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ABP NEWS EXCLUSIVE: ऐसे क्यों हैं सलमान?
as per एबीपी :
नई दिल्ली: बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान पर लिखी गई पहली और मोस्ट अवेटेड बायोग्राफी “ऐसे क्यों हैं सलमान” उनके पचासवें जन्मदिन पर आखिरकार रिलीज हो गई. इस किताब में सलमान से जुड़े ऐसे कई खुलासे किए गए हैं जिन्हें शायद बहुत कम लोग ही जानते हैं.
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ट्विटर पर ट्रेंड
आपको बता दें कि इस किताब को लेकर सलमान खान के चाहने वालों में इतना क्रेज है कि पिछले कई घंटों से #SalmanKhanBiographyOutNow माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है.

जानें कहां और कैसे मिल सकती है ये किताब?
सलमान ख़ान पर लिखी गई बायोग्राफी “बीइंग सलमान” को आप ई कॉमर्स बेवसाइट अमेजन और फ्लिपकार्ट से से खरीद सकते हैं. केवल इतना ही नहीं इसके साथ ही साथ आप इस किताब को बुक स्टाल से भी खरीद सकते हैं.

13 साल की उम्र में सलमान की पहली गर्लफ्रेंड
बॉलीवुड के ‘दबंग’ सलमान खान की पहली गर्लफ्रेंड महज 13 साल की उम्र में बनी थी. इसके साथ ही आप किताब से ये भी जान सकते हैं कि क्यों अब तक कुंवारे हैं सलमान?
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सलमान पर बड़ा खुलासा!
इस किताब में सलमान के कांकाणी हिरण शिकार केस से जुड़ी ऐसी बातें भी दर्ज हुई है जिनका इस केस पर असर पड़ सकता है. बड़ा खुलासा ये है कि सलमान पर राजस्थान के कांकाणी में हिरण के शिकार का जो केस दर्ज हुआ है उसके दो गवाहों ने कोर्ट में जो बयान दिया है और उनके जो बयान किताब में दर्ज हैं उनमें फर्क है. किताब में दर्ज बयान के मुताबिक एक गवाह ने कहा है कि उसने रात में मरे हुए हिरण को देखा था जबकि दूसरे गवाह ने कहा है कि उसने रात में मरा हुआ हिरण नहीं देखा, अहम बात ये है कि इन दोनों गवाहों में से एक गवाह ने कहा है कि दोनों उस रात साथ ही थे जिस रात शिकार की बात कही जा रही है.
बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान ख़ान अक्सर अच्छी – बुरी खबरों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं लेकिन अब सलमान पर लिखी पहली बायोग्राफी उनके बर्थडे पर रिलीज हो गई है. बताया जा रहा है कि किताब में सलमान ख़ान के बारे में कई ऐसी चौकाने वाली बातें दर्ज हुई हैं जो आज तक अनसुनी रही हैं. इस किताब में हिरण शिकार केस को लेकर भी अहम खुलासे किए गए है.
दरअसल सलमान ख़ान पर जोधपुर की अदालतों में हिरण शिकार के तीन केस चल रहे हैं जिनमें से एक केस में 1 अक्टूबर 1998 की दरमियानी रात में कांकाणी गांव में सलमान पर काले हिरणों का शिकार करने का आरोप लगा है. कांकाणी शिकार केस में शेराराम, मांगीलाल, छोगाराम और पूनमचंद बिश्नोई नाम के चार चश्मदीद गवाह है. इन गवाहों में से दो गवाहों शेराराम और मांगीलाल से बीइंग सलमान के लेखक जसीम खान ने बात की है और शिकार केस के बारे में उनके बयान अपनी किताब में दर्ज किए हैं. चौकाने वाली बात ये है कि शिकार केस के चश्मदीद गवाह शेराराम और मांगीलाल ने जो बयान कोर्ट में दिए हैं और उनके जो बयान इस किताब में दर्ज हुए है उनमें बड़ा विरोधाभास सामने आया है.
इस किताब के पेज नंबर – 160 पर लिखा है कि “शेराराम बिश्नोई ने मुझे बताया कि 1 अक्टूबर 98 की रात को वो अपने घर की छत पर सो रहे थे और जैसे ही गोली की आवाज़ आई तो उन्होंने देखा कि एक गाड़ी रोड पर से जा रही है. और आगे जाकर उसने बंदूक का और ठस्का मारा. इसके बाद उन्होंने मांगीलाल बिश्नोई को आवाज़ दी कि शिकार हो रहा है तो फिर मांगीलाल ने उनसे कहा कि पूनम और छोगाराम भी पीछे गए हैं. इसके बाद शेराराम भी मांगीलाल को मोटरसाइकिल पर बैठा कर उनके पीछे गए. लेकिन इस घटना को दूसरे चश्मदीद मांगीलाल बिश्नोई ने अलग तरह से बताया है. मांगीलाल ने मुझे बताया है कि 1 अक्टूबर 1998 की बात है रात का 1 बजा था. तभी बंदूक की आवाज़ आई थी.
