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शिवपुरी। कलेक्टर ओमप्रकाश
श्रीवास्तव ने कहा कि बाल संरक्षण के क्षेत्र में जहां कानून अपना कार्य कर
रहा है, वहीं सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर इस दिशा में कार्य करना चाहिए।
कलेक्टर श्री श्रीवास्तव आज म.प्र. मानव अधिकार आयोग के स्थापना दिवस के
अवसर पर ‘‘बालश्रम एवं बाल अधिकार’’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम एवं सेमीनार
को मु य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस
अधीक्षक यूसुफ कुर्रेशी ने की।
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क यूनिटी हॉल गांधी पार्क शिवपुरी में म.प्र.मानव अधिकार आयोग, महिला
सशक्तिकरण, श्रम विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम एवं सेमीनार
में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कमल मौर्य, मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक
आलोक एम.इंदौरिया, मानव अधिकार आयोग के आयोग मित्र प्रो.एल.डी.गुप्ता,
श्रीमती प्रतिभा पाण्डे, श्रम पदाधिकारी एस.के.जैन, जिला महिला सशक्तिकरण
अधिकारी ओ.पी.पाण्डे, मु य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.व्ही.के.खरे
मंचाशीन थे।
कलेक्टर शिवपुरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बाल संरक्षण के
क्षेत्र में जहां शासन-प्रशासन अपना कार्य कर रहा है, वही सामाजिक एवं गैर
शासकीय संस्थाओं को भी इस दिशा में आगे आकर कार्य करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश एवं देश में इस दिशा में बेहतर कार्य किया गया है।
बाल संरक्षण सामाजिक सरोकार से जुड़ा हुआ क्षेत्र होने के कारण गैरशासकीय
संस्थाए भी अपने विचारो एवं शासन की योजनाओ के माध्यम से बच्चो के उनके
अधिकारो को बताने के साथ-साथ समाज को भी बाल संरक्षण के क्षेत्र में जागरूक
करें।
लोगो के बीच जाकर बताए कि प्रत्येक बच्चे को जन्म लेने का अधिकार है
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पुलिस अधीक्षक यूसुफ कुर्रेशी ने बाल
अधिकारो के विषयो पर विस्तार से चर्चा एवं जानकारी देते हुए कहा कि मानव
अधिकार मानव के कई अधिकारो का समूह है, जिसमें स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा,
स्वास्थ्य आदि अधिकार शामिल है।
मानव अधिकार का मूल तत्व सुरक्षा का अधिकार है। उन्होनें पुलिस के कर्तव्यो
पर भी चर्चा करते हुए कहा कि पुलिस हमेशा सज्जनो का स मान करने के साथ-साथ
समाज के कमजोर वर्गों, महिला एवं बच्चो के मानव अधिकारों का भी संरक्षण
करती है। वहीं दुर्जनो के साथ इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि उनके
मूल मानव अधिकारों की भी रक्षा हो।
एसपी कुर्रेशी ने कन्या भू्रण हत्या को जघन्य अपराध बताते हुए कहा कि कोई
भी व्यक्ति जन्म से पूर्व शिशु का भू्रण लिंग परीक्षण कराए जाने पर पीसी
पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने गैरशासकीय संस्थाओं से
आग्रह किया कि वे लोगों के बीच में जाए और इस प्रकार का संदेश दें कि
प्रत्येक बच्चे को जन्म लेने का अधिकार है।
कार्यक्रम को आलोक एम.इंदौरिया ने संबोधित करते हुए कहा कि म.प्र.मानव
अधिकार आयोग ने इस वर्ष बालश्रम एवं बाल अधिकार विषय पर सेमीनार आयोजन करने
का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि बालश्रम वह है जो किसी भी नियोजक
द्वारा बच्चो से कार्य लिया जाता है। उन्होंने कहा कि बालश्रम का मु य कारण
गरीबी एवं शिक्षा की कमी है।
विश्व में 215 मिलियन बच्चे बालश्रमिक है, 1 करोड़ 25 लाख इस देश में
बालश्रमिक कार्य कर रहे है। देश में सर्वाधिक बालश्रमिक वाला प्रