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केशव मौर्य: धाकड़ छवि के मौर्य की पहचान एक संघर्षशील नेता के रूप में है। वर्तमान में केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर सीट से सांसद हैं जहां से कभी देश पहले प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू तीन बार सांसद रहे।
केशव मौर्य कौशाम्बी (इलाहाबाद) के एक किसान परिवार में पैदा मौर्य को पढ़ाई के दौरान अखबार बेचने पड़े और चाय की दुकान भी चलाई। मौर्य संघ से काफी समय से जुड़े रहे हैं। बाद में वह विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े और बजरंग दल में भी सक्रिय रहे। वह हिन्दुत्व से जुड़े मुद्दे जैसे राम जन्म भूमि आंदोलन, गोरक्षा आन्दोलन में भी प्रमुखता से हिस्सा लिया और इसमें जेल भी गए। केशव 18 साल तक गंगापार और यमुनापार में प्रचारक रहे। 2002 और 2007 में लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह 2012 में कौशाम्बी जिले के सिराथू विधानसभा चुनाव से विधायक चुने गए। 2014 लोकसभा चुनाव में फूलपुर से सांसद बने।
वहीं से जहां एक तरफ तीन बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चुनाव जीते तो दूसरी तरफ पूर्वांचल के बाहुबली अतीक अहमद जैसे बाहुबली भी। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में मौर्य ने तीन लाख वोटों से क्रिकेटर मोहम्मद कैफ को हराकर इस सीट को कब्जे में लिया।
मौर्य पर कई आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। चुनाव में दिए हलफनामे के अनुसार, उन पर हत्या, दंगा भड़काने और धोखाधड़ी जैसे कई मामले दर्ज हैं।
डॉ. दिनेश शर्मा: का नाम प्रदेश के पढ़े लिखे नेताओं में शुमार हैं क्योंकि वह लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके हैं। इन्हें अमित शाह का काफी करीबी माना जाता है। भाजपा के महासदस्यता अभियान की जिम्मेदारी इन्हीं पास थी जिसमें यह खरे उतरे थे और भाजपा को दुनिया की सबसे ज्यादा सदस्यों वाली पार्टी बनाई। मेयर और प्रोफेसर दिनेश शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और आरएसएस के पसंसदीदा नेता हैं। माना जा रहा है कि शर्मा पर्दे के पीछे रहते हुए पार्टी को विधानसभा चुनाव और इससे पहले लोकसभा चुनाव जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विश्वविद्यालय में भी छात्र उन्हें इसी विनम्रता के लिए सम्मान देते हैं। यूं तो डॉक्टर दिनेश शर्मा ने लखनऊ के मेयर और गुजरात के बीजेपी प्रभारी होने की व्यस्तता के कारण यूनिवर्सिटी से अवकाश ले रखा है पर जब भी वो लखनऊ में होते हैं तो कैंपस में जाकर क्लास जरूर लेते हैं। लखनऊ के मेयर प्रोफेसर दिनेश शर्मा पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बावजूद चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका नहीं रही है। यह लोकसभा और विधान सभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले नेताओं की भूमिका में रहे फिर भी इन्हें पार्टी में कोई बड़ा नाम नहीं मिला।
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