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-निखरा-निखरा सौंदर्य चाहती हैं, पर मन उलझ जाता है । आपके सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए सौंदर्य
विशेषज्ञ दे रहीं हैं कुछ उपयोगी सुझाव ।
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विशेषज्ञ दे रहीं हैं कुछ उपयोगी सुझाव ।
सीधे और मुलायम बालों का फैशन काफी समय से है। धुंघराले व वेवी बालों को हेअर स्ट्रेटनिंग तकनीक से सीधा किया जा सकता है । तकनीकें क्या हैं और किस तरह से ये बालों पर अपना प्रभाव छोड़ती हैं, आइए जानें ।
ड्रायर का प्रयोग : गीले बालों को विभिन्न भागों में बांट लेते हैं । हर भाग के सिरे को ब्रश पर लपेट कर ड्रायर किया जाता है । फिर हर भाग को सीधा पकड़ कर ड्रायर किया जाता है । अगले शैंपू तक बाल सीधे रहते हैं । लेकिन जरूरत से ज्यादा हीट देने से बालों में रूखापन आ जाता है और बाल दोमुंहे हो कर टूटते भी हैं ।
केमिकल हेअर स्ट्रेटनर : इसमें हरेक बाल की शाफ्ट में रसायन प्रवेश करता है और बालों की अंदरूनी परतों की बनावट को प्रभावित करता है, जिससे कर्ली या वेवी बाल सीधे हो जाते हैं । इसमें थोड़े तेज रसायनों को सीधा बालों पर लगाया जाता है । इसका असर 6 महीने तक रहता है । स्ट्रेटनिंग हमेशा हेअर एक्सपर्ट से ही करायी जानी चाहिए । कभी भी बालों में कलर और स्ट्रेटनिंग एक साथ ना कराएं । इन दोनों के बीच में कम से कम 2-3 महीने का अंतर जरूर होना चाहिए ।
क्रीम व न्यूट्रलाइजर : बालों को स्ट्रेट करने के लिए बेस क्रीम/वैसलीन, न्यूट्रलाइजर, शैंपू व कंडीशनर का प्रयोग भी किया जाता है । इसमें बालों को स्ट्रेट करने से पहले स्कैल्प पर वैसलीन या बेस क्रीम लगाते हैं । वैसलीन को स्कैल्प के साथ माथे, गरदन व कानों पर भी लगाना चाहिए, जिससे ये गलती से रसायन लग जाने पर जले नहीं । इसके बाद हेअर रिलेक्सिंग/स्ट्रेटनिंग फॉर्मूला लगाया जाता है । यह बालों की मिडिल लेअर में पहुंच कर उन्हें मुलायम बनाता है और वेवी व धुंघराले बाल भी खुल जाते हैं । इस केमिकल फॉर्मूले को बालों में तकरीबन 7-8 मिनट के लिए लगाया जाता है ।
इससे ज्यादा समय के लिए लगाने से बालों को क्षति पहुंच सकती है । फिर बालों को अच्छे से धोया जाता है, जिससे बालों से रसायन पूरी तरह निकल जाए । इसके बाद बालों में न्यूट्रलाइजर लगाया जाता है, जिससे बालों का सामान्य पीएच संतुलन बना रहे । फिर कंडीशनर लगाते हैं । कई बार पहले से क्षतिग्रस्त बालों में कंडीशनर पहले और बाद में दोनों बार लगाया जाता है । कंडीशनर से बालों में प्राकृतिक तेल बनने लगते हैं, जो इस प्रक्रिया के दौरान बह गए थे । अब मनचाहा हेअर स्टाइल बना सकती हैं । बालों की स्टाइलिंग को भी अगर मिला लिया जाए, तो कुल मिला कर इस पूरी प्रक्रिया में, जिसमें स्ट्रेंड टेस्ट से ले कर स्टाइलिंग तक का समय लिया जाए, तो 4-5 घंटे लग जाते हैं । शैंपू करने के बाद बालों को ब्लो ड्राई जरूर करें ।
रीबान्डिंग : रीबान्डिंग धुंघराले बालों व कई बार रासायनिक उपचार दिए गए बालों पर इतना असरदार नहीं रहता है । इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 4 से 8 घंटे का समय लगता है और इसका असर सालभर तक रहता है, उसके बाद नए बालों को रीटचिंग से सेट किया जा सकता है । रीबॉन्डिग में बालों को पहले धोया जाता है । फिर प्रोटीन को बालों में लगाया जाता है, जिससे बाल पूरी तरह ढक जाते हैं । इसके बाद बालों पर निर्धारित समय के लिए रासायनिक सॉल्यूशन लगाते हैं । फिर धोने के बाद बालों को इतना ही ब्लो ड्राई करते हैं, जिससे बाल हल्के गीले भी रहें । उसके बाद हेअर स्ट्रेटनिंग थर्मल आयरन का प्रयोग किया जाता है ।
जब सारे बाल स्ट्रेट हो जाते हैं, तो एक अन्य सॉल्यूशन बालों में लगाया जाता है, जो बालों को दोबारा बनाता है, जिसे रीबॉन्डिग कहते हैं । फिर बालों को धो कर कंडीशन किया जाता है । इस प्रक्रिया के बाद बालों को कम से कम 2-3 दिन तक ना धोएं । अमूमन हेअर स्ट्रेट कराने की प्रक्रिया में 1,500 से 5,000 रुपए तक का खर्च आता है ।
स्ट्रेटनिंग आयरन : हेअर स्ट्रेटनिंग आयरन से बालों में सीधी हीट दे कर उन्हें स्ट्रेट किया जाता है । सिरेमिक की रॉड्स भी इस्तेमाल में लायी जाती हैं । ये महंगी जरूर हैं, लेकिन बालों को कम नुकसान पहुंचाती हैं । सावधान रहें कि सिरेमिक आयरन रॉड नकली भी मिलती हैं ।
देखभाल करें : बार-बार स्ट्रेटनिंग ना कराएं । सौम्य शैंपू व एक्सट्रा रिच कंडीशनर प्रयोग में लाएं । हफ्ते में एक बार बालों को हॉट ऑइल थेरैपी दें । बाल सुलझाने के लिए चौड़े दांतोंवाला ब्रश इस्तेमाल में लाएं । बाल दोमुहें होते ही कटवा दें | आंवला, बेल, ब्राह्मी, हिना, मिंट, मारगोसा, त्रिफला युक्त आयुर्वेदिक पाउडर प्रयोग में लाएं । यह स्कैल्प को साफ करके बालों को कंडीशन करता है, जिससे बाल मजबूत होते हैं ।
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