इस मामले में बंदर और इंसान का 'दिमाग' एक जैसा ही है...............online updates by police prahari news



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नई दिल्ली : मानव मस्तिष्क में भाषा को समझने की क्षमता अनूठी नहीं है, क्योंकि इससे संबंधित मस्तिष्क के कुछ हिस्से मानवों के साथ ही बंदर सहित प्राइमेट के मस्तिष्क में भी पाए गए हैं. एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ. ब्रिटेन की न्यूकैसल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर बेन विल्सन और प्रोफेसर क्रिस पेटकोव के दल ने इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल कर मानव और मकाक प्रजाति के बंदरों में भाषा को समझने के दौरान मस्तिष्क की गतिविधियों का पता लगाने की कोशिश की.

इस शोध में उन्होंने मस्तिष्क के उस हिस्से की पहचान की, जो संज्ञानात्मक कार्यो के मामलों में विकास का परिणाम है और यह समझने और सुव्यवस्थित तरीके से ध्वनियों का मूल्यांकन करने की शक्ति प्रदान करता है.

छोटे बच्चे अपने विकास के साथ-साथ भाषा के नियमों को समझते जाते हैं.पेटकोव ने कहा, "इसलिए हमने सबसे पहले शिशुओं के अध्ययन के लिए एक 'मेड अप' नाम की भाषा का इस्तेमाल किया. इस शोध से पता चलता है कि मानवों की तरह ही बंदरों के अंदर भी भाषा को समझ सकते हैं."

शोध दल ने मानवों और बंदरों को मेडअप भाषा की कुछ ध्वनियों को सुनाया और उस दौरान उनके मस्तिष्क की गतिविधियों की स्कैनिंग की गई, जिससे पता चला कि दोनों ही प्रजातियों के मस्तिष्क का एक हिस्सा (वेंट्रल फ्रंटल एंड ऑपरकूलर कॉर्टेक्स) भाषा को समझने में समान प्रतिक्रिया दर्शाता है.

इस निष्कर्ष से यह बात सामने आई कि यह फ्रंटल क्षेत्र मानव व प्राइमेट दोनों के मस्तिष्क में होते हैं, जो इसके विकास को दर्शाता है.
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