as per ABP :
अदालत में एक बेरोजगार पति ने केंद्र सरकार की नौकरी करने वाली अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता मांगने की अपील की है। पति नगला पटवारी निवासी मुन्ना खां के अधिवक्ता सरदार मुकेश सैनी के दावे पर भरोसा किया जाए तो यह संभवत: अलीगढ़ की अदालत में अपनी तरह का पहला ऐसा मामला है। अन्य अधिवक्ताओं की नजर भी इस मुकदमे पर लगी हैं, और वह अदालत के रुख पर नजरें लगाए बैठे हैं।
मुन्ना खां के अधिवक्ता सरदार मुकेश सैनी एडवोकेट कहते हैं कि 12 साल पहले शाहजमाल निवासी (महिला का मायका) पत्नी ने अपने नगला पटवारी में रहने वाले पति मुन्ना खां से धारा 125 के तहत भरण पोषण के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में 12 साल तक कोई सुनवाई ही नहीं हुई। कुछ दिनों पहले अदालत से पति मुन्ना खां को समन मिला। यह एक्स पार्टी समन था।
इसके खिलाफ मुन्ना खां ने जिला जज के यहां पर आवेदन किया गया और प्रकीर्ण वाद दर्ज कराया गया। इसमें यह भी मांग की गई कि 12 साल पहले किए पत्नी के भरण पोषण के दावे के बाद उसकी केंद्रीय सेवा में नौकरी लग गई है। जबकि पति अभी भी बेरोजगार है, इसलिए अब पति को गुजारा भत्ता दिया जाए। यह दावा इसी हफ्ते में किया गया है।
अदालत में एक बेरोजगार पति ने केंद्र सरकार की नौकरी करने वाली अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता मांगने की अपील की है। पति नगला पटवारी निवासी मुन्ना खां के अधिवक्ता सरदार मुकेश सैनी के दावे पर भरोसा किया जाए तो यह संभवत: अलीगढ़ की अदालत में अपनी तरह का पहला ऐसा मामला है। अन्य अधिवक्ताओं की नजर भी इस मुकदमे पर लगी हैं, और वह अदालत के रुख पर नजरें लगाए बैठे हैं।
मुन्ना खां के अधिवक्ता सरदार मुकेश सैनी एडवोकेट कहते हैं कि 12 साल पहले शाहजमाल निवासी (महिला का मायका) पत्नी ने अपने नगला पटवारी में रहने वाले पति मुन्ना खां से धारा 125 के तहत भरण पोषण के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में 12 साल तक कोई सुनवाई ही नहीं हुई। कुछ दिनों पहले अदालत से पति मुन्ना खां को समन मिला। यह एक्स पार्टी समन था।
इसके खिलाफ मुन्ना खां ने जिला जज के यहां पर आवेदन किया गया और प्रकीर्ण वाद दर्ज कराया गया। इसमें यह भी मांग की गई कि 12 साल पहले किए पत्नी के भरण पोषण के दावे के बाद उसकी केंद्रीय सेवा में नौकरी लग गई है। जबकि पति अभी भी बेरोजगार है, इसलिए अब पति को गुजारा भत्ता दिया जाए। यह दावा इसी हफ्ते में किया गया है।
अपने आप में दिलचस्प मामला
इस मामले में एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता रामकिशन तिवारी कहते हैं कि यह तो तय है कि अगर पत्नी नौकरीयाफ्ता है तो फिर वह पति से गुजारे भत्ते के लिए दावा नहीं कर सकती है। इस मामले में अब अदालत का रुख देखना दिलचस्प होगा।
वह कहते हैं कि काफी समय पहले दिल्ली की लोअर कोर्ट ने बेरोजगार पति को उसकी नौकरीयाफ्ता पत्नी से गुजारा भत्ता दिलवाया था। यह भी देखना होगा कि उस केस का साइटेशन (दस्तावेजी उल्लेख) अलीगढ़ की अदालत में किस तरह होता है।
वह कहते हैं कि काफी समय पहले दिल्ली की लोअर कोर्ट ने बेरोजगार पति को उसकी नौकरीयाफ्ता पत्नी से गुजारा भत्ता दिलवाया था। यह भी देखना होगा कि उस केस का साइटेशन (दस्तावेजी उल्लेख) अलीगढ़ की अदालत में किस तरह होता है।
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