as per एबीपी :
नयी दिल्ली: दूरसंचार नियामक (ट्राई) ने दूरसंचार कंपनियों से एक जनवरी से प्रभावी कॉल ड्रॉप नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है. वहीं कंपनियों ने विद्रोही रुख कायम रखते हुए कहा है कि वे इस मद में ग्राहकों को मुआवजा तभी देंगी जबकि अदालती आदेशों में उनसे ऐसा करने को कहा जाएगा.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 16 अक्तूबर, 2015 को दूरसंचार उपभोक्ता सुरक्षा नियमन के संबंध में संशोधन जारी किया है जिसमें उसने एक नियम जोड़ा है कि मोबाइल सेवा प्रदाता अपने नटवर्क में किसी कमी के कारण फोन कॉल खुद कट जाने यानी कॉल ड्राप के लिए उपभोक्ताओं की हर्जाना देंगे.
इस नियम के तहत दूरसंचार कंपनियां हर कॉल ड्राप के लिए एक रपये का मुआवजा देंगी और भुगतान की सीमा तीन रपये प्रतिदिन होगी.
दूरसंचार कंपनियों ने इस नियम के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
एसोसिएशन ऑफ यूनिफाइड टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स आफ इंडिया के महासचिव अशोक सूद ने कहा, ‘‘यह मामला अभी न्यायालय में है और हम उपभोक्ताओं को भुगतान तभी करेंगे जबकि अदालत हमें ऐसा करने के लिए कहता है.’’
सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, ऑस्पी और वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस समेत 21 दूरसंचार परिचालकों ने कहा है कि यह फैसला यह जानते हुए किया गया है कि भौतिकी के नियमों के मुताबिक 100 प्रतिशत कॉल ड्रॉप मुक्त नेटवर्क मुहैया कराना असंभव है.
दूरसंचार परिचालकों ने अदालत से कहा है कि यदि जुर्माना लगाया जाता है तो कंपनियों को करीब 1,000-1,500 करोड़ रपये का भुगतान करना होगा.
ट्राई ने हालांकि कहा है कि यदि नेटवर्क नहीं सुधरते तो इस नियम से साल भर ज्यादा से ज्यादा 800 करोड़ रपये का खर्च आएगा.
latest hindi news update by police prahari news
0 comments:
Post a Comment