नई दिल्ली: पाकिस्तान में तिहरे शतक के बाद ‘मुल्तान के सुल्तान’ के नाम से मशहूर हुए वीरेंद्र सहवाग ने आधुनिक क्रिकेट में अपनी पहचान भारत के सबसे आक्रामक सलामी बल्लेबाज के रूप में बनाई.
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अपने शानदार कट शॉट के लिए मशहूर 37 साल के सहवाग ने बहुत अच्छा फुटवर्क नहीं होने के बावजूद अपने जज्बे के साथ सचिन तेंदुलकर के युग में भारतीय टीम में जगह बनाई और क्रिकेट के मैदान पर उन्हें खेलते हुए देखना आंखों को सुकून देने वाला होता था.
पाकिस्तान के खिलाफ वनडे मैच के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले सहवाग ने भारत के लिए 104 टेस्ट और 251 वनडे खेले. उन्होंने इस टेस्ट क्रिकेट में 47.35 की औसत से 8586 रन बनाए जबकि वनडे क्रिकेट में उनके नाम 8273 रन दर्ज हैं. लेकिन आधुनिक क्रिकेट में सहवाग को अन्य बल्लेबाजों से जो चीज अलग करती है वह टेस्ट में उनका 82.83 का स्ट्राइक रेट और वनडे में 104.33 का स्ट्राइक रेट है.
सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में 23 शतक और 32 अर्धशतक जड़े जबकि वनडे क्रिकेट में उनके नाम पर 15 शतक और 38 अर्धशतक दर्ज है. सहवाग अपने पहले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में पाकिस्तान के शोएब अख्तर के खिलाफ सिर्फ एक रन बनाने के बाद पगबाधा आउट हो गए थे लेकिन भविष्य में इस तेज गेंदबाज के खिलाफ उन्होंने काफी सफलता हासिल की. टेस्ट क्रिकेट में हालांकि सहवाग का पदार्पण स्वप्निल रहा और उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ ब्लोमफोनटेन में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए शतक जड़ा.
भारत ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ यह मुकाबला नौ विकेट से गंवाया लेकिन सहवाग ने तेंदुलकर (155) के साथ पांचवें विकेट के लिए 220 रन की साझेदारी के दौरान दुनिया को अपने तेवरों से अवगत करा दिया. हालांकि सहवाग को अपने पहले ही मैच में अधिक अपील करने के लिए बैन कर दिया गया था.
विरोधी गेंदबाजों के जेहन में डर पैदा करने वाले सहवाग के जीवन का अहम लम्हा 2004 में आया जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 309 रन की पारी खेली और टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में तिहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने. सहवाग ने इसके चार साल बाद चेन्नई में साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी नाबाद 319 रन की पारी खेली और इस दौरान 278 गेंद में तिहरे शतक के साथ सबसे तेज तिहरा शतक जड़ने का रिकॉर्ड बनाया.
सहवाग इसके अलावा दुनिया के उन सिर्फ चार बल्लेबाजों में शामिल हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक जड़ा है. वह दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज हैं जिन्होंने दो तिहरे शतक जड़ने के अलावा पारी में पांच विकेट भी चटकाए हैं.
सहवाग ने अपने 11 साल के टेस्ट करियर के दौरान छह दोहरे शतक भी जड़े. इस दौरान नजफगढ़ के इस बल्लेबाज ने तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के बीच बल्लेबाजी क्रम में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई.
अप्रैल 2009 में सहवाग एकमात्र भारतीय क्रिकेटर बने जिसे 2008 में प्रदर्शन के लिए विजडन ने दुनिया का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर चुना. इसके बाद वह 2009 में इस खिताब को बरकरार रखने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी भी बने.
सहवाग ने आठ दिसंबर 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे क्रिकेट में अपना पहला दोहरा शतक जड़ा. वह तेंदुलकर के बाद इस उपलब्धि को हासिल करने वाले दूसरे बल्लेबाज रहे. उस समय 149 गेंद में उनकी 219 रन की पारी एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का सर्वोच्च स्कोर थी. बाद में भारत के ही रोहित शर्मा ने 13 नवंबर 2014 को 173 गेंद में 264 रन की पारी खेलकर इस रिकॉर्ड को तोड़ा. सहवाग दुनिया के उन सिर्फ दो क्रिकेटरों में शामिल हैं जिन्होंने टेस्ट में तिहरा शतक जड़ने के अलावा वनडे में दोहरा शतक भी बनाया है. उनके अलावा क्रिस गेल यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं.
यह दिग्गज बल्लेबाज पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों शोएब अख्तर और वसीम अकरम के अलावा ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रा और शेन वार्न जैसे गेंदबाजों से मैदान पर उलझा भी लेकिन इस दौरान गरिमा बनाए रखी.
एक मशहूर वाकया उस समय का है जब सचिन तेंदुलकर के शोएब के खिलाफ हुक शॉट के संदर्भ में सहवाग ने इस तेज गेंदबाज से कहा था, ‘‘बेटा बेटा होता है, बाप बाप होता है.’’ दरअसल सहवाग उस दिन 200 रन के आसपास बल्लेबाजी कर रहे थे और शोएब लगातार बाउंसर करते हुए उन्हें हुक करने का इशारा कर रहे थे जिस पर इस स्टार बल्लेबाज ने कहा, ‘‘तुम्हारे पिताजी दूसरे छोर पर बल्लेबाजी कर रहे हैं, उसे बोलो और वह हुक करेगा.’’ तेंदुलकर दूसरे छोर पर बल्लेबाजी कर रहे थे और शोएब ने उन्हें बाउंसर फेंकी. तेंदुलकर ने इसे हुक करते हुए छक्का जड़ा जिसके बाद सहवाग ने यह शब्द कहे थे. सहवाग ने बल्ले से जलवा दिखाने के अलावा अपनी ऑफ स्पिन ने टेस्ट क्रिकेट में 40 जबकि वनडे में 96 विकेट भी चटकाए.
सहवाग ने करियर का हालांकि निराशाजनक अंत हुआ जब मार्च 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट के बाद उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया और वह दोबारा टीम में वापसी नहीं कर पाए. उन्होंने अपना अंतिम वनडे भी पाकिस्तान के ही खिलाफ जनवरी 2013 में ईडन गार्डन्स में खेला. इस बल्लेबाज ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 191 मैचों में 14396 रन बनाए हैं.
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