as per एबीपी :
New Delhi: पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में थोड़े से समय में लगातार तीन बार बढोतरी से चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकारी खजाने को 10,000 करोड़ रपए अतिरिक्त मिलेंगे जिससे विनिवेश प्राप्ति तथा प्रत्यक्ष कर संग्रह में संभावित कमी की आंशिक भरपाई हो सकेगी.
उत्पाद शुल्क न हो तो दिल्ली में पेट्रोल की कीमत करीब 49.05 रपए प्रति लीटर और डीजल की 35.06 रपए प्रति लीटर होगी.
फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 59.35 रपए प्रति लीटर है जबकि डीजल की कीमत 45.04 रपए प्रति लीटर है.
इस मद में ज्यादा प्राप्ति से सरकार को मार्च 2016 में समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.9 प्रतिशत पर रखने में मदद मिलेगी. भले ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री का हाल अच्छा नहीं है.
सरकार ने हालांकि चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से 69,500 करोड़ रपए जुटाने का लक्ष्य रखा है लेकिन अब तक सिर्फ 12,700 करोड़ रपए जुटाए जा सके हैं और 2015-16 के शेष तीन महीनों में कोई बड़ी हिस्सेदारी बिक्री की संभावना कम है.
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने स्वीकार किया है कि विनिवेश प्रक्रिया से प्राप्ति करीब 50,000 करोड़ रपए कम रहेगी और प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य से 30,000-40,000 करोड़ रपए कम रहेगा. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि अप्रत्यक्ष कर और गैर कर राजस्व से ज्यादा प्राप्ति से उक्त कमी की भरपाई हो जाएगी.
चालू वित्त वर्ष में तीन बार उत्पाद शुल्क में कुल 2.27 रपए प्रति लीटर और डीजल में 3.47 रपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है जिससे सरकार को चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में 10,000 करोड़ रपए का राजस्व मिलेगा.
नवंबर 2014 से जनवरी 2015 के बीच चार बार उत्पादशुल्क में बढ़ोतरी से पेट्रोल की कीमत 10.02 रपए प्रति लीटर और डीजली की कीमत 9.97 रपए प्रति लीटर बढ़ी.
आंकड़े के मुताबिक नवंबर 2015 के अंत तक राजकोषीय घाटे के स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ.
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