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भुवनेश्वर: ओड़िशा के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को 10 किलोमीटर पैदल चल कर ले जाना पड़ा. दरअसल इस शख्स को अस्पताल से शव घर तक ले जाने के लिए वाहन नहीं मिला था। जिसके बाद ये शख्स खुद अपने कंधों पर अपने घर ले गया।
इतना ही नहीं दाना माझी नाम के इस शख्स के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी 10 किलोमीटर तक पैदल चली। माझी की पत्नी की मौत मंगलवार को भवानीपटना में जिला मुख्यालय अस्पताल में टीबी से मौत हो गई थी।
प्रदेश में ये हालत तब है जब नवीन पटनायक की सरकार ने ऐसी स्थिति से निपटने के लिए फरवरी में ‘महापरायण’ योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत शव को सरकारी अस्तपताल से मृतक के घर तक पहुंचाने के लिए मुफ्त परिवहन की सुविधा दी जाती है।
पीड़ित माझी ने लोकल टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, ‘’बहुत कोशिश के बावजूद भी उसे अस्पताल के अधिकारियों से किसी तरह की मदद नहीं मिली। इसलिए वह खुद अपनी पत्नी के शव को एक कपड़े में लपेट कर उसे कंधे पर लादकर ले गया।’’ इस शख्स को भवानीपटना से करीब 60 किलोमीटर दूर रामपुर ब्लॉक के मेलघारा गांव पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ा। वहीं, माझी की बेटी ने बताया कि जब रास्ते में कुछ पत्रकार मिले तो उन्होंने जिला कलेक्टर को फोन किया। जिसके बाद बाकी बचे 50 किलोमीटर की यात्रा के लिए एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई।
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भुवनेश्वर: ओड़िशा के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को 10 किलोमीटर पैदल चल कर ले जाना पड़ा. दरअसल इस शख्स को अस्पताल से शव घर तक ले जाने के लिए वाहन नहीं मिला था। जिसके बाद ये शख्स खुद अपने कंधों पर अपने घर ले गया।
इतना ही नहीं दाना माझी नाम के इस शख्स के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी 10 किलोमीटर तक पैदल चली। माझी की पत्नी की मौत मंगलवार को भवानीपटना में जिला मुख्यालय अस्पताल में टीबी से मौत हो गई थी।
प्रदेश में ये हालत तब है जब नवीन पटनायक की सरकार ने ऐसी स्थिति से निपटने के लिए फरवरी में ‘महापरायण’ योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत शव को सरकारी अस्तपताल से मृतक के घर तक पहुंचाने के लिए मुफ्त परिवहन की सुविधा दी जाती है।
पीड़ित माझी ने लोकल टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, ‘’बहुत कोशिश के बावजूद भी उसे अस्पताल के अधिकारियों से किसी तरह की मदद नहीं मिली। इसलिए वह खुद अपनी पत्नी के शव को एक कपड़े में लपेट कर उसे कंधे पर लादकर ले गया।’’ इस शख्स को भवानीपटना से करीब 60 किलोमीटर दूर रामपुर ब्लॉक के मेलघारा गांव पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ा। वहीं, माझी की बेटी ने बताया कि जब रास्ते में कुछ पत्रकार मिले तो उन्होंने जिला कलेक्टर को फोन किया। जिसके बाद बाकी बचे 50 किलोमीटर की यात्रा के लिए एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई।
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