as per ABP :
नई दिल्ली: अमेरिका में राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हो चुकी हैं. भारतीय चुनाव में जिस तरह की बयानबाजियां होती हैं, कुछ उसी अंदाज में अमेरिका में भी जमकर बयानबाजी हो रही है. इन दिनों अमेरिका में जिनके बयान पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो हैं डॉनल्ड ट्रंप. अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है. डॉनल्ड अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में से एक हैं. चुनावी मैदान में आने के बाद से अपने बयानों की वजह से डॉनल्ड सिर्फ अमेरिकी लोगों के बीच ही नहीं पूरी दुनिया में जाना माना नाम बन चुके हैं. डॉनल्ड जिन बयानों से चर्चा में हैं वो है उनका मुस्लिमों पर दिया गया बयान. डॉनल्ड ट्रंप की शख्सियत के बारे में जानने से पहले आइए उनके हाल में दिये गए उनके बयानों पर नजर डालते हैं.
डॉनल्ड ट्रंप का सबसे विवादास्पद वो बयान बना जिसमें उन्होंने कहा कि अगर वो सत्ता में आए तो अमेरिका में मुस्लिमों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. ट्रंप के इस बयान की जमकर आलोचना हुई थी. व्हाइट हाउस ने ट्रंप के बयान को अमेरिकी मूल्यों और संविधान के खिलाफ बताया. फेसबुक के प्रमुख मार्क जकरबर्ग और गूगल के सीईओ गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी डॉनल्ड ट्रंप के मुस्लिम विरोधी बयान की आलोचना की.
इससे पहले रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहकर एक विवाद पैदा कर दिया है कि वह देश को आतंकवाद से बचाने के लिए अमेरिका में मुस्लिमों के डेटाबेस की व्यवस्था को लागू करेंगे. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के मुस्लिमों पर अभूतपूर्व निगरानी जरूरी है. ट्रंप ने एनबीसी न्यूज को बताया कि ‘ हम मस्जिदों पर निगाह रखने जा रहे हैं. हमें बहुत, बहुत सावधानी से देखना होगा.’ ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या पहले से अधिक निगरानी में बिना वारंट के तलाशियां भी शामिल हो सकती हैं, तो उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी चीज करने जा रहे हैं, जो हमने पहले कभी नहीं की. कुछ लोग इसे लेकर नाराज होंगे, लेकिन मेरा मानना है कि अब हर कोई यही सोच रहा है सुरक्षा सर्वोच्च होनी चाहिए.’
ट्रंप की टिप्पणियों से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया. डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के प्रमुख डेबी वासेरमैन शुल्ट्ज ने एक बयान में कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की ओर से मुस्लिम-अमेरिकी डेटाबेस और विशेष पहचानों को लेकर दिखाई गई सक्रियता शर्मनाक हैं, यह आज की रिपब्लिकन पार्टी की गैर समावेशी संस्कृति को दर्शाती है. यह एक ऐसी खतरनाक सोच है, जिससे हमारी महानतम पीढ़ी लड़ी थी और सात दशक पहले उसे हरा दिया था.’
डॉनल्ड के बयान और उनकी भाषा कुछ वैसी ही है जैसी भारत में साध्वी प्राची, योगी आदित्यनाथ या आजम खान या फिर ओवैसी जैसे नेताओं की होती है. हैरानी की बात है कि अमेरिका की राजनीति में डॉनल्ड के इस बयान पर हंगामा भी हुआ, आलोचना भी हुई लेकिन इसी की वजह से वो अमेरिकी नागरिकों के एक बड़े तबके का भरोसा जीतने में कामयाब होते दिख रहे हैं. पिछले महीने हुए सर्वेक्षण में 39% लोकप्रियता के साथ 11 अंक हासिल कर लोकप्रियता रेटिंग में डॉन्लड नई उंचाई पर पहुंच गए हैं. मुसलमानों पर दिये गए बयानों के बाद 69 वर्षीय ट्रम्प ने 11% की बढ़त ली है. उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी टेड क्रूज ने 18%, मार्को रूबियो 11% और बेन कार्सन ने 9% अंक हासिल किया है.
कौन हैं डॉनल्ड ट्रंप ?
रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बनने से पहले भी डॉनल्ड ट्रंप की अमेरिका में एक अलग पहचान थी. ट्रंप वो नाम है जिसे अमेरिका में और खास तौर से न्यूयॉर्क की रियल एस्टेट दुनिया में स्टेटस से जोड़ कर देखा जाता है. यानी जिन लोगों के पता में ट्रंप टावर, ट्रंप प्लेस, ट्रंप पार्क या ट्रंप प्लाजा जैसे नाम हों उन्हें खुशनसीब माना जाता है. रियल एस्टेट की दुनिया में डॉनल्ड ट्रंप एक बेहद सफल कारोबारी के तौर पर जाने जाते हैं.