छोगाराम की आवाज़ भी सुनाई दी. उन्होंने आवाज़ लगाई कि शिकार हो रहा है. शोर -शराबा सुनकर उसकी आंख खुल गई. फिर मांगीलाल ने शेराराम को आवाज़ दी. उन्होंने पूछा कि क्या हुआ तो मांगीलाल ने कहा कि शिकार की बातें चल रही है और पूनमचंद , छोगाराम गए हैं. वो अकेले है दोनों, हम भी उनके पीछे चले. मांगीलाल बिश्नोई बताते हैं कि “जैसे ही हम रोड पर चढ़े तो हमको जिप्सी दिखाई दे रही थी. हम वहां रोड पर रुक गए. रुक कर हमने मोटर-साइकिल साइड में खड़ी कर दी. और जिप्सी को रोड पर रुकाने का इशारा किया. जिप्सी धीरे हुई. बिल्कुल धीरे -धीरे हमारे पास से गुज़र रही थी, मेरे हाथ लट्ठ था हमने वो मारा. तो वो बंदूक दिखा कर हमारे पास से निकल गए.”
मांगीलाल बिश्नोई का कहना है कि उन्होंने जिप्सी का नंबर नोट कर लिया था और ये भी देखा कि गाड़ी सलमान ख़ान चला रहे थे जबकि उनकी बगल में सैफ़ अली ख़ान बैठे थे. मांगीलाल और शेराराम, ढाणी से जोधपुर रोड तक जिप्सी का पीछा करने के बाद नाकाम वापस लौट आए थे. मांगीलाल बिश्नोई का कहना हैं कि जब वो कांकाणी से वापस गुड़ा की तरफ आए तो छोगाराम बिश्नोई और पूनमचंद बिश्नोई उनको मिल गए. फिर उन्होंने मिलान किया कि ऐसे- ऐसे आदमी थे और ऐसी -ऐसी नंबर की गाड़ी थी. मांगीलाल बिश्नोई आगे बताते हैं कि “तो उन्होंने कहा कि यहां -यहां गोली चली है और हिरण दौड़ते हुए मैंने देखा. वो भी दो ही थे और जिप्सी में ज़्यादा सवार थे. तो हम जाकर वापस वो घटनास्थल पर गए तो हिरण मरते पड़े थे. एक तो फर्लांग पर ही पड़ा था. दूसरा पलासी के घर पे थे. तो हमनें रात भर चौकीदारी की एक दो ढ़ाणी वालों को आवाज़ दी चार -पांच लोग आ गए और रात भर हम वहीं बैठे रहे, सवेरे को पूनमचंद जी और छोगाराम जी वन विभाग की चौकी गुड़ा (गांव) पर गए.”
मांगीलाल बिश्नोई ने मुझे शिकार का जो घटनाक्रम बताया कमोबेश वही सारी बातें चश्मदीद गवाह शेराराम ने भी मुझे बताईं सिवाए इस बात के कि दोनों मरे हुए काले हिरण रात में नहीं बल्कि उन्होंने सुबह देखे थे. चश्मदीद गवाह शेराराम बिश्नोई का कहना है कि “गाड़ी सलमान ख़ान चला रहा था. हमनें गाड़ी की हेडलाइट में पहचाना. रात में हमने दो -तीन बार आवाज़ सुनी पिस्तौल की, बंदूक की. रात में तो हमको शिकार मिला नहीं लेकिन सुबह जहां आवाज़ आई, वहीं वहां- वहां हमनें देखा तो हमको दो काले हिरण मिले. और फिर बाद में सुबह वन चौकी पर गए. जोधपुर गए और फिर वहां सारी बात बताई.” शेराराम और मांगीलाल ने ये भी बताया है कि वो बंदूक की गोली की आवाज़ सुन कर जागे थे और छोगाराम भी शौच करने घर से निकले थे तो उन्हें गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी थी. उन्होंने (छोगाराम) उस तरफ देखा कि एक जिप्सी घूम रही थी. उसका लाइट दिख रहा था. फिर वो मोटर साइकिल लेकर पूनमचंद के साथ उस तरफ गए कि शायद कोई शिकारी आया है.
कांकाणी हिरण शिकार केस में पूनमचंद, छोगाराम, शेराराम और मांगीलाल बिश्नोई ये चार चश्मदीद गवाह है. इनमें से दो गवाहों ने जो बातें मुझे बताई और चार्जशीट में इनके जो बयान दर्ज हैं दोनों बयानों में ज़्यादा कोई फर्क तो नहीं है सिवाए इन दो बातों के. पहली बात ये कि मांगीलाल का कहना है कि वो शोर- शराबा सुन कर उठे और फिर उन्होंने शेराराम को जगाया. वही शेराराम का कहना है कि उन्होंने जिप्सी सड़क पर जाते देखी और गोली की आवाज़ सुनी फिर उन्होंने मांगीलाल को आवाज़ दी. दूसरी बात ये है कि मांगीलाल ने ये कहा है कि मरे हुए हिरण उन्हें रात में ही मिल गए थे और उन्होंने रात भर उनकी रखवाली भी की थी. वहीं दूसरे चश्मदीद शेराराम का कहना है कि मरे हुए हिरण अंधेरे की वजह से रात में नहीं मिले थे वो उन्हें सुबह मिले थे.
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