नई दिल्ली: दुनिया के सबसे आक्रामक बल्लेबाजों में शुमार वीरेंद्र सहवाग ने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग को अलविदा कह दिया जिससे उनके एक दशक के सुनहरे कैरियर का भी अंत हो गया.
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आज अपना 37वां जन्मदिन मना रहे सहवाग कल दुबई में एक समारोह के दौरान ही संन्यास के संकेत दे चुके थे और कुछ घंटे बाद ही उन्होंने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी.
सहवाग ने ट्वीट किया ,‘‘ मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के हर प्रारूप और इंडियन प्रीमियर लीग को अलविदा कह रहा हूं.’’ सहवाग ने यह फैसला अगले साल मास्टर्स चैम्पियंस लीग 2020 खेलने के लिये करार करने के बाद लिया. इस लीग में सिर्फ रिटायर्ड क्रिकेटर ही खेल सकते हैं.
क्या कहा सहवाग ने -
उन्होंने एक बयान में कहा ,‘‘मैंने हमेशा वही किया जो मुझे सही लगा, वह नहीं जो परंपरावादियों को सही लगा. ईश्वर की हमेशा कृपा रही और मैने वही किया जो मैं करना चाहता था. मैदान पर भी और अपने जीवन में भी. कुछ समय पहले ही मैने तय किया था कि अपने 37वें जन्मदिन पर क्रिकेट को अलविदा कहूंगा. मैं यह दिन परिवार के साथ बिता रहा हूं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के हर प्रारूप और इंडियन प्रीमियर लीग को अलविदा कह रहा हूं.’’
उन्होंने कहा ,‘‘क्रिकेट मेरा जीवन रहा है और आगे भी रहेगा. भारत के लिये खेलने का सफर यादगार रहा और मैने इसे अपने साथी खिलाड़ियों और भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिये यादगार बनाने की कोशिश की. मेरा मानना है कि मैं ऐसा करने में सफल रहा हूं.’’ उन्होंने कहा ,‘‘ इसके लिये मैं अपने साथी खिलाड़ियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिनमें से कुछ महानतम खिलाड़ियों में रहे. मैं अपने सभी कप्तानों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया और मेरा साथ दिया. मैं भारतीय क्रिकेटप्रेमियों को भी धन्यवाद दूंगा.’’
अक्सर गैर जिम्मेदाराना शॉट्स खेलने के लिये आलोचना झेलने वाले सहवाग ने आखिरी बार घरेलू टेस्ट मार्च 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था. उन्होंने बयान में कहा ,‘‘ मैने हमेशा महान खिलाड़ियों के खिलाफ खेला और यह सम्मान की बात रही. मैने अपनी ख्वाहिशें पूरी की और दुनिया के बेहतरीन मैदानों पर खेला. मैं मैदानकर्मियों, क्लबों, संघों और हर किसी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मैदान तैयार किये.’’ नजफगढ के नवाब ने अपने परिवार और शुरूआती कोचों को भी धन्यवाद दिया.
पिता को किया याद -
उन्होंने कहा ,‘‘मुझे आज अपने पिता की कमी खल रही है. वह मेरे सफर की शुरूआत में मेरे साथ थे. काश, वह आज होते लेकिन मुझे पता है कि मैने उन्हें गौरवान्वित किया. वह आज भी जहां है, वह मुझे फख्र से देख रहे हैं. मैं अपने कोच ए एन शर्मा सर को धन्यवाद देना चाहता हूं जो एकमात्र कोच थे जो मुझे ऐसा खिलाड़ी बना सके.’’ सहवाग ने कहा ,‘‘ मैं किसी और कोच के साथ स्कूल के लिये भी इतना अच्छा नहीं खेल पाता. मेरी मां, मेरी पत्नी आरती और बच्चे आर्यवीर और वेदांत मेरी सबसे बड़ी ताकत रहे. मेरे जीवन में उनकी मौजूदगी मुझे निर्भीक बनाती है और आत्मविश्वास देती है.’’
मुरली से लगता था डर -
रिटायरमेंट के बाद सहवाग ने कहा, कि उन्हें श्रीलंका के ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन से सबसे ज्यादा डर लगता था. मुरली का सामना करना मुश्किल काम था.
