राष्ट्रीय पर्वो पर विशेष

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 साथियों,
कल हम अपने देश में होने वाले धार्मिक पर्वो व त्यौहारो की चर्चा कर रहे थे।हमारे हर पर्व हर त्यौहार हमें इंसानियत की राह पर चलने व एक दूसरे से मिल जुलकर कर रहने का पैगाम देते हैं।इतना ही पर्व त्यौहार हमें नेक कार्य व अच्छाइयों की ओर चलने की प्रेरणा देते हैं।आज हम राष्ट्रीय पर्वो की चर्चा करेंगे जो हमें हमारे महापुरुषों की याद दिलाकर उनके बताये मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

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यह सभी राष्ट्रीय पर्व अंग्रेजी महीनों की तिथियो पर मनाये जाते हैं ।साल की शुरुआत जनवरी महीने से होती है और हम सबसे पहले छब्बीस जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं।इसी दिन हमारे देश में आजादी मिलने के बाद अपना कानून लागू हुआ था ।मई महीने में हम मजदूर दिवस व पत्रकारिता दिवस मनाकर अपने उत्तरदायित्वो व कर्तव्यो का बोध करते हैं।पन्द्रह अगस्त को हम स्वाधीनता दिवस के रूप में आजादी का जश्न मनाकर देश की आजादी के लिये बलिदान होने वालों की याद करते हैं।इतना ही नहीं हम मिठाई खाने खिलाने के साथ ही देश की एकता अंखडता अक्षुण्णता बनाये रखने का संकल्प व्रत भी लेते हैं।सितम्बर महीने में शिक्षकों का सम्मान करने के लिये शिक्षक दिवस मनाते हैं और गुरूजनो को सम्मानित करते हैं। दो अक्टूबर को हम अपने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयन्ती मनाकर सत्य अहिंसा की राह पर चलने का संकल्प लेते हैं।इसी महीने अपने हम पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती भी मनाते हैं।हम इसी तरह से तमाम पर्व मनाते हैं और अपने राष्ट्रीय महापुरुषों को नमन वंदना कर उनकी सेवाओं को यादकर उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। अनेकता में एकता हमारे देश की विशेषता है और तरह तरह के फूल एक ही गुलदस्ते में लगे है।सभी फूलों की पहचान गुलदस्ता होता है जो सभी को अपने में समेटने रहता है।एक समय था जबकि अपना देश विश्वगुरू हुआ करता था और भारतवर्ष का विशालकाय क्षेत्र था।हमे गर्व हैं कि हम भारत में रहते हैं और हमारी धरती हमारी माता है।इसके बावजूद हम भारत माता की जय बोलने में संकोच करते हैं।हम भारत माता को जगत जननी आदिशक्ति दुर्गा मानते हैं।हमें गर्व है कि हम भरतवंशी भारतीय हैं और भारत जैसे देश में रहते हैं।यह राष्ट्रीय पर्व हमें अपने देश अपनी माटी और हमारे महापुरुषों की याद व सम्मान करने के लिये हर साल आते हैं।राष्ट्र सेवा को ईश्वरीय कार्य माना जाता है और राष्ट्र पर बलिदान होने वाले को शहीद माना जाता है। धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।



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