as per ABP :
नई दिल्ली: आज होने वाली है बॉलीवुड में साल की सबसे बड़ी टक्कर. एक तरफ हैं बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख कान तो दूसरी ओर हैं हरदिल अजीज रनवीर सिंह. एक फिल्म को डायरेक्ट किया है हवा में कार उड़ाने वाले रोहित शेट्टी ने दूसरी फिल्म को निर्देशित किया है संजय लीला भंसाली ने.
आज फैसला होगा कि दर्शक शाहरुख-काजोल की दिलवाले पर मेहरबान होते हैं या रनवीर सिंह और दीपिका-प्रियंका की बाजीराव मस्तानी पर. अपनी फिल्म बाजीराव मस्तानी की कामयाबी के लिए कल मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर दीपिका पादुकोण पहुंची।
क्यों है ये साल की सबसे बड़ी टक्कर?
एक तरफ है बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान की दिलवाले तो दूसरी ओर है शो मैन संजय लीला भंसाली की बाजीराव मस्तानी. एक तरफ है करीब 150 करोड़ की लागत से बनी दिलवाले दूसरी तरफ है 120 करोड़ के बजट वाली बाजीराव मस्तानी. डायरेक्टर रोहित शेट्टी, शाहरुख और काजोल की तिकड़ी का मुकाबला है संजय लीला भंसाली, रणवीर सिंह, प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण की चौकड़ी से. फिल्म समीक्षकों के मुताबिक बॉक्स ऑफिस पर शुरुआती बाजी शाहरुख मारते दिख रहे हैं.
एक तरफ है बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान की दिलवाले तो दूसरी ओर है शो मैन संजय लीला भंसाली की बाजीराव मस्तानी. एक तरफ है करीब 150 करोड़ की लागत से बनी दिलवाले दूसरी तरफ है 120 करोड़ के बजट वाली बाजीराव मस्तानी. डायरेक्टर रोहित शेट्टी, शाहरुख और काजोल की तिकड़ी का मुकाबला है संजय लीला भंसाली, रणवीर सिंह, प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण की चौकड़ी से. फिल्म समीक्षकों के मुताबिक बॉक्स ऑफिस पर शुरुआती बाजी शाहरुख मारते दिख रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक ज्यादा स्क्रीन दिलवाले को मिली हैं, अनुपात 60 और 40 फीसदी का है मतलब ये कि हर 100 स्क्रीन में से 60 शाहरुख की फिल्म को और 40 स्क्रीन भंसाली की फिल्म को मिली हैं. एडवांस बुकिंग में भी शाहरुख खान आगे चल रहे हैं. शुरुआती शो की एडवांस बुकिंग फुल जा रही है.
जब शाहरुख की फिल्म से भिड़ी फिल्में?
शाहरुख के सामने अक्सर बड़ी फिल्में आने से बचती रही हैं क्योंकि हर बार शाहरुख ही भारी पड़ते दिखे हैं. 1998 में टक्कर हुई थी शाहरुख की कुछ कुछ होता है की अमिताभ की बड़े मियां छोटे मियां से बाजी कुछ कुछ होता है ने मारी थी. साल 2000 में मोहब्बतें के सामने मिशन कश्मीर आई थी. यहां भी ऋतिक पर भारी पड़े थे शाहरुख खान.
शाहरुख के सामने अक्सर बड़ी फिल्में आने से बचती रही हैं क्योंकि हर बार शाहरुख ही भारी पड़ते दिखे हैं. 1998 में टक्कर हुई थी शाहरुख की कुछ कुछ होता है की अमिताभ की बड़े मियां छोटे मियां से बाजी कुछ कुछ होता है ने मारी थी. साल 2000 में मोहब्बतें के सामने मिशन कश्मीर आई थी. यहां भी ऋतिक पर भारी पड़े थे शाहरुख खान.
2007 में शाहरुख की ओम शांति ओम भंसाली की ही फिल्म सांवरिया से भिड़ी थी यहां भी शाहरुख खान ही आगे रहे. 2012 में जब तक है जान के सामने अजय देवगन की सन ऑफ सरदार थी. यहां भी शाहरुख की फिल्म ने ज्यादा कमाई की. 2013 में शाहरुख की चेन्नई एक्सप्रेस के सामने थी अक्षय की वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा थी यहां भी चेन्नई एक्सप्रेस ब्लॉक बस्टर रही.