टीम और बोर्ड को दिया धन्यवाद -
सहवाग ने इतने साल से मिल रहे सहयोग के लिये बीसीसीआई को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा ,‘‘मैं दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ को धन्यवाद देना चाहता हूं. खासकर अरूण जेटली को जिन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया. उन्होंने हमेशा हमारा फीडबैक मांगा और खिलाड़ी जो चाहते थे, वह किया.’’ उन्होंने हरियाणा क्रिकेट संघ को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने दिल्ली टीम छोड़ने पर उन्हें अपनी टीम का कप्तान बनाया. उन्होंने आईपीएल टीम दिल्ली डेयरडेविल्स और किंग्स इलेवन पंजाब को भी धन्यवाद दिया.
अब क्या करेंगे सहवाग -
उन्होंने कहा ,‘‘मैं इतने साल में क्रिकेट से जुड़ी सलाह देने वालों को धन्यवाद देना चाहता हूं और माफी मांगता हूं कि उनमें से अधिकांश पर मैने अमल नहीं किया. मैंने अपने तरीके से खेला.’’ सहवाग ने कहा कि अब वह झज्जर में अपने स्कूल में अधिक समय बितायेंगे. उन्होंने कहा ,‘‘मैं झज्जर स्थित सहवाग इंटरनेशनल स्कूल में सभी को बताना चाहता हूं कि अब मैं वहां अधिक आया जाया करूंगा.’’
कुछ दिन पहले ही तेज गेंदबाज जहीर खान ने संन्यास लेने की घोषणा की थी. सहवाग 2013 से भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है.
बारह साल के अपने सुनहरे अंतरराष्ट्रीय कैरियर में सहवाग ने 104 टेस्ट खेलकर 8586 रन बनाये जिसमें 23 शतक और 32 अर्धशतक शामिल हैं.
टेस्ट में तिहरा शतक जड़ने वाले वह अकेले भारतीय हैं. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान टेस्ट में 319 रन बनाये थे जो भारतीय रिकॉर्ड है. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी 319 रन बनाये और दो तिहरे शतक जमाने वाले बिरले बल्लेबाजों में वह शामिल हैं. सहवाग ने 251 वनडे में 35.05 की औसत से 8273 रन बनाये जिसमें 15 शतक और 38 अर्धशतक शामिल हैं. वहीं 19 टी20 मैचों में उन्होंने 394 रन बनाये. वह महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका में 2007 विश्व कप और भारत में आईसीसी वनडे विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य थे.
क्या रहा सहवाग करियर ?
सहवाग ने अपने करियर में 104 टेस्ट मैचों में 8586 रन बनाए हैं. वनडे मैचों में सहवाग ने 8273 रन बनाए हैं. अपने क्रिकेट कैरियर में वीरु ने 15 शतक जड़े हैं. साथ ही व्यक्तिगत तौर पर 219 रन बनाने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज हैं. 19 टी-20 मैच में इस दांए-हाथ के बल्लेबाज ने 394 रन बनाए हैं. इन रनों के अलावा सहवाग ने टेस्ट और 96 वनडे मैचों में 40 विकेट भी झटके हैं. वीरेंद्र सहवाग 1999 में वनडे क्रिकेट में कदम रखा था.
सहवाग ने टेस्ट मैच में ओपेनर बल्लेबाज की भूमिका को नई परिभाषा दी. दिल्ली के एवरेज इस बल्लेबाज ने भारतीय क्रिकेट टीम में खुद को ओपेनर बल्लेबाज के तौर पर स्थापित किया. 2002 में पूर्व कोच जॉन राईट और कप्तान सौरव गांगुली ने अचानक एक फैसला लिया और लॉर्डस के मैदान पर सहवाग को ओपनिंग के लिए भेज दिया. सहवाग ने वनडे की तरह अपनी बल्लेबाजी शुरु की और पहली पारी में 84 रन की पारी खेली. इस बल्लेबाजी से दोनों खुश हुए और सहवाग भारत के ओपनर बल्लेबाज बन गए.
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