as per ABP :
जिंदगी के हर पड़ाव पर इसे जीने का जज्बा बहुत मायने रखता है। जिस उम्र में अधिकतर महिलाएं केवल घर-गृहस्थी को ही अपनी दुनिया बना लेती हैं, मिशेल काकड़े उस दौर में वर्ल्ड रिकार्ड बनाने निकली हैं। 181 दिन में 6010 किमी की दौड़ पूरी कर उनका इरादा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने का है।
इसके साथ ही पुणे की रहने वाली 47 वर्षीय धावक महिला सशक्तिकरण का संदेश भी दे रही हैं। मिशेल ने लक्ष्य पूरा करने के लिए भारत की राष्ट्रीय राजमार्ग शृंखला ‘स्वर्णिम चतुर्भज’ को चुना है। वे देश के चार महानगरों (मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई) से होकर गुजरेंगी। 21 अक्तूबर 2015 को मुंबई से शुरू हुई यात्रा में शुक्रवार को वे हरियाणा होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गईं।
कोसीकलां क्षेत्र के गांव अजीजपुर में अमर उजाला से खास बातचीत में मिशेल ने अपना अनुभव साझा किया। उनका कहना है कि भारत में ऐसी धारणा है कि कुछ कार्य महिलाएं नहीं कर सकतीं, खासकर वे जो घर गृहस्थी में हैं। मैं इस धारणा को तोड़ना चाहती थी।
जिंदगी के हर पड़ाव पर इसे जीने का जज्बा बहुत मायने रखता है। जिस उम्र में अधिकतर महिलाएं केवल घर-गृहस्थी को ही अपनी दुनिया बना लेती हैं, मिशेल काकड़े उस दौर में वर्ल्ड रिकार्ड बनाने निकली हैं। 181 दिन में 6010 किमी की दौड़ पूरी कर उनका इरादा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने का है।
इसके साथ ही पुणे की रहने वाली 47 वर्षीय धावक महिला सशक्तिकरण का संदेश भी दे रही हैं। मिशेल ने लक्ष्य पूरा करने के लिए भारत की राष्ट्रीय राजमार्ग शृंखला ‘स्वर्णिम चतुर्भज’ को चुना है। वे देश के चार महानगरों (मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई) से होकर गुजरेंगी। 21 अक्तूबर 2015 को मुंबई से शुरू हुई यात्रा में शुक्रवार को वे हरियाणा होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गईं।
कोसीकलां क्षेत्र के गांव अजीजपुर में अमर उजाला से खास बातचीत में मिशेल ने अपना अनुभव साझा किया। उनका कहना है कि भारत में ऐसी धारणा है कि कुछ कार्य महिलाएं नहीं कर सकतीं, खासकर वे जो घर गृहस्थी में हैं। मैं इस धारणा को तोड़ना चाहती थी।
परिवार का भी पूरा साथ
मिशेल बताती हैं कि 12 साल पहले एक मित्र के कहने पर उन्होंने पुणे मैराथन में हिस्सा लिया था। बस फिर क्या निकल पड़ी आधी आबादी की ताकत दिखाने। बोलीं कि वे इससे पहले विश्व के पांच रेगिस्तानों में होने वाली मैराथन में हिस्सा लेकर रिकार्ड बना चुकी हैं। ‘द ग्रेट इंडिया क्वाडिलेटरल रन’ नामक अपने वर्तमान सफर में वे रोजाना 35 किलोमीटर दूरी दौड़कर तय करती हैं।
लगभग 8-10 दिन बाद एक पूरा दिन विश्राम के लिए होता है। मिशेल कहती हैं कि विश्व रिकार्ड के अलावा वे अपनी दौड़ के माध्यम से पूरे देश में महिला सशक्तिकरण के लिए सहयोग भी जुटा रही हैं। उनके दल के पांच सदस्यों में फिजियोथेरेपिस्ट के अलावा मुंबई स्थित क्राफ्ट हट कंपनी और संस्था ‘यू टू कैन रन’ के सहयोगी हैं।
मिशेल बताती हैं कि अपने अभियान के लिए उन्होंने कई सरकारी संस्था और खेल कंपनियों से संपर्क किया लेकिन कहीं से सहयोग न मिला। अब उनके पति अनिल काकड़े पूरा खर्च वहन कर रहे हैं। बेटे निखिल और बेटी निषिका का भावात्मक सहयोग हमेशा प्रेरित करता है। घर से बाहर वे परिवार को बहुत याद करती हैं ऐसे में विश्राम के दिन पति मिलने आ जाते हैं।
लगभग 8-10 दिन बाद एक पूरा दिन विश्राम के लिए होता है। मिशेल कहती हैं कि विश्व रिकार्ड के अलावा वे अपनी दौड़ के माध्यम से पूरे देश में महिला सशक्तिकरण के लिए सहयोग भी जुटा रही हैं। उनके दल के पांच सदस्यों में फिजियोथेरेपिस्ट के अलावा मुंबई स्थित क्राफ्ट हट कंपनी और संस्था ‘यू टू कैन रन’ के सहयोगी हैं।
मिशेल बताती हैं कि अपने अभियान के लिए उन्होंने कई सरकारी संस्था और खेल कंपनियों से संपर्क किया लेकिन कहीं से सहयोग न मिला। अब उनके पति अनिल काकड़े पूरा खर्च वहन कर रहे हैं। बेटे निखिल और बेटी निषिका का भावात्मक सहयोग हमेशा प्रेरित करता है। घर से बाहर वे परिवार को बहुत याद करती हैं ऐसे में विश्राम के दिन पति मिलने आ जाते हैं।
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