as per ABP :
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के एक अग्रणी अखबार ने शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के उस विश्वास को सराहा जो उन्होंने दोनों देशों के बीच की बातचीत में जताया है. साथ ही, अखबार ने चेतावनी दी है कि ‘आतंक की कोई भी घटना इस शुरुआती स्तर के संवाद को तबाह कर सकती है. ‘
डॉन अखबार ने अपने संपादकीय ‘इंडियन एफएम रिजाल्व’ में लिखा है, “ऐसा नहीं लगा कि यह वही सुषमा स्वराज हैं जिन्होंने अगस्त में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता विफल होने की सरताज अजीज को चेतावनी दी थी.”
सुषमा ने बुधवार को संसद में दिए बयान में कहा था कि ‘युद्ध कोई विकल्प नहीं है.’ उन्होंने पाकिस्तान से वार्ता शुरू करने के सरकार के फैसले का दृढ़ता से बचाव किया था.
सुषमा ने ‘तमाम समस्याओं’ का जिक्र किया था लेकिन उनकी बात से साफ था कि ये सभी आतंकवाद से संबद्ध हैं.
डॉन ने संपादकीय में लिखा है, “तय ही है कि स्वराज एक उग्र विपक्ष के सामने ‘के’ (कश्मीर) शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकती थीं. लेकिन, उन्होंने बातचीत शुरू करने का दृढ़ता से बचाव किया. दो दिन पहले भी उन्होंने एक ऐसे विपक्ष के सामने पाकिस्तान यात्रा का जिक्र किया था जिसे लगता है कि छिछोरेपन में मजा आता है.”
अखबार ने लिखा है, “नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत ने जो कड़ी नीति अपनाई है, उसे देखते हुए सुषमा की इस बात का स्वागत होना चाहिए कि वह वार्ता जारी रखने की पक्षधर हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत अपने इस वादे से बचने के बहाने नहीं खोजेगा.”
संपादकीय में कहा गया है कि मुंबई के आतंकी हमले के नतीजों को देखते हुए इस बात की सख्त जरूरत है कि 16 सितंबर 2006 को हवाना में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच तय हुई ‘आतंकवाद रोधी संस्थागत प्रणाली’ को फिर से जीवित किया जाए.
अखबार ने लिखा है, “यह प्रणाली कभी काम ही नहीं शुरू कर सकी. इसे धूल फांक रही फाइलों से निकालना होगा. आंतक की एक भी कार्रवाई इस ताजा संवाद को खत्म कर सकती है लेकिन, जैसा कि सुषमा स्वराज ने कहा है कि ‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विध्वंसक तत्वों के भड़काने पर’ शांति प्रक्रिया को नहीं रोकेंगे. “
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