as per Amar ujala:
भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के कैंसर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. जीके रथ बताते हैं कि कैंसर एक मात्र ऐसी बीमारी है जिसका इलाज समय पर शुरू हो जाए तो वो पूरी तरह ठीक हो सकती है।
वहीं डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को आजीवन इलाज कराना पड़ता है और दवा खानी पड़ती है। वो बताते हैं कि कैंसर का 70 फीसदी समय पर सटीक इलाज से ठीक हो जाती है जबकि 80 फीसदी कैंसर पीड़ित मरीज का इलाज संभव है। डॉ. जीके रथ बताते हैं कि कैंसर की बीमारी अपने आप नहीं होती है। इसे हम खुद दावत देते हैं।
डॉ. जीके रथ बताते हैं कि फास्ट फूड जिसमें नूडल्स, पिजा, बर्गर और हॉट डॉग जैसे फास्ट फूड को टेस्टी बनाने के लिए ऐसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है जो शरीर के भीतर जाने के बाद किडनी, लिवर, हार्ट और आंतों को नुकसान पहुंचाते हैं।
बहुत लंबे समय तक फास्ट फूड का सेवन करने से व्यक्ति पहले मोटापे का शिकार होता है उसके बाद वो अलग-अलग बीमारियों की चपेट में आकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में आ जाता है।
वो बताते हैं कि लगातार 15 से 20 साल तक इसका सेवन किया जाए 55 से 60 वर्ष की उम्र में कोशिकाएं खराब होनी लगती हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के कैंसर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. जीके रथ बताते हैं कि कैंसर एक मात्र ऐसी बीमारी है जिसका इलाज समय पर शुरू हो जाए तो वो पूरी तरह ठीक हो सकती है।
वहीं डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को आजीवन इलाज कराना पड़ता है और दवा खानी पड़ती है। वो बताते हैं कि कैंसर का 70 फीसदी समय पर सटीक इलाज से ठीक हो जाती है जबकि 80 फीसदी कैंसर पीड़ित मरीज का इलाज संभव है। डॉ. जीके रथ बताते हैं कि कैंसर की बीमारी अपने आप नहीं होती है। इसे हम खुद दावत देते हैं।
डॉ. जीके रथ बताते हैं कि फास्ट फूड जिसमें नूडल्स, पिजा, बर्गर और हॉट डॉग जैसे फास्ट फूड को टेस्टी बनाने के लिए ऐसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है जो शरीर के भीतर जाने के बाद किडनी, लिवर, हार्ट और आंतों को नुकसान पहुंचाते हैं।
बहुत लंबे समय तक फास्ट फूड का सेवन करने से व्यक्ति पहले मोटापे का शिकार होता है उसके बाद वो अलग-अलग बीमारियों की चपेट में आकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में आ जाता है।
वो बताते हैं कि लगातार 15 से 20 साल तक इसका सेवन किया जाए 55 से 60 वर्ष की उम्र में कोशिकाएं खराब होनी लगती हैं।
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