अमेरिका के कई शहरों की आलीशान और गगन चुंबी इमारतें डोनाल्ड टंप की कामयाबी की जीती जागती मिसाल हैं. कंस्ट्रक्शन का कारोबार डॉनल्ड ट्रंप को अपने पिता फ्रेडरिक ट्रंप से विरासत में मिला. करीब 40 साल से रियल एस्टेट बिजनेस से जुड़े डॉनल्ड ट्रंप आज करीब 100 कंपनियों के मालिक हैं. डॉनल्ड खुद फ्लोरिडा के पाम बीच पर ट्रम्प पैलेस में रहते हैं जिसे अमेरिका की सबसे महंगी रिहाइशी इमारतों में से एक माना जाता है. लेकिन अब उनकी नजर वाशिंग्टन डीसी के व्हाइट हाउस पर है.
1946 में न्यूयॉर्क में पैदा हुए डॉनल्ड ट्रंप साइंस में ग्रैजुएट हैं. क़ॉलेज के दिनों में एक छात्र नेता के तौर पर उन्होने अपनी पहचान बनाई. वो एक एथलीट रहे हैं और फुटबॉल उनका पसंदीदा खेल है. शर्त लगाने के इतने शौकीन हैं कि शर्त के नाम पर अपने दोस्तों के सिर तक मुंडवा दिया करते थे.
डॉनल्ड ट्रंप का सबसे विवादास्पद वो बयान बना जिसमें उन्होंने कहा कि अगर वो सत्ता में आए तो अमेरिका में मुस्लिमों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. ट्रंप के इस बयान की जमकर आलोचना हुई थी. व्हाइट हाउस ने ट्रंप के बयान को अमेरिकी मूल्यों और संविधान के खिलाफ बताया. फेसबुक के प्रमुख मार्क जकरबर्ग और गूगल के सीईओ गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भी डॉनल्ड ट्रंप के मुस्लिम विरोधी बयान की आलोचना की.
इससे पहले रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहकर एक विवाद पैदा कर दिया है कि वह देश को आतंकवाद से बचाने के लिए अमेरिका में मुस्लिमों के डेटाबेस की व्यवस्था को लागू करेंगे. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के मुस्लिमों पर अभूतपूर्व निगरानी जरूरी है. ट्रंप ने एनबीसी न्यूज को बताया कि ‘ हम मस्जिदों पर निगाह रखने जा रहे हैं. हमें बहुत, बहुत सावधानी से देखना होगा.’ ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या पहले से अधिक निगरानी में बिना वारंट के तलाशियां भी शामिल हो सकती हैं, तो उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी चीज करने जा रहे हैं, जो हमने पहले कभी नहीं की. कुछ लोग इसे लेकर नाराज होंगे, लेकिन मेरा मानना है कि अब हर कोई यही सोच रहा है सुरक्षा सर्वोच्च होनी चाहिए.’
ट्रंप की टिप्पणियों से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया. डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के प्रमुख डेबी वासेरमैन शुल्ट्ज ने एक बयान में कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की ओर से मुस्लिम-अमेरिकी डेटाबेस और विशेष पहचानों को लेकर दिखाई गई सक्रियता शर्मनाक हैं, यह आज की रिपब्लिकन पार्टी की गैर समावेशी संस्कृति को दर्शाती है. यह एक ऐसी खतरनाक सोच है, जिससे हमारी महानतम पीढ़ी लड़ी थी और सात दशक पहले उसे हरा दिया था.’
डॉनल्ड के बयान और उनकी भाषा कुछ वैसी ही है जैसी भारत में साध्वी प्राची, योगी आदित्यनाथ या आजम खान या फिर ओवैसी जैसे नेताओं की होती है. हैरानी की बात है कि अमेरिका की राजनीति में डॉनल्ड के इस बयान पर हंगामा भी हुआ, आलोचना भी हुई लेकिन इसी की वजह से वो अमेरिकी नागरिकों के एक बड़े तबके का भरोसा जीतने में कामयाब होते दिख रहे हैं. पिछले महीने हुए सर्वेक्षण में 39% लोकप्रियता के साथ 11 अंक हासिल कर लोकप्रियता रेटिंग में डॉन्लड नई उंचाई पर पहुंच गए हैं. मुसलमानों पर दिये गए बयानों के बाद 69 वर्षीय ट्रम्प ने 11% की बढ़त ली है. उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी टेड क्रूज ने 18%, मार्को रूबियो 11% और बेन कार्सन ने 9% अंक हासिल किया है.
कौन हैं डॉनल्ड ट्रंप ?
रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बनने से पहले भी डॉनल्ड ट्रंप की अमेरिका में एक अलग पहचान थी. ट्रंप वो नाम है जिसे अमेरिका में और खास तौर से न्यूयॉर्क की रियल एस्टेट दुनिया में स्टेटस से जोड़ कर देखा जाता है. यानी जिन लोगों के पता में ट्रंप टावर, ट्रंप प्लेस, ट्रंप पार्क या ट्रंप प्लाजा जैसे नाम हों उन्हें खुशनसीब माना जाता है. रियल एस्टेट की दुनिया में डॉनल्ड ट्रंप एक बेहद सफल कारोबारी के तौर पर जाने जाते हैं.
