as per ABP :
मेरठ में पाक खुफिया एजेंसी के एजेंट इजाज की गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा विभिन्न राज्यों में आतंकी संगठन आईएस की सक्रियता बढ़ने की आशंका पर राज्य की जांच एजेंसियों ने स्लीपिंग मॉड्यूल्स की तलाश शुरू कर दी है। इसे लेकर यूपी एसटीएफ व एटीएस दोनों को ही सक्रिय किया गया है। इनका फोकस वेस्ट यूपी और लखनऊ पर है।
एटीएस ने इसके लिए बिजनौर व लखनऊ के दो प्रकरणों का अध्ययन शुरू किया है। इस क्रम में बिजनौर के जाटन मोहल्ले से दो वर्ष पूर्व सितंबर में भाग निकलने वाले खंडवा से फरार सिमी आतंकियों की मदद करने वालों का फिर सुराग तलाशा जा रहा है।
हालांकि सिमी आतंकियों के तीन मददगारों को गिरफ्तार भी किया गया था। इनमें एक महिला हुसैना के अलावा रईस और अब्दुल्लाह शामिल थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि जाटन मोहल्ले की घटना के बाद भी सिमी आतंकी बिजनौर अथवा आसपास के जिले में छिपे रहे। इस दौरान उनके कुछ मददगार भी रहे होंगे।
इन्हीं मददगार स्लीप मॉड्यूल्स को तलाश करने की कोशिश हो रही है। ऐसे ही फरवरी, 2007 में लखनऊ की सेशन अदालत से भाग निकले लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों मकसूद अहमद और मो. सईद को लखनऊ में ही सक्रिय स्लीपिंग मॉड्यूल्स की मदद मिली थी।
मेरठ में पाक खुफिया एजेंसी के एजेंट इजाज की गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा विभिन्न राज्यों में आतंकी संगठन आईएस की सक्रियता बढ़ने की आशंका पर राज्य की जांच एजेंसियों ने स्लीपिंग मॉड्यूल्स की तलाश शुरू कर दी है। इसे लेकर यूपी एसटीएफ व एटीएस दोनों को ही सक्रिय किया गया है। इनका फोकस वेस्ट यूपी और लखनऊ पर है।
एटीएस ने इसके लिए बिजनौर व लखनऊ के दो प्रकरणों का अध्ययन शुरू किया है। इस क्रम में बिजनौर के जाटन मोहल्ले से दो वर्ष पूर्व सितंबर में भाग निकलने वाले खंडवा से फरार सिमी आतंकियों की मदद करने वालों का फिर सुराग तलाशा जा रहा है।
हालांकि सिमी आतंकियों के तीन मददगारों को गिरफ्तार भी किया गया था। इनमें एक महिला हुसैना के अलावा रईस और अब्दुल्लाह शामिल थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि जाटन मोहल्ले की घटना के बाद भी सिमी आतंकी बिजनौर अथवा आसपास के जिले में छिपे रहे। इस दौरान उनके कुछ मददगार भी रहे होंगे।
इन्हीं मददगार स्लीप मॉड्यूल्स को तलाश करने की कोशिश हो रही है। ऐसे ही फरवरी, 2007 में लखनऊ की सेशन अदालत से भाग निकले लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों मकसूद अहमद और मो. सईद को लखनऊ में ही सक्रिय स्लीपिंग मॉड्यूल्स की मदद मिली थी।
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