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यह दुख की घड़ी है जिनके परिजन इस दुर्घटना में बिछुड गये हैं उनकी सहायता करने की जरूरत है।जो अस्पताल में जिन्दगी मौत से संघर्ष कर रहे हैं उनकी हर तरह की मदद करने का समय है।तमाम परिवार इस दुर्घटना में उजड़ गये है और तमाम अनाथ हो गये हैं।रेलवे की एक चूक ने इतने बड़े हादसे को अंजाम दे दिया।अगर सूचना पर ट्रेन को चेक कर लिया गया होता तो शायद ऐसा हादसा नहीं होता ।ट्रेन चलने के समय ही चेक कर लिया गया होता तब भी हादसा बच सकता था।लापरवाही पर लापरवाही ने सैकड़ों बेगुनाहो की जान सोते समय ले ली।कल भी हमने बताया था कि रेलवे विभाग के विश्वास पर लाखों लोग उनकी रेल पर सोते जागते हंसते खेलते सफर करते हैं।यह यात्रियों के विश्वास पर कुठाराघात है और अक्षम अपराध है।खैर रेलवे प्रशासन हादसे के बाद सजग हुआ और अपने कई अधिकारियों कर्मचारियों इन्जीनियरो के विरुद्ध कार्रवाही शुरू की है।हमने कल अपनी सम्पादकीय के माध्यम से जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध अपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की माँग की थी।ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि रेलवे से जुड़े लोग भविष्य में ऐसी भूल गलती लापरवाही करने की हिम्मत न कर सके।कुछ सेवाओं में जरा सी मानवीय भूल भी सैकड़ों की जान ले लेती है।रेलमंत्री का दायित्व बनता है कि वह खुद बैठकर अपने विभाग वालों की समीक्षा करें।ट्रेन गनतव्य के लिये तभी प्लेटफार्म पर लगानी चाहिए जब उसकी हर तरह से जांच पड़ताल कर लें।इतना ही नहीं बीच बीच में भी इनकी देखभाल होनी चाहिए।ट्रेनो का टकराव रोकने के लिये सजगता जरूरी है।आज सरकार दुर्घटना में मारे गये परिजनों को दस पाँच लाख देकर उनके दर्द को तो कम कम कर सकती है किन्तु जिसका इकलौता पुत्र पत्नी बच्चे पूरा परिवार चला गया है उसे वापस नहीं दे सकती है।
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साथियों,
पटना इंदौर एक्सप्रेस की परसो अलल सुबह साढ़े तीन बजे हुयी ट्रेन दुर्घटना में मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।हमारी सेना पुलिस अधिकारी समाजसेवी नागरिक सभी राहत व बचाव में लगे हैं।हम आज पुनः इस दुर्घटना में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और घायलों के अतिशीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।
पटना इंदौर एक्सप्रेस की परसो अलल सुबह साढ़े तीन बजे हुयी ट्रेन दुर्घटना में मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।हमारी सेना पुलिस अधिकारी समाजसेवी नागरिक सभी राहत व बचाव में लगे हैं।हम आज पुनः इस दुर्घटना में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और घायलों के अतिशीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।
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यह दुख की घड़ी है जिनके परिजन इस दुर्घटना में बिछुड गये हैं उनकी सहायता करने की जरूरत है।जो अस्पताल में जिन्दगी मौत से संघर्ष कर रहे हैं उनकी हर तरह की मदद करने का समय है।तमाम परिवार इस दुर्घटना में उजड़ गये है और तमाम अनाथ हो गये हैं।रेलवे की एक चूक ने इतने बड़े हादसे को अंजाम दे दिया।अगर सूचना पर ट्रेन को चेक कर लिया गया होता तो शायद ऐसा हादसा नहीं होता ।ट्रेन चलने के समय ही चेक कर लिया गया होता तब भी हादसा बच सकता था।लापरवाही पर लापरवाही ने सैकड़ों बेगुनाहो की जान सोते समय ले ली।कल भी हमने बताया था कि रेलवे विभाग के विश्वास पर लाखों लोग उनकी रेल पर सोते जागते हंसते खेलते सफर करते हैं।यह यात्रियों के विश्वास पर कुठाराघात है और अक्षम अपराध है।खैर रेलवे प्रशासन हादसे के बाद सजग हुआ और अपने कई अधिकारियों कर्मचारियों इन्जीनियरो के विरुद्ध कार्रवाही शुरू की है।हमने कल अपनी सम्पादकीय के माध्यम से जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध अपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की माँग की थी।ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि रेलवे से जुड़े लोग भविष्य में ऐसी भूल गलती लापरवाही करने की हिम्मत न कर सके।कुछ सेवाओं में जरा सी मानवीय भूल भी सैकड़ों की जान ले लेती है।रेलमंत्री का दायित्व बनता है कि वह खुद बैठकर अपने विभाग वालों की समीक्षा करें।ट्रेन गनतव्य के लिये तभी प्लेटफार्म पर लगानी चाहिए जब उसकी हर तरह से जांच पड़ताल कर लें।इतना ही नहीं बीच बीच में भी इनकी देखभाल होनी चाहिए।ट्रेनो का टकराव रोकने के लिये सजगता जरूरी है।आज सरकार दुर्घटना में मारे गये परिजनों को दस पाँच लाख देकर उनके दर्द को तो कम कम कर सकती है किन्तु जिसका इकलौता पुत्र पत्नी बच्चे पूरा परिवार चला गया है उसे वापस नहीं दे सकती है।
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