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नई दिल्ली : एक नए अध्ययन में सामने आया है कि प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुष जो रेडिएशन थेरेपी से गुजर रहा हो, वह अगर नियमित तौर पर योग करे तो उनकी सेहत में सुधार की संभावना बढ़ सकती है. यह अध्ययन अमेरिका की पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में किया गया, जिसमें भारतीय मूल की एक वैज्ञानिक भी शामिल थे.
शोधार्थियों ने पाया कि प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों में थेरेपी के समय सामान्य तरह के दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट्स) देखने को मिलते हैं. इन साइड इफेक्ट्स में थकान होना, यौन स्वास्थ्य प्रभावित होना और पेशाब का असंयमित हो जाना शामिल है. ऐसे में रेडिएशन थेरेपी से गुजर रहे पुरुष अगर योग कार्यक्रमों में नियमित तौर पर हिस्सा लेते हैं तो इससे दुष्प्रभाव में कमी आती है.
पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के अब्रामसन कैंसर संस्थान की एसोसिएट प्रोफेसर नेहा वापीवाला ने बताया कि शोध के आंकड़ों से साबित हुआ है कि कैंसर थेरेपी लेते वक्त योग करने से उपचार से होने वाले दुष्प्रभाव में कमी आती है. यह हमारे योग कार्यक्रमों के लिए काफी अच्छी खबर है.
इस अध्ययन में योग के संभावित लाभों को विस्तार से बताते हुए कहा गया है कि साइकोलॉजिक डेटा के अनुसार, योग कैंसर संबंधित थकान को कम करने और पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को मजबूती प्रदान कर रक्त स्राव को बढ़ाने की क्षमता रखता है.
वापीवाला ने बताया कि मई 2013 से जून 2014 के बीच ट्रेंड प्रशिक्षकों द्वारा हफ्ते में दो बार 75 मिनट की ईकेन्स योगा क्लासेस ली गई. इस सफलता के बाद हम उम्मीद करते हैं कि योग द्वारा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (लिंग उत्तेजित न होना) और पेशाब के असंतुलन में भी सुधार लाया जा सकता है.
अब्रामसन योगा सेंटर के प्रशिक्षिक ने बताया कि ईकेन्स योगा में काइनिसियोलॉजी के सिद्धांतों को शामिल किया गया है जो सभी बॉडी टाइप और लेवल्स के लिए अच्छा है. ज्यादातर योग प्रतिभागियों में इसके सकारात्मक लक्षण देखने को मिले हैं.
यह रिपोर्ट बोस्टन के 12वें इंटरनेशनल कान्फ्रेंस में इंटीग्रेटिव ओन्कोलॉजी सोसाइटी की ओर से प्रस्तुत किया गया.
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