मुंबई: डॉलर में आई मजबूती के कारण देश की मुद्रा रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में तेज गिरावट के साथ दो साल से अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गया, लेकिन बाद में भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद थोड़ा संभल गया. विदेशी फंडों द्वारा बिकवाली करने से शुरुआती कारोबार में सुबह 9.15 बजे रुपया गिरावट के साथ प्रति डॉलर 66.88 रुपये पर पहुंच गया.
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रुपया हालांकि शुक्रवार को 19 पैसे की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 66.76 पर बंद हुआ. गुरुवार को यह 66.57 पर बंद हुआ था.
विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक, रिजर्व बैंक के आदेश पर सरकारी बैंकों द्वारा डॉलर की बिकवाली करने से रुपये की स्थिति संभली.
आरबीआई के हस्तक्षेप के अलावा बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में दर्ज की गई तेजी ने भी रुपये के संभलने में भूमिका निभाई. सेंसेक्स शुक्रवार को 170 अंकों की तेजी के साथ बंद हुआ.
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक भी 58.90 अंकों की तेजी के साथ बंद हुआ.
आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसिस के मुद्रा सलाह विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हीरेन शर्मा ने आईएएनएस से कहा कि दो दिनों की छुट्टी के बाद डॉलर में बढ़ी रुचि की वजह से रुपये पर दबाव बना.
देश का हाजिर बाजार 25 नवंबर को बंद था. उसके बाद 26 नवंबर को अमेरिका का बाजार बंद था.
इसके अलावा आम तौर पर महीने के अंत में डॉलर की मांग में होने वाली वृद्धि का भी रुपये पर असर पड़ा.
शर्मा के मुताबिक, अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की दिसंबर की बैठक, सीरिया संकट और हाल के आतंकी हमले के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी.
शर्मा ने कहा, "रुपये में कमजोरी बनी रह सकती है. यह फेड की बैठक से पहले प्रति डॉलर 67.20 से 66.20 के दायरे में रह सकता है."
अमेरिका के ताजा आंकड़े को देखते हुए दिसंबर की बैठक में फेड दर बढ़ा सकता है.
दर बढ़ने की स्थिति में भारत जैसे उभरते बाजारों में भारी बिकवाली होगी.
इसके साथ ही डॉलर में अन्य मुद्राओं, सोने तथा अन्य संपत्ति के मुकाबले तेजी आएगी.
कोटक सिक्युरिटीज के करेंसी डेरिवेटिव के लिए सहायक उपाध्यक्ष अनिंद्य बनर्जी ने आईएएनएस से कहा कि संसद यदि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित करने में सफल रहता है, तो रुपये में मजबूती आएगी.
जीएसटी को एक अप्रैल, 2016 की समय सीमा पर लागू करने के लिए विधेयक को संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में पारित कराना जरूरी है.
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