जब शाहरुख और भंसाली ने साथ किया काम
साल 2002 में भंसाली के साथ शाहरुख देवदास में काम कर चुके हैं और ये फिल्म सुपरहिट हुई थी. अब 13 साल बाद शाहरुख और भंसाली आमने सामने हैं.
साल 2002 में भंसाली के साथ शाहरुख देवदास में काम कर चुके हैं और ये फिल्म सुपरहिट हुई थी. अब 13 साल बाद शाहरुख और भंसाली आमने सामने हैं.
दिलवाले जहां एक रोमांटिक फिल्म है और बेहतरीन विदेशी लोकशन पर शूट हुई है वहीं बाजीराव मस्तानी पीरियड फिल्म है और इसमें 17वीं सदी की कहानी है इसमें भव्य सेट आपको दिखाई देंगे. दोनों फिल्मों का संगीत पहले ही हिट हो चुका है अब देखना है कि दर्शक दोनों फिल्मों पर अपना प्यार लुटाते हैं या फिर किसी एक फिल्म को पसंद करेंगे.
कौन हैं बाजीराव मस्तानी?
आज से करीब तीन सौ साल पहले, 18 वीं सदी की शुरुआत में बाजीराव मराठा साम्राज्य में मशहूर पेशवा हुआ है.
मराठा राजा छत्रपति शिवाजी के पौत्र शाहू जी महाराज ने बाजीराव के पिता बालाजी विश्वनाथ की मौत के बाद उसे अपने राज्य का पेशवा यानी प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. 20 साल की कम उम्र में पेशवा की गद्दी संभालने वाले बाजीराव ने कुल 41 युद्ध लड़े और सभी में जीत हासिल की थी इसीलिए बाजीराव इतिहास में एक ऐसे महान योद्धा के तौर पर दर्ज है जिसने पूरे उत्तर भारत में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया था. पेशवा बाजीराव ने ही मराठा हुक़ूमत का केंद्र पुणे को बनाया जहां उसने शनिवारवाडा नाम से अपना महल भी बनवाया था इस महल में वो अपनी पहली पत्नी काशीबाई और मस्तानी के साथ रहता था.
लोककथा के मुताबिक बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की बेटी मस्तानी एक बेहद खूबसूरत महिला थी जिससे पेशवा बाजीराव बेपनाह मुहब्बत करता था. हांलाकि बाजीराव और मस्तानी के बीच धर्म का एक लंबा फासला भी मौजूद था. पेशवा बाजीराव जहां एक हिंदू ब्राहमण था तो वहीं मस्तानी आधी मुसलमान थीं और यही वजह थी कि बाजीराव और मस्तानी की प्रेम कहानी उनकी जिंदगी में भी विवादों में घिरी रही.
लोककथा है कि 1740 में जब पेशवा बाजीराव का निधन हुआ तो उसके गम में मस्तानी ने भी अपनी जान दे दी थी.
बुंदेलखंड के इतिहास के जानकार चंद्रिका प्रसाद दीक्षित का कहना है कि बाजीराव और मस्तानी कुंवर की कथा ठीक ऐसी एक कथा है जो बुंदेलखंड के क्षेत्र में बहुचर्चित है. लोक जीवन में व्यापत है और प्रेम का एक नया स्त्रोतपात्र करती है और संचार करती है.
मस्तानी कुंअर जहां अभूतपूर्व रुप से थी जहां उसका लावण्य, जहां उसकी कोमलता, जहां उसकी गुणज्ञता, जहां उसकी कलाप्रियता और जहां उसकी संगीतप्रियता इतनी मार्मिक थी कि जिसकी भी नजर पड़ती थी वही मुग्ध हो जाता था.
बाजीराव के साथ भी यही हुआ कि बाजीराव जैसा बहादुर पहली दृष्य में ही देखकर मस्तानी को अपना सर्वस्त्र खो बैठा. मस्तानी की भी दृष्टि बाजीराव पर पड़ी तो बाजीराव की योग्यता शूरवीरता और उसकी तेजस्वीता को देखकर वो भी मुग्ध हो गई और दोनों के बीच में संचार हुआ है और वो जीवनपर्यन्त प्रेमकथा के रुप में पल्लवित हो गया औऱ अमर हो गया.
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