as per एबीपी :
नई दिल्ली: डीडीसीए घोटाले की जांच के लिए केजरीवाल ने जो जांच आयोग बनाया है उसके अध्यक्ष गोपाल सुब्रमण्यम ने देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को चिट्ठी लिखी है. मांग की है कि डीडीसीए घोटाले की जांच के लिए अपनी टीम के लिए खुफिया अफसर दें.
सुब्रमण्यम ने आईबी, सीबीआई और दिल्ली पुलिस के अफसर मांगे हैं. इसके साथ ही सुब्रमणयम ने मांग की है जो अधिकारी उपलब्ध कराए जाएं वे ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर के हों. आपको बता दें कि सीबीआई तो स्वंतत्र एजेंसी है लेकिन आईबी और दिल्ली पुलिस तो मोदी सरकार को ही रिपोर्ट करती है.
राजनाथ से मिले डोभाल
गोपाल सुब्रमणयम की इस मांग के बाद आज अजीत डोभाल गृहमंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों से मिले. सूत्रों की माने तो इस बैठक में गोपाल सुब्रमणयम की इस मांग पर चर्चा हुई.
गोपाल सुब्रमणयम की इस मांग के बाद आज अजीत डोभाल गृहमंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों से मिले. सूत्रों की माने तो इस बैठक में गोपाल सुब्रमणयम की इस मांग पर चर्चा हुई.
अवैध है केजरीवाल का जांच आयोग!
दिल्ली सरकार डीडीसीए जांच के लिए बनाए अपने आयोग को सही ठहरा रही है. गृह सचिव राजीव महर्षि आज केजरीवाल सरकार को बताने वाले हैं कि उन्होंने जो जांच आयोग बनाया है वो अवैध है. दिल्ली के एलजी नजीब जंग भी आयोग को गैर कानूनी बता चुके हैं.
दिल्ली सरकार डीडीसीए जांच के लिए बनाए अपने आयोग को सही ठहरा रही है. गृह सचिव राजीव महर्षि आज केजरीवाल सरकार को बताने वाले हैं कि उन्होंने जो जांच आयोग बनाया है वो अवैध है. दिल्ली के एलजी नजीब जंग भी आयोग को गैर कानूनी बता चुके हैं.
आम आदमी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गोपाल सुब्रमणयम की चिट्ठी का हवाला देते हुए जांच आयोग को सही बताया था. गोपाल सुब्रमणयम का यह भी कहना है कि विधानसभा में प्रस्ताव पास किया गय़ा है इसलिए इस मामले में जांच करना अनिवार्य हो जाता है।
कमीशन को अवैध घोषित कर सकती है मोदी सरकार
गृह मंत्रालय मंत्रालय से दिल्ली सरकार को डीडीसीए पर चिट्ठी भेजी जा सकती है जिसमें दिल्ली सरकार के द्वारा डीडीसीए घोटाले पर गठित कमीशन ऑफ इंक्वायरी को अवैध करार दिया जा सकता है.
गृह मंत्रालय मंत्रालय से दिल्ली सरकार को डीडीसीए पर चिट्ठी भेजी जा सकती है जिसमें दिल्ली सरकार के द्वारा डीडीसीए घोटाले पर गठित कमीशन ऑफ इंक्वायरी को अवैध करार दिया जा सकता है.
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