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न्यूज़: हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के कार्यालय पर छापेमारी के दौरान जब्त मूल दस्तावेज सौंपने के लिए सीबीआई को निर्देश देने वाले निचली अदालत के फैसले को पलट दिया. हाई कोर्ट ने और कि निचली अदालत ने अपने अधिकारक्षेत्र से बाहर का फैसला सुनाया.
न्यायमूर्ति पीएस तेजी ने कहा कि दिल्ली सरकार को वास्तविक दस्तावेज सौंपने के लिए सीबीआई को निर्देश देने वाले 20 जनवरी के आदेश में विशेष न्यायाधीश की टिप्पणियां ‘‘न तो सही ठहराने लायक हैं और ना ही वांछित’’ हैं और ये ‘‘जांच में गैरजरूरी हस्तक्षेप’’ के बराबर है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह निजता के सिद्धांत के खिलाफ है क्योंकि जांच केवल जांच अधिकारी के क्षेत्राधिकार में होने के कारण उसकी मन:स्थिति का जांच के लंबित रहने के दौरान खुलासा करने की जरूरत नहीं है और अदालत के सामने आरोपपत्र दायर करने के वक्त ही खुलासे की जरूरत है
अदालत ने यह आदेश सीबीआई की उस याचिका पर दिया जिसमें 20 जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी. सीबीआई का दावा था कि निचली अदालत का फैसला शुरूआती स्तर पर चल रही जांच में हस्तक्षेप होगा. दिल्ली सरकार ने सीबीआई की दलीलों को खारिज करते हुए कहा था कि एजेंसी ने ऐसे दस्तावेज जब्त कर लिये ‘‘जिनका जांच से कोई लेना देना नहीं है और यह सरकार के कामकाज को प्रभावित कर रहा है.’’
सीबीआई ने पिछले साल 15 दिसंबर को कुमार के कार्यालय पर छापा मारा था और उनके तथा अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने दिल्ली सरकार के एक विभाग से निविदा दिलाने में पिछले कुछ वषरें में एक खास फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरूपयोग किया.
हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद बीजेपी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की . पार्टी नेता और केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केजरीवाल स्पष्ट तौर पर भ्रष्टाचार का बचाव कर रहे थे . उन्होंने आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली के एक मंत्री को बचाने का भी उल्लेख किया जिस पर भ्रष्टाचार के एक मामले में शामिल होने का आरोप है. एक कथित स्टिंग ऑपरेशन में एक व्यक्ति को उनकी ओर से 30 लाख रूपए की मांग करते हुए दिखाया गया था.
उन्होंने कहा कि उनका (केजरीवाल) ‘‘पूरी तरह से भंडाफोड़’’ हो गया है. भ्रष्टाचार के संरक्षण लिए वह जो ड्रामा करते हैं, उसका खुलासा हो गया है. अपने प्रधान सचिव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और सच सामने लाने के लिए वह सीबीआई जांच नहीं चाहते.
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