as per Amar ujala :
केमिकल इंडस्ट्री दुनिया में किसी भी क्षेत्र से ज्यादा मानवीय जिंदगी को प्रभावित करती है। अगर केमिस्ट्री की सही प्रक्रिया को अपनाया जाए तो इससे बनने वाली दवाओं और दूसरे उत्पादों को सस्ता और बेहतर बनाने में बड़ी सफलता मिल सकेगी।
यह कहना है पद्म विभूषण प्रो. मनमोहन शर्मा का, जो बृहस्पतिवार को सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) में नाइपर रायबरेली के दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर बोल रहे थे। प्रो. शर्मा ने कहा कि केमिस्ट्री हर वस्तु में और हर जगह मौजूद है।
केमिकल इंडस्ट्री ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। बायोलॉजी में भी केमिस्ट्री की गहरी जड़ें बनी हुई हैं। डीएनए हो या क्लोरोफिक, बिना केमिस्ट्री के कुछ नहीं होता।
उनका कहना था कि प्रोसेस केमिस्ट्री, आर्गेनिक केमिस्ट्री और इंडस्ट्री के बीच का माध्यम है। प्रोसेस केमिस्ट्री की भूमिका किसी भी प्रोडक्ट के उत्पादन, परिणाम और बनाए जाने के दौरान खतरनाक रासायनिक अभिकारकों एवं परिस्थितियों को कम करने में महत्वपूर्ण है।
केमिकल इंडस्ट्री दुनिया में किसी भी क्षेत्र से ज्यादा मानवीय जिंदगी को प्रभावित करती है। अगर केमिस्ट्री की सही प्रक्रिया को अपनाया जाए तो इससे बनने वाली दवाओं और दूसरे उत्पादों को सस्ता और बेहतर बनाने में बड़ी सफलता मिल सकेगी।
यह कहना है पद्म विभूषण प्रो. मनमोहन शर्मा का, जो बृहस्पतिवार को सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) में नाइपर रायबरेली के दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर बोल रहे थे। प्रो. शर्मा ने कहा कि केमिस्ट्री हर वस्तु में और हर जगह मौजूद है।
केमिकल इंडस्ट्री ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। बायोलॉजी में भी केमिस्ट्री की गहरी जड़ें बनी हुई हैं। डीएनए हो या क्लोरोफिक, बिना केमिस्ट्री के कुछ नहीं होता।
उनका कहना था कि प्रोसेस केमिस्ट्री, आर्गेनिक केमिस्ट्री और इंडस्ट्री के बीच का माध्यम है। प्रोसेस केमिस्ट्री की भूमिका किसी भी प्रोडक्ट के उत्पादन, परिणाम और बनाए जाने के दौरान खतरनाक रासायनिक अभिकारकों एवं परिस्थितियों को कम करने में महत्वपूर्ण है।
इस तरह बना ली गई डायबिटीज की चमत्कारिक दवाई
इससे कम कीमत में कम समय का उपयोग करते हुए अधिक सुरक्षित रूप से उसकी निर्माण प्रक्रिया पूरी करने में मदद मिलती है।केमिकल इंजीनियर प्रो. शर्मा का कहना था कि डायबिटीज में एक दवा सीटाजिलिप्टिन उपयोग होती है।
प्रोसेस केमिस्ट्री की वजह से ही इसमें 80 प्रतिशत अपशिष्ट पदार्थों के उत्पादन में कमी कर ली गई। आज यह सफल एंटी डायबिटीज है।
प्रोसेस केमिस्ट्री में खतरनाक केमिकल व परिस्थितियों से परहेज, सही रूट सिलेक्शन, क्रिस्टलाइजेशन, प्रोसेस इन्टेंसिफिकेशन, बायोकैटालिसिस जैसे चरणों पर ध्यान देकर प्रोडक्ट को आम आदमी के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।
इस दौरान सीडीआरआई की निदेशिका डॉ. मधु दीक्षित, नाइपर के प्रोजेक्ट निदेशक डॉ. पीके शुक्ला भी मौजूद रहे।
प्रोसेस केमिस्ट्री की वजह से ही इसमें 80 प्रतिशत अपशिष्ट पदार्थों के उत्पादन में कमी कर ली गई। आज यह सफल एंटी डायबिटीज है।
प्रोसेस केमिस्ट्री में खतरनाक केमिकल व परिस्थितियों से परहेज, सही रूट सिलेक्शन, क्रिस्टलाइजेशन, प्रोसेस इन्टेंसिफिकेशन, बायोकैटालिसिस जैसे चरणों पर ध्यान देकर प्रोडक्ट को आम आदमी के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है।
इस दौरान सीडीआरआई की निदेशिका डॉ. मधु दीक्षित, नाइपर के प्रोजेक्ट निदेशक डॉ. पीके शुक्ला भी मौजूद रहे।
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