as per एबीपी
नई दिल्लीः कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की टीम झारखंड विजय हजारे ट्रॉफी के क्वार्टरफाइनल में दिल्ली से हार गई है. लय में लौटते हुए धोनी ने नाबाद 70 रन बनाए लेकिन अपनी टीम को जीत नहीं दिला पाए. घरेलू क्रिकेट में हार आपको बड़ी बात नहीं लगेगी लेकिन ये सिलसिला वनडे में भी लगातार चला आ रहा है.
धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया इस साल एक भी वनडे टूर्नामेंट नहीं जीत पाई.
खतरे की घंटी अब धोनी के लिए है –
कभी धोनी के लंबे शॉट्स विरोधियों के लिए खतरे की घंटी हुआ करते थे पर विजय हजारे ट्रॉफी के क्वार्टरफाइनल में धोनी के इन शॉट्स से किसी को खतरा महसूस नहीं हुआ.
धोनी ने दिल्ली के 225 रनों के जवाब में 70 रन की नाबाद पारी खेली. झारखंड की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाए पांच चौके और चार छक्के भी लगाए. पर धोनी अपने रंग में तब आए जब झारखंड के जीतने की उम्मीद खत्म हो चुकी थी. दसवें विकेट की साझेदारी में जब धोनी ने हाथ खोले तो दिल्ली लगभग मैच जीत चुकी थी. धोनी 2 विकेट गिरने पर मैदान में आए थे लेकिन उन्होंने नवदीप सैनी, ईशांत शर्मा, पवन नेगी, सुबोध भाटी को अपने और झारखंड टीम पर हावी होने दिया. नतीजा ये हुआ कि धोनी एक छोर पर विकेट थामे रहे और दूसरे छोर से बल्लेबाज लौटते गए. एक बार अर्धशतक पूरा होने के बाद ही धोनी ने गिने-चुने हाथ दिखाए.
क्रिकेट प्रेमी पूछ रहे हैं कि क्या ये वही पुराने धोनी हैं. वजह है धोनी का विजय हजारे ट्रॉफी में प्रदर्शन. धोनी ने कुल 7 मैच खेले हैं आज के 70 रन मिलाकर 179 रन बनाए हैं. एक अर्धशतक वो भी आज के मैच का. इस अर्धशतक को पूरा करने के लिए धोनी ने ऐसा खेल खेला जैसे वो ऑस्ट्रेलिया के पेस अटैक का सामना कर रहे हों.
धोनी 47 रन पर पहुंचे 72 गेंद पर. इसके बाद चौका लगाया 89वीं गेंद पर यानी 17 गेंद तक धोनी जूझते रहे.
ये हाल तब है जब धोनी अपनी फॉर्म सुधारने के लिए सात साल बात विजय हजारे ट्रॉफी खेल रहे हैं. धोनी ने इस साल कुल 20 वनडे मैच खेले है जिसमें 640 रन बनाए हैं जिसमें एक भी शतक नहीं है.
सच्चाई ये है कि घरेलू क्रिकेट में भी पुराने धोनी गायब हैं. उम्मीद अब यही कि धोनी जल्द ही मैच विनर वाले अंदाज में लौटे और अपना कमाल दिखाएं.
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