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-संतुलित भोजन का बहुत महत्व होता है। इसी संतुलन से शरीर चुस्त और सक्रिय बनता है ।
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-संतुलित भोजन का बहुत महत्व होता है। इसी संतुलन से शरीर चुस्त और सक्रिय बनता है ।
संतुलित भोजन से तात्पर्य होता है, उस भोजन से जिसमें सही मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों का समावेश हो। सही मात्रा में विटामिंस, खनिज और वसा अम्ल के अभाव में चबी और शक्कर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाती। भोजन में खाद्य पदार्थों के सही चयन से शरीर का वजन कम हो सकता है।
एण्टीऑक्सीडेण्ट्स का महत्व
जो तत्व, शरीर में मौजूद विभिन्न तत्वों से ऑक्सीजन की क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न जहरीले नुकसानदायक तत्वों का निर्माण होने से रोकते हैं, उन्हें ही एण्टीऑक्सीडेंट्स कहते हैं।
वजन कम करने की प्रक्रिया में शरीर की रक्षा के लिए एण्टीऑक्सीडेंट्स आवश्यक हैं। जब शरीर में जमी हुई चबी पिघलती है तो उसमें कुछ विषैले तत्व भी शामिल होते हैं। विभिन्न रोगों व मोटापे से बचाव के लिए निम्न मात्रा में एण्टीऑक्सीडेण्ट्स की आवश्यकता होती है।
एण्टीऑक्सीडेण्ट्स मात्रा
विटामिन ‘सी’ 1-2 ग्राम
विटामिन ‘ई’ 100-400 आई-यू०
जिंक पिकोलिनेट 15-50 मि०ग्रा० नित्यप्रति
सेलेनियम 100 मि०ग्रा० नित्यप्रति
एन-एसिटाइल सिस्टिन (NAC) 1000 मिoग्राo नित्यप्रति
वसा रहित दूध 150 मि०ग्रा० नित्यप्रति
क्रोमियम पिकोलिनेट 200-600 माइक्रोग्राम
ध्यान रखें कि मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगियों को चार्ट में दर्शाया गया NAC सप्लीमेण्ट नहीं लेना चाहिए। अन्यथा शरीर में इंसुलिन की कार्य प्रणाली में गड़बड़ी पैदा हो सकती है।
यदि डायटिंग करनी है तो किसी पोषक आहार विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें ।
विटामिन ‘सी’
यह वज़न घटाने और थॉयराइड हार्मोस के निर्माण में सहायक होता है। इससे शरीर की मेटाबॉलिक क्रियाएं (चयापचय क्रियाएं) ठीक से संचालित होने और चबी घटाने में मदद मिलती है। चबी घटाने में एक महत्वपूर्ण तत्व ‘कार्निटाइन’ (Cornitine) का निर्माण भी विटामिन ‘सी’ ही करता है।
क्रोमियम पिकोलिनेट
यह तत्व शरीर में वसा और शक्कर की मात्रा कम करने में प्रभावशाली है। आहार में नियमित 200-600 माइक्रोग्राम क्रोमियम पिकोलिनेट आवश्यक होता है।
कार्निटाइन
यह विटामिन रहित पौष्टिक तत्व है जो शरीर में वसा अम्ल को कोशिकाओं में पहुंचाता है। यह चर्बी जलाने में मददगार होता है। शरीर में इसका निर्माण अमीनो एसिड, लायसिन, मिथियोनीन, विटामिन सी, बी-3 और बी-6 की सहायता से होता है।
जस्ता (जिंक)
यह एक महत्वपूर्ण खनिज है। इसके कारण ऊतकों को इंसुलिन के प्रभाव को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इसकी सहायता से इंसुलिन द्वारा शक्कर का पाचन होता है और शरीर में जमा चर्बी पिघलती है, जिससे वजन घटने लगता है।
सेलेनियम
यह तत्व शरीर में मौजूद जहरीले तत्वों को निकालने के लिए आवश्यक है।
को एंजाइम क्यू-10
यह पौष्टिक तत्व, हमारे इम्यून सिस्टम और ह्रदय की कार्यछमता बढ़ाने में सहायक होता है। अधिकतर मोटे लोगों में इस तत्व की कमी होती है। इसकी नियमित 7 मि०ग्रा० मात्रा आवश्यक होती है।
