as per एबीपी :
सिर तथा गर्दन की पारंपरिक तरीके से सर्जरी करने वाले एक से बढ़कर एक सर्जन हैं और आनेवाले समय में देश ऐसी सर्जरियों को रोबोट की सहायता से अंजाम देने की दिशा में अग्रसर है. यह बात अमेरिका के एक मशहूर रोबोटिक सर्जन ने कही.
स्टैनफोर्ड कैंसर सेंटर में सिर व गर्दन के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.क्रिस होलसिंगर (48) साल 2008 से ही भारत के सिर व गर्दन के कैंसर रोग विशेषज्ञों के साथ संपर्क में हैं.
होलसिंगर ने एक ई-मेल साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, “मैं भारत में अधिक से अधिक अस्पतालों के साथ मिलकर काम करना और सिर व गर्दन के कैंसर रोगियों के इलाज में हाथ बंटाना पसंद करूंगा.”
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, देश में प्रत्येक वर्ष सिर व गर्दन में कैंसर के दो लाख से अधिक मामले सामने आते हैं. इनमें से तीन चौथाई मामले मुख गुहा (ओरल कैविटी), गला व कंठ के कैंसर के होते हैं.
होलसिंगर ने कहा, “ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) नेगेटिव मरीजों के अध्ययन के लिए स्टैनफोर्ड मेडिकल सेंटर भारत के शीर्ष स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं जैसे दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (अरजीसीआईआरसी) तथा मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रमुख कैंसर रोग विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहा है.”
होलसिंगर ने जोर देते हुए कहा, “लेकिन अमेरिका में ऐसी बीमारी की घटना बेहद दुर्लभ है. मेरा मानना है कि दिल्ली में जुटे भारत के सिर व गले के रोबोटिक सर्जन्स का यह सहायता संगठन इस अध्ययन की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करेगा और इसके नतीजों से मरीजों की स्थिति में सुधार होगा.”
उन्होंने कहा, “अमेरिका में, जब दोनों क्षेत्रों के दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया जाता है, तो हमें बेहतर परिणाम देखने को मिलता है. दूसरे शब्दों में, सर्जन व रेडिएशन कैंसर विशेषज्ञ दोनों को कुशल, लेकिन अपने मरीज के प्रति लचीलापन रुख अख्तियार करने का पक्षधर होना चाहिए.”
विभिन्न रूपों में तंबाकू का इस्तेमाल (धूम्रपान, पान व गुटखा चबाना) सिर व गर्दन खासकर मुख के कैंसर का प्रमुख कारण है.
नई दिल्ली में एक कार्यशाला में पिछले सप्ताह हिस्सा लेने आए होलसिंगर ने कहा, “तंबाकू व शराब का इस्तेमाल जोखिम को और बढ़ाता है. कई ज्ञात जीन हैं, जो सिर व गर्दन के कैंसर से संबंधित हैं, लेकिन दुर्लभ रूप में ही यह बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है.”
कंप्यूटर की सहायता से (सर्जिकल रोबोट) सिर व गर्दन के कैंसर की सर्जरी में सर्जन को बेहद मदद मिलती है, क्योंकि वे प्रभावित कोशिकाओं व ऊत्तकों को बेहद स्पष्ट तरीके से देख पाते हैं.
डॉ.होलसिंगर ने कहा, “एचपीवी के कारण अमेरिका में सिर व गले के कैंसर के रोगियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है, साथ ही भारत में भी यही हाल है.”
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