यूपी मे प्रथम चर्ण का मतदान शान्ती पूर्वक सम्पन्न हो चुका है । जहाँ प्रदेश के पनद्रह जिलो की ७३ सीटो पर मतदाताओ ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया ।
लेकिन प्रथम चरण की वोटिंग मे वह मुद्दे नदारत दिखे । जिसकी वोटर उम्मीद किए था
इस चुनाव मे मुख्य मुद्दा बेरोजगारी होना चाहिए था ।
जबकि महगाई जैसे बहुत से मुद्दे प्रदेश मे है लेकिन फिर भी कोई पार्टी इसको अपना चुनावी मुद्दा नही मान रही है । बस वोट माग रहे है सभी अपना अलग राग अलाप रहे है । सभी लोक लुभावन वादे कर रहे है सभी ने मानो अपने खजाने खोल रखे हो की अाप हमे वोट दो हम आप को अपनी पूरी सल्तनत लिख देंगे
लेकिन यह भूल गये की अभी तक आप कहाँ थे जब यही वोटर आप के दरवाजे पर जाते थे और आप इनकी फरियाद भी नही सुनना पसन्द करते थे । इस समय प्रदेश की राजनीति पूरी तरह जाति धर्म तक सिमट कर रह गई है । जिसमे सबसे ज्यादा वोट की भूमिका मे मुसलमान और हरिजन को देखा जा रहा है ।
जहाँ बसपा अपने हरिजन परंपरा वोट के साथ मुसलमानो को लुभाने मे लगी हुई है वही सपा भी पीछे नही है वह भी अपनी जाति वोट के साथ मुसलमानो को अपने पाले मे लाने के लिये तरह तरह के हथकंड़ा अपना रही है उधर कांग्रेस अपनी खोई जमीन की आस मे साईकिल पर सवार हो प्रलोभन दे रही है अगर यह बर्ग इन पार्टियो को अपना वोट दे भी दे तो क्या इन पार्टियो की सरकार बन सकती है । जबकि इसके अलावा प्रदेश मे सवर्ण व कुर्मी मतदाताओ की भी अहंम भूमिका होती है । जो सुरू से ही इन पार्टियो द्वारा उपेछित रहा है ।ऐसे मे इन मतदाताओ को उपेछित कर क्या कोई प्रदेश मे अपनी सरकार बना सकता है । पूरे प्रदेश मे सभी पार्टियो का चुनाव प्रचार जोर सोर से चल रहा है लेकिन इन मतदाताओ की कोई बात भी करना पसन्द भी नही करता । जबकि प्रदेश मे किसी की भी सरकार बनाने मे यह वोटर एक अहंम भूमिका निभाता है । प्रदेश मे जब जब इन पार्टियो की सरकार बनी तब केवल इन्ही की बिरादरी का विकास हुआ है और उन वोटरो को भूल जाते है जबकि सरकार बनाने मे इनकी भी भूमिका उतनी ही थी जितनी बिरादरी वालो की ? हालाकि यह वोटर किसी समय कांग्रेस का परंपरा वोट हुआ करता था । लेकिन कांग्रेस से अलग होकर जब इसने दूसरी पार्टियो का रुख किया तो ही प्रदेश मे सपा और बसपा जैसी पार्टियो की सरकार बनी । और कांग्रेस का प्रदेश से बजूद खतम हो गया । कांग्रेस प्रदेश की कुर्सी से कोसो दूर हो गई । सवर्ण वोटर को सभी सरकारो ने उपेछित रखा और शायद इसी लिये इन पार्टियो की इन वोटरो से वोट माँगने की हिम्मत नही हो रही है । इस समय प्रदेश मे सपा बसपा, और कांग्रेस को केवल मुसलमानो का ही वोट दिखाई देता है । इन पार्टियो की राजनीतिक का पूरा केन्द्र बिन्दु केवल मुसलमान वोटर ही है । जबकि चुनाव मे जाति धर्म से उपर मुख्य मुद्दा बेरोजगारी होना चाहिए था । क्योकि बेरोजगारी तो सभी जातियो मे है हर जाती के लोग बेरोजगार है । अच्छा होता इन नवयुवको को लालीपाप न दिखाकर रोजगार के लिये कुछ काम करते । नेता तरह तरह के प्रलोभन दे रहे है कोई लैपटाप, कोई मोवाईल, कोई नकद धनराषि, देने की बात करता है इससे तो आप की नीयत मे पहले से ही खोट दिॉखाई दे रहा है कि यदि आप की सरकार बन गई तो भी यह बेरोजगार ही रहेगे । अगर पूछा जाये तो इन सरकारो ने कितना विकास किया कितना रोजगार उपलब्ध कराया ? हाँ विकास तो हुआ नेताओ का, हाँ रोजगार भी मिला नीचे से लेकर ऊपर तक भृष्टाचारियो का ? हालाकि प्रदेश का वोटर समझदार है वह अपना बुरा और अच्छा बखूबी समझता है फिर चाहे वह किसी भी जाती धर्म का हो । भृष्टाचार, लूट, पर नही बल्कि बेरोजगारी जैसे मुद्दे को ध्यान मे रखकर वोट करें ।
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