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- भगवान कृष्ण के जन्माष्टमी की रावल गांव में जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं।
- मान्यता है कि ये वहीं गांव है, जहां राधारानी का जन्म हुआ था।
- रावल गांव में राधारानी का मंदिर है। यहां 5 हजार साल पहले यमुना बहती थी।
- राधारानी मंदिर के सेवायत पंडित ललित मोहन कल्ला बताते हैं, शास्त्रों के अनुसार कृति जी (राधा की मां) यमुना में स्नान करते हुए मन्नत मांगती थीं कि उन्हें एक बेटी हो।
- एक दिन पूजा करते समय यमुना जी से कमल का फूल निकला। फूल से रोशनी निकल रही थी।
- यह सोने सा चमक रहा था। नजदीक आकर देखा तो कमल का फूल खिल गया। इसमें एक छोटी बच्ची थी, जिसकी आंखे बंद थीं।
- मथुरा में कंस की जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ और वह रातों-रात गोकुल में नंदबाबा के घर पहुंचा दिए गए।
- उस समय नंद बाबा ने सभी जगह संदेश भेजा और कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया।
- एक दिन वृषभान बालकृष्ण को लेकर राधारानी के घर पहुंचे।
- बालकृष्ण का नाम सुनते ही राधारानी गोद से उतरकर घुटने के बल चलते हुए बालकृष्ण के पास पहुंची और जन्म के बाद पहली बार अपनी आंख खोली।
- पंडित ललित मोहन बताते हैं, उस समय कंस का प्रकोप गोकुल में था। जनता उससे डरती थी।
- नंदबाबा ने कई राजाओं को इकट्ठा किया। बृज के सबसे बड़े राजा वृषभान भी इसमें शामिल थे।
- बैठक हुई और कंस के डर से सभी लोग पलायन करके पहाड़ी पर चले गए, कृति जी और राधारानी भी पहाड़ी पर चले गए, जब से वहां का नाम बरसाना पड़ा।
- रावल गांव में अभी भी बगीचा है, जिसका नाम राधा-कृष्ण बगीचा है। यहां दो पेड़ हैं। एक श्वेत है और दूसरा श्याम रंग का।
- माना जाता है कि राधा-कृष्ण यहीं पर बैठकर यमुना को निहारते हैं।
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मथुरा. भगवान कृष्ण उम्र में राधा से साढ़े 11 महीने छोटे थे।
कृष्ण जन्माष्टमी से पहले ही राधारानी ने जन्म ले लिया था, लेकिन जब
तक भगवान कृष्ण के दर्शन नहीं हुए तब तक उन्होंने आंखें बंद रखीं। आम तौर
पर लोग जानते हैं कि राधा रानी बरसाना की थीं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही
है। dainikbhaskar.com आपको राधा कृष्ण से जुड़े ऐसे ही इंट्रेस्टिंग
किस्सों के बारे में बताने जा रहा है।
कमल के फूल में हुआ था राधा का जन्म
- भगवान कृष्ण के जन्माष्टमी की रावल गांव में जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं।
- मान्यता है कि ये वहीं गांव है, जहां राधारानी का जन्म हुआ था।
- रावल गांव में राधारानी का मंदिर है। यहां 5 हजार साल पहले यमुना बहती थी।
- राधारानी मंदिर के सेवायत पंडित ललित मोहन कल्ला बताते हैं, शास्त्रों के अनुसार कृति जी (राधा की मां) यमुना में स्नान करते हुए मन्नत मांगती थीं कि उन्हें एक बेटी हो।
- एक दिन पूजा करते समय यमुना जी से कमल का फूल निकला। फूल से रोशनी निकल रही थी।
- यह सोने सा चमक रहा था। नजदीक आकर देखा तो कमल का फूल खिल गया। इसमें एक छोटी बच्ची थी, जिसकी आंखे बंद थीं।
साढ़े 11 महीने तक बंद रही थीं राधारानी की आंख
- शास्त्रों के अनुसार, साढ़े 11 महीने तक राधाजी के आंख बंद रहे। - मथुरा में कंस की जेल में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ और वह रातों-रात गोकुल में नंदबाबा के घर पहुंचा दिए गए।
- उस समय नंद बाबा ने सभी जगह संदेश भेजा और कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया।
- एक दिन वृषभान बालकृष्ण को लेकर राधारानी के घर पहुंचे।
- बालकृष्ण का नाम सुनते ही राधारानी गोद से उतरकर घुटने के बल चलते हुए बालकृष्ण के पास पहुंची और जन्म के बाद पहली बार अपनी आंख खोली।
- पंडित ललित मोहन बताते हैं, उस समय कंस का प्रकोप गोकुल में था। जनता उससे डरती थी।
- नंदबाबा ने कई राजाओं को इकट्ठा किया। बृज के सबसे बड़े राजा वृषभान भी इसमें शामिल थे।
- बैठक हुई और कंस के डर से सभी लोग पलायन करके पहाड़ी पर चले गए, कृति जी और राधारानी भी पहाड़ी पर चले गए, जब से वहां का नाम बरसाना पड़ा।
- रावल गांव में अभी भी बगीचा है, जिसका नाम राधा-कृष्ण बगीचा है। यहां दो पेड़ हैं। एक श्वेत है और दूसरा श्याम रंग का।
- माना जाता है कि राधा-कृष्ण यहीं पर बैठकर यमुना को निहारते हैं।
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