as per ABP :
नई दिल्ली: दिल्ली के शकूरबस्ती में अवैध निर्माण कर रेलवे की ज़मीन पर खड़ी झुग्गियों को गिराए जाने के मामले में कांग्रेस नेता अजय माकन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने रेलवे को कड़ी फटकार लगाई.
मामले पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कहा कि
- ये गंभीर मानवीय मुद्दा है, इतने समय से जब ये लोग रह रहे थे तो तुरंत क्यों नहीं गिराया गया ?
- रेलवे सर्वे रिपोर्ट दिखाए जो उसने झुग्गी गिराने से पहले किया था.
- क्या रेलवे ने पीड़ितों के आशियाने को उजाड़कर इन्हे सुरक्षित कर दिया?
- रेलवे ने इन्हे ठंड में छोड़कर ठिठुरने के लिए मजबूर कर दिया है.
हालाँकि रेलवे ने दलील देते हुए कहा कि झुग्गी के लोगों को नोटिस मार्च में दिया गया था, रेलवे ट्रैक के किनारे अवैध रूप से झुग्गियां बसाई गयीं थीं लिहाजा उन्हे हटाया गया.
जिसके बाद फिर हाइकोर्ट ने रेलवे से नाराज़गी जताई.
- हाईकोर्ट ने रेलवे से कहा कि आपका रवैया बिलकुल लचर है, आप कोर्ट को डीटेल्स बताइये कि कितने घर गिराए गए?
रविवार को ऐसी जल्दबाजी की क्या जरूरत थी ? ये नही सोंचा गया की जो बच्चे उन झुग्गियों में रहते थे जब वो घर लौटेंगे तो उन्हे टूटा घर दिखेगा, रेलवे इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है, क्या रेलवे को उनके दर्द का एहसास है ?
- दिल्ली पुलिस उस वक्त क्या कर रही थी ?
इन सख्त टिप्पड़ियों के बाद हाइकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा की
- जिस तरह की घटना घाटी वो दुखद है.
- सरकार और रेलवे अब बिना देरी किये उचित कदम उठाएं.
- कोर्ट ने कहा की ज़रूरत है की सरकार और रेलवे साथ मिलकर लोगों को रहने के लिए जगह मुहैया करवाये.
- जिनके घर गिराये गए हैं उनमे से किसी को भी और ज़्यादा परेशानी ना उठानी पड़े.
- अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी जब रेलवे को अदालत के उन सवालों का जवाब देना होगा जो इस सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने उठाये हैं.
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