नई दिल्ली: बिहार में दो चरण के चुनाव हो चुके हैं. तीसरे दौर के चुनाव को काफी अहम माना जा रहा है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस दौर में जो बढ़त बना लेगा वही बिहार पर राज करेगा. इस दौर के चुनाव में कई बड़े दिग्गजों के साथ ही बिहार के बाहुबलियों की किस्मत भी दांव पर है.
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तीसरे दौर में कुल 6 जिलों में चुनाव है. हर जिले में कम से कम एक बड़ा बाहुबली तो किस्मत आजमा ही रहा है. बाहुबलियों के हिसाब से सबसे हॉट सीट है पटना जिले की मोकामा विधानसभा सीट. मोकामा में कुल 17 उम्मीदवार मैदान में हैं. लेकिन विधायकी की बादशाहत की जंग चार प्रमुख उम्मीदवारों के बीच है.
मौजूदा विधायक अनंत सिंह इस बार निर्दलीय मैदान में हैं. डीजल पंप चुनाव चिन्ह के सहारे मोकामा में तीसरा मौका चाह रहे हैं. लेकिन उनकी बादशाहत को चुनौती दे रहे हैं उन्हीं की जाति के जेडीयू विधान परिषद सदस्य नीरज सिंह. अनंत सिंह का टिकट काटकर नीतीश कुमार ने नीरज कुमार सिंह को टिकट दिया है. तीसरे दावेदार हैं एलजेपी के कन्हैया कुमार सिंह. कन्हैया सिंह पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के भाई हैं.
सूरजभान मोकामा से विधायक रह चुके हैं. लेकिन कन्हैया पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं. कन्हैया की राह में रोड़ा बनकर खड़े हैं कभी सूरजभान के दाहिना हाथ रहे ललन सिंह. ललन सिंह सूरजभान के मुंहबोले भाई हुआ करते थे. सूरजभान जब सांसद बने तो ललन सिंह को अपनी विरासत दी थी. इस बार ललन सिंह एलजेपी के टिकट के अहम दावेदार थे. लेकिन ऐन वक्त पर ललन का पत्ता काटकर सूरजभान ने अपने भाई को उम्मीदवार बनवा दिया.
नतीजा हुआ कि ललन सिंह पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से मैदान में उतर गये हैं. इस सीट पर हर कोई बाहुबली है. जो जीतेगा वो सबसे बड़ा बाहुबली कहलाएगा. आरा जिले की तरारी सीट भी बाहुबलियों की लड़ाई की वजह से हॉट सीट बन गई है. तरारी से सुनील पांडे तीन बार विधायक रह चुके हैं. इस बार जेडीयू से नाता टूट चुका है और पांडे की जगह उनकी पत्नी गीता पांडे एलजेपी यानी एनडीए की उम्मीदवार हैं. रणवीर सेना से शुरू हुआ सफर यहां तक पहुंचा है.
वैशाली जिले की लालगंज सीट से मुन्ना शुक्ला जेडीयू के उम्मीदवार हैं. मुन्ना शुक्ला सालों तक जेल में रहे हैं. अभी उनकी पत्नी अन्नू शुक्ला विधायक थीं. लेकिन इस बार खुद मुन्ना शुक्ला मैदान में उतरे हैं. मुन्ना पहले भी विधायक रह चुके हैं. मुन्ना का मुकाबला यहां एलजेपी के राजकुमार साह से है. रंजीत ड़ॉन का नाम आपके जेहन से अब भी नहीं उतरा होगा. उतर गया है तो याद दिला देते हैं. साल 2003 में पेपर लीक कांड में सीबीआई ने नालंदा के सुमन कुमार उर्फ रंजीत डॉन को गिरफ्तार किया था.
राजनीति में आने का सपना देख रहे रंजीत डॉन की अब तक की तमाम कोशिशें नाकाम रही है. इसी साल विधान परिषद चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस बार विधानसभा चुनाव में रंजीत डॉन ने अपनी पत्नी दीपिका कुमारी को नालंदा जिले की हिलसा से उतारा है. यहां एक बात साफ कर देना जरूरी है कि रंजीत डॉन असल में उस तरह के डॉन में से नहीं हैं. जिस तरह के असली डॉन होते हैं. छपरा जिले की एकमा सीट से जेडीयू ने मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह को फिर से उतारा है.
धूमल सिंह 2000 से विधायक हैं. बिहार, यूपी, झारखंड के बड़े बाहुबलियों में इनकी गिनती होती है. धूमल सिंह का मुकाबला बीजेपी के कामेश्वर सिंह से है. आरा जिले की शाहपुर सीट से बीजेपी ने बाहुबली विशेश्वर ओझा को टिकट दिया है. विशेश्वर ओझा एक जमाने में इनामी हुआ करते थे. राजनीति में सिक्क जमने के बाद अपने भाई की पत्नी को बीजेपी से विधायक बनवाया. इस बार खुद मैदान में हैं. कहा जाता है कि आरा जिले में सुनील पांडे और विशेश्वर ओझा की पटरी नहीं बैठती है.
विशेश्वर का मुकाबला पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी से है. राहुल तिवारी को लालू ने टिकट दे रखा है. बक्सर जिले की डुमरांव सीट से नीतीश ने ददन पहलवान को टिकट दे रखा है. एक जमने में ददन निर्दलीय जीतकर ही राबड़ी की सरकार में मंत्री बने थे. लोकसभा चुनाव में भी ददन लाख सवा लाख वोट अपने दन पर ले आते हैं. पिछली बार चुनाव हार गये थे.
इस बार नीतीश ने बुलाकर पार्टी में शामिल कराया और उम्मीदवार बनाया है. ये तो वो बाहुबली हैं जिनका नाम बिहार भर में या बिहार से बाहर भी लोग जानते हैं. जिला लेवल के अपराधी पृष्ठभूमि के दर्जन भर उम्मीदवार हैं जो विधायक बनने के लिए मैदान में ताल ठोक रहे हैं. तीसरे दौर में 28 अक्टूबर को वोटिंग होनी है.
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