अमेरिका के कई शहरों की आलीशान और गगन चुंबी इमारतें डोनाल्ड टंप की कामयाबी की जीती जागती मिसाल हैं. कंस्ट्रक्शन का कारोबार डॉनल्ड ट्रंप को अपने पिता फ्रेडरिक ट्रंप से विरासत में मिला. करीब 40 साल से रियल एस्टेट बिजनेस से जुड़े डॉनल्ड ट्रंप आज करीब 100 कंपनियों के मालिक हैं. डॉनल्ड खुद फ्लोरिडा के पाम बीच पर ट्रम्प पैलेस में रहते हैं जिसे अमेरिका की सबसे महंगी रिहाइशी इमारतों में से एक माना जाता है. लेकिन अब उनकी नजर वाशिंग्टन डीसी के व्हाइट हाउस पर है.
1946 में न्यूयॉर्क में पैदा हुए डॉनल्ड ट्रंप साइंस में ग्रैजुएट हैं. क़ॉलेज के दिनों में एक छात्र नेता के तौर पर उन्होने अपनी पहचान बनाई. वो एक एथलीट रहे हैं और फुटबॉल उनका पसंदीदा खेल है. शर्त लगाने के इतने शौकीन हैं कि शर्त के नाम पर अपने दोस्तों के सिर तक मुंडवा दिया करते थे.
डॉनल्ड ट्रंप के बारे में कहा जाता है कि वो एक कुशल वक्ता हैं. यानी भीड़ जुटाने की कला में माहिर. ट्रंप की अपनी वेबसाइट पर ये दावा किया गया है कि वो दुनिया के सबसे महंगे वक्ताओं में से एक हैं. सितंबर 2011 में ऑस्ट्रेलिया में दो भाषण देने के लिए ट्रंप ने 3 मिनियन डॉलर यानी उस वक्त के हिसाब से करीब 14 करोड़ रुपए लिए थे.
डॉनल्ड ट्रंप वाकई कितने कुशल वक्ता हैं इसका असली इम्तेहान अब होगा. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का सबसे अहम हिस्सा होता है प्रेसिडेंशियल डिबेट्स यानी राष्ट्रपति पद के उम्मीदावारों के भाषण. ट्रंप की पहली चुनौती अपनी ही पार्टी यानी रिपब्लिकन पार्टी के दूसरे उम्मीदवार टेड क्रूज से आगे निकलने की है और अगर वो रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बन जाते हैं तो उन्हें विपक्षी यानी डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रबल दावेदार मानी जाने वाली हिलरी क्लिंटन का मुकाबला करना पड़ सकता है.
मुसलमानों को अमेरिका आने से रोकने का बयान देने वाले ट्रंप अपने कट्टर विचारों के लिए जाने जाते हैं. वो अमरीका और मैक्सिको के बीच एक बड़ी दीवार बनाना चाहते हैं जिससे प्रवासी और सीरियाई शरणार्थी अमरीका में न घुस सकें. इसके अलावा वो अमेरिका में रह रहे करीब 1 करोड़ से भी ज्यादा अवैध प्रवासियों को भी वापस भेजना चाहते हैं. डॉनल्ड का दावा है कि अगर वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट पर इतनी कड़ी कार्रवाई करेंगे जितनी अब तक किसी ने नहीं की है.
अगले साल ही ये तय होगा कि इन एजेंडों के साथ ट्रंप को कितने अमेरिकी लोगों को समर्थन मिलता है लेकिन उससे पहले ट्रंप को एक ऐसे आदमी का समर्थन मिल चुका है जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती. अमेरिका के विरोधी माने जाने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन, ट्रंप को बेहद प्रतिभाशाली कह चुके हैं. अब देखना ये है कि ट्रंप अपनी इस प्रतिभा के साथ कितना आगे जाते हैं.
मुसलमानों को अमेरिका आने से रोकने का बयान देने वाले ट्रंप अपने कट्टर विचारों के लिए जाने जाते हैं. वो अमरीका और मैक्सिको के बीच एक बड़ी दीवार बनाना चाहते हैं जिससे प्रवासी और सीरियाई शरणार्थी अमरीका में न घुस सकें. इसके अलावा वो अमेरिका में रह रहे करीब 1 करोड़ से भी ज्यादा अवैध प्रवासियों को भी वापस भेजना चाहते हैं. डॉनल्ड का दावा है कि अगर वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट पर इतनी कड़ी कार्रवाई करेंगे जितनी अब तक किसी ने नहीं की है.
अगले साल ही ये तय होगा कि इन एजेंडों के साथ ट्रंप को कितने अमेरिकी लोगों को समर्थन मिलता है लेकिन उससे पहले ट्रंप को एक ऐसे आदमी का समर्थन मिल चुका है जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती. अमेरिका के विरोधी माने जाने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन, ट्रंप को बेहद प्रतिभाशाली कह चुके हैं. अब देखना ये है कि ट्रंप अपनी इस प्रतिभा के साथ कितना आगे जाते हैं.
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