हृदय रोगियों को अपने विशेषज्ञ से परामर्श करके ही यह तत्व लेना चाहिए अन्यथा नुकसान भी हो सकता है।
जी-एल-ए (GLA)
यह वसा अम्ल है जो शरीर की चर्बी को खर्च करने में सहायक होता है। शरीर में इसका निर्माण सूर्यमुखी और मक्का या अनाज के तेल से होता है। मैग्नीशियम, जिंक, विटामिन-बी और अन्य पौष्टिक तत्वों के अभाव में इसका निर्माण शरीर में पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाता।
शराब, शक्कर और रिफाइण्ड फूड का अधिक सेवन करने वालों के शरीर में इस तत्व की कमी हो जाती है। जिन लोगों की थॉयराइड ग्रंथि पूरी तरह सक्रिय नहीं हो पाती, उनके शरीर में भी जरूरत के मुताबिक GLA निर्मित नहीं हो पाता। ऐसे में पीले गुलाब का तेल, ब्लैक करेण्ट सीड के तेल और बोरेज़ तेल से हमें GLA की प्राप्ति होती है। चिकित्सक से सलाह करके इसकी मात्रा निर्धारित कराएं।
सन के बीज का तेल
शरीर में वजन घटाने वाले हारमोंस का निर्माण बगैर चबींयुक्त अम्ल के सम्भव नहीं और इसका श्रेष्ठ स्रोत सन बीज के तेल और कैनीला तेल होता है। वसा में कैलोरी अधिक होती है, किंतु सही चिकनाई का चुनाव कैलोरी जलाने में सहायक होता है।
ब्रिण्डाल बेरी
इसका वैज्ञानिक नाम ‘गासीनिया केम्बोजिया’ है। यह एक रसदार फल होता है। इसमें H.C.A. (हाइड्रोक्सी साइट्रेट) यौगिक पाया जाता है। यह शरीर में चर्बी बनाने वाले एंजाइम की रोकथाम करता है। यह अतिरिक्त चर्बी जलाने में सहायक होता है। अध्ययन बताते हैं कि तीन माह तक प्रतिदिन 500 मि०ग्रा० खुराक के रूप में दिन में तीन बार लेने से 10 पौण्ड तक वजन घटाया जा सकता है।
लोहा (आयरन)
शरीर में कार्निटाइन के निर्माण और वजन घटाने के लिए लौह तत्व की प्रचुर मात्रा में आवश्यकता पड़ती है। इसकी कमी थॉयराइड की सक्रियता भी घटाती है और शरीर का तापमान भी। इसके लिए सीरम फेरिटिन टेस्ट द्वारा यह पता लगा सकते हैं कि शरीर में लौह तत्व की कमी है या नहीं।
मसाले और वनस्पति
भोजन में जायके के साथ खनिजों की प्राप्ति के लिए भी मसाले आवश्यक होते हैं। मेथीदाना, दालचीनी, लौंग आदि से रक्त में शुगर के अनुपात का संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलती है।
रेशेदार पदार्थ
फाइबर (रेशायुक्त) भोजन ग्रहण करने से यकीनन वजन में कमी आती है। रेशा युक्त भोजन हम दलिया, चोकर युक्त रोटी, अंकुरित अनाज, कच्ची खाई जाने वाली हरी सब्जियां, फल आदि से प्राप्त कर सकते हैं। यह पदार्थ पाचन को भी सुचारु बनाते हैं, विटामिंस की भी पूर्ति करते हैं और कब्ज भी नहीं होने देते।
पानी
जल का शरीर के लिए बहुत महत्व है। प्रात:काल गुनगुने पानी में (एक गिलास), एक चम्मच शुद्ध शहद व आधा नींबू निचोड़कर पीने से, शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, कब्ज टूटती है और शरीर में स्फूर्ति आती है। इसके दैनिक प्रयोग से वजन घटाने में भी मदद मिलती है। खाने के साथ या फौरन बाद अधिक पानी नहीं पीना चाहिए किंतु थोड़ीथोड़ी मात्रा में दिन भर में कम-से-कम तीन लीटर जल अवश्य पीना चाहिए। यह त्वचा की भी सफाई करता है और दिन भर तरो-ताज़ा बनाए रखता है
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