल विपुल ने आरक्षण की मांग को लेकर आत्महत्या की धमकी दी थी. हार्दिक ने विपुल से कहा था कि अगर कुछ करना ही चाहते हो, दो-पांच पुलिसवालों को मारो, किसी पाटीदार युवक को मरना नहीं चाहिए.
हार्दिक के इसी बयान को लेकर सूरत पुलिस ने आरंभिक जांच-पड़ताल की. डीसीपी रैंक के एक अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर बीती रात सूरत शहर के अमरोली पुलिस थाने में हार्दिक पटेल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. हार्दिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 124 ए, 153 ए, 505, 506 और 115 लगाई गई हैं.
ये धाराएं देशद्रोह से लेकर जातीय संघर्ष को पैदा करने, सुरक्षाबलों के खिलाफ लोगों को भड़काने और जान से मारने की धमकी से जुड़ी हैं. सूरत पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने हार्दिक के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने की पुष्टि की है. अस्थाना के मुताबिक, जांच का जिम्मा सूरत पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपा गया है.
हालांकि सूरत का ये अकेला मामला नहीं है, जो हार्दिक की कानूनी मोर्च पर मुसीबत बढ़ा सकता है. राजकोट में भी हार्दिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. कल हुए भारत-दक्षिण अफ्रीका एकदिवसीय क्रिकेट मैच में विघ्न डालने की हार्दिक ने हफ्ते भर पहले से घोषणा कर रखी थी. हार्दिक को राजकोट पुलिस ने अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होने दिया और स्टेडियम के काफी पहले ही हिरासत में ले लिया.
जिस वक्त हार्दिक को हिरासत में लिया गया, उस वक्त हार्दिक ने राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा को उल्टा फहराया. ऐसे में हार्दिक के खिलाफ राजकोट ग्रामीण जिले की पुलिस ने पड़धरी थाने में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला दर्ज किया. हार्दिक, अगस्त महीने में गुजरात के सूरत और अहमदाबाद शहर में बड़ी रैलियां कर चर्चा में आए.
22 साल के हार्दिक पटेल ने हाल में ऐसे कई बयान दिये हैं, जो भडकाऊ और गैर जिम्मेदाराना हैं. यहां तक कि गुजरात हाईकोर्ट ने भी हाल ही में हार्दिक पटेल के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है. दरअसल हार्दिक ने गुजरात पुलिस पर ये झूठा आरोप लगाने की कोशिश की थी कि 22 सितंबर की शाम अरवल्ली जिले में उनकी सभा के बाद पुलिस ने रात भर उनको गाड़ी में बिठाकर रखा था और धमकी दी थी.
इसी मामले में हार्दिक के वकील ने गुजरात हाईकोर्ट में हैबियस कार्पस भी की थी और हाईकोर्ट ने रात में ही इस मामले में सुनवाई भी की. बाद में पता ये चला कि पूरी कहानी मनगढ़ंत है और हार्दिक व उनके वकील मीडिया में सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे हैं. इस पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने हार्दिक और उनके वकील को लताड़ लगाई थी.
हार्दिक के हाल के बयान और दावे भी खोखले साबित हुए हैं. मसलन किसी कीमत पर दांडी से अहमदाबाद तक कूच करना या फिर राजकोट में मैच के दौरान हजारों समर्थकों के साथ हंगामा मचा देना. यहां तक कि पाटीदार समुदाय में भी हार्दिक के खिलाफ आवाज उठने लगी है और कहा जा रहा है कि हार्दिक के बयानों से जातीय उन्माद भड़क रहा है, जिससे अंत में पाटीदारों को ही नुकसान होगा.
हालांकि सुर्खियों में रहने की आदत से मजबूर हार्दिक हर दूसरे दिन कोई न कोई शगूफा छोड़ते रहते हैं. मसलन बिहार में जाकर बीजेपी के खिलाफ कैंपेन करने की बात या फिर पाटीदारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन खड़ा करने का दावा. लेकिन, अब हार्दिक के लिए परेशानियां बढ़ने की शुरुआत हो गई है.
जिस तरह से कानूनी स्तर पर हार्दिक की मुश्कें कसने जा रही हैं, उससे साफ है कि गुजरात सरकार और पुलिस ने तय कर लिया है कि अब हार्दिक पटेल को उनकी जगह दिखा ही दी जाए. ये सरकार और पुलिस के उस रवैये से बिल्कुल उलट है, जब 25 अगस्त को अहमदाबाद में रैली के बाद भड़की हिंसा में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचने और इस संबंध में हार्दिक के भड़काऊ बयानों के बावजूद उस समय कोई कार्रवाई नहीं की गई. हो सकता है इस बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाएं हार्दिक.
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