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स्पोर्ट्स न्यूज़: बीसीसीआई की बैलेंस शीट के अनुसार उसका राजस्व अभी लगभग 2000 करोड़ रूपये का है और इसका बड़ा हिस्सा प्रसारण अधिकारों और विज्ञापनों से मिलता है. लेकिन लोढ़ा समिति की सिफारिशों में केवल लंच, चाय और ड्रिंक्स ब्रेक के दौरान ही विज्ञापन दिखाने की बात की गयी है और यदि इन्हें लागू किया जाता है तो फिर यह कमाई केवल 400 करोड़ रूपये की रह जाएगी. बोर्ड के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार बीसीसीआई मैचों के प्रसारण अधिकार रखने वाला स्टार स्पोर्ट्स अभी प्रति मैच 43 करोड़ रूपये का भुगतान करता है और इस नियम के बाद के बाद बीसीसीआई की प्रति मैच की कमाई आठ से दस करोड़ रूपये रह सकती है.
इस बारे में जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘हां, यह सच है कि हम ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जिसमें हमारी कमाई घटकर 1600 करोड़ रूपये रह जाएगी. स्टार स्पोर्ट्स अपने करार पर फिर से बातचीत करेगा और अभी हमें प्रति मैच जो धनराशि मिलती है वह हो सकता है कि बाद में इसका केवल 20 से 25 प्रतिशत ही दे. यही बात आईपीएल प्रसारकों के बारे में भी कही जा सकती है. ’’
इसके दूरगामी परिणाम होंगे तथा भारत के विदेशी दौरों के दौरान इंग्लैंड, न्यूजीलैंड या ऑस्ट्रेलिया जैसे मेजबान देश प्रसारण अधिकारों से भारत की तुलना में अधिक कमाई करेंगे.
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पूरी संभावना है कि इससे बीसीसीआई का आयु वर्ग का ढांचा बुरी तरह प्रभावित होगा.
बीसीसीआई लगभग 750 करोड़ रूपये राज्य संघों के लिये सब्सिडी पर तथा लगभग 400 से 500 करोड़ रूपये अंडर-16 से सीनियर खिलाड़ियों की मैच फीस और अन्य भत्तों पर खर्च करता है. इसके अलावा देश भर में अंडर-16, अंडर-19, अंडर-22 और रणजी ट्रॉफी के लगभग 2000 मैचों के आयोजन पर करीब 350 करोड़ रूपये खर्च होता है.
बीसीसीआई लगभग 750 करोड़ रूपये राज्य संघों के लिये सब्सिडी पर तथा लगभग 400 से 500 करोड़ रूपये अंडर-16 से सीनियर खिलाड़ियों की मैच फीस और अन्य भत्तों पर खर्च करता है. इसके अलावा देश भर में अंडर-16, अंडर-19, अंडर-22 और रणजी ट्रॉफी के लगभग 2000 मैचों के आयोजन पर करीब 350 करोड़ रूपये खर्च होता है.
यही नहीं पूर्व प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को मासिक पेंशन मिलती है जिस पर बोर्ड 25 करोड़ रूपये खर्च करता है. बीसीसीआई सूत्रों से जब राजस्व के ढांचे के प्रभावित होने के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, ‘‘सबसे अधिक प्रभाव आयु वर्ग के मैचों, अंडर-16, अंडर-19 और विभिन्न क्रिकेट शिविरों पर पड़ेगा. आईपीएल और अंतरराष्ट्रीय प्रसारण से मिलने वाली धनराशि का उपयोग जूनियर क्रिकेट के विकास पर किया जाता है जो कि बाद में संभव नहीं होगा. ’’
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