as per एबीपी :
नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय जहां अगले साल से तंबाकू उत्पादों पर बड़ी तस्वीरों के साथ चेतावनियां छापने के लिए राजी हो गया है, वहीं उसने बच्चों को घातक लेकिन रोकथाम योग्य बीमारियों से सुरक्षित बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम भी शुरू किया है. तंबाकू उत्पादों पर बड़ी तस्वीरों के साथ चेतावनी का मुद्दा इस वर्ष बेहद चर्चा में रहा.
इस साल मंत्रालय ने भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम लाने का फैसला भी किया है ताकि बच्चों को टीके के जरिए रोकी जा सकने वाली बीमारियों से सुरक्षित बनाया जा सके. यह काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम के लिए समुदाय में बहु-दवा प्रतिरोधी तपेदिक के प्रादुर्भाव का बेहतर आकलन उपलब्ध करवाने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रव्यापी दवा प्रतिरोधी सर्वेक्षण भी शुरू किया गया. सर्वेक्षण के तहत, नमूनों को 13 तपेदिक-रोधी दवाओं की सुग्राह्यता जांच में इस्तेमाल किया जाएगा और इसके नतीजे एक माह में आ सकते हैं.
तंबाकू उत्पादों पर बड़े चित्रों के साथ चेतावनी छापने की मंत्रालय की योजना साल की शुरूआत में खटाई में पड़ गई थी और उसे संसदीय समिति के फैसले के इंतजार में इसे अनिश्चित काल तक टालना पड़ा था. यह समिति इस मामले पर विचार कर रही थी. समिति सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) नियम, 2008 में संशोधन के विवादपूर्ण मुद्दे पर विचार कर रही थी. इस संशोधन का उद्देश्य तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी के चित्रों के मौजूदा 40 प्रतिशत आकार को बढ़ाकर 85 प्रतिशत करना है.
यह पैनल उस समय विवाद में घिर गया था, जब इसके अध्यक्ष और भाजपा के दिलीप गांधी और श्याम चरण गुप्ता एवं राम प्रसाद शर्मा जैसे सदस्यों ने दावा किया इस बात का कोई सीधा प्रमाण नहीं है सिगरेट पीने से कैंसर होता है. उन्होंने यह भी कहा था कि सिगरेट पीने से ‘कोई असर नहीं’ होता. राजस्थान उच्च न्यायालय ने नौ सितंबर को केंद्र को यह आदेश दिया कि वह 29 सितंबर से सभी तंबाकू उत्पादों पर बड़े आकार के चित्रों वाली चेतावनियां छापना सुनिश्चित करे. इसके चलते मंत्रालय को मामले की सुनवाई से एक दिन पहले ही जल्दबाजी में एक अधिसूचना लानी पड़ी.
इसमें कहा गया था कि एक अप्रैल 2016 से सभी तंबाकू उत्पादों के पैकेटों के 85 प्रतिशत हिस्से पर चेतावनी छपी होगी. मौजूदा आकार 40 प्रतिशत का है. मंत्रालय ने इस साल महत्वपूर्ण अभियान ‘मिशन इंद्रधनुष’ की भी शुरूआत की. इसका उद्देश्य उन 89 लाख से ज्यादा बच्चों को पूरी तरह प्रतिरक्षित करना है, जिनका टीकाकरण या तो हुआ ही नहीं है या फिर आंशिक रूप से हुआ है. इसमें वे बच्चे भी शामिल हैं, जो विभिन्न कारणों के चलते टीकाकरण के नियमित चरणों में शामिल नहीं किए जा सके. इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को सात ऐसी बीमारियों से पूरी तरह सुरक्षित बनाना है, जो घातक तो हें लेकिन टीके के जरिए उनकी रोकथाम संभव है.
ये बीमारियां हैं- डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, तपेदिक, खसरा और हिपेटाइटिस-बी. अब तक 75.5 लाख बच्चों को प्रतिरक्षित बनाया जा चुका है और लगभग 20 लाख बच्चे पूरी तरह प्रतिरक्षित हैं. मंत्रालय ने कहा कि 20 लाख से ज्यादा महिलाओं का टीकाकरण किया गया है और 11 लाख महिलाएं पूरी तरह प्रतिरक्षित हैं. यूआईपी के तहत मंत्रालय ने नए टीके लाने का भी फैसला किया.
मंत्रालय ने कहाा कि उसने आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और असम में प्रस्तावित देश के नौ नए एम्स के कामकाज की गति बढ़ा दी है. वहीं मंत्रालय ने दावा किया कि रायपुर, भोपाल, पटना, भुवनेश्वर, रिषीकेश और जोधपुर के कुल छह एम्स में अस्पताल का कामकाज शुरू हो चुका है और एमबीबीएस की शैक्षणिक गतिविधियांे के अलावा उच्च स्तरीय चिकित्सीय सेवा उपलब्ध करवाई जा रही है.
0 comments:
Post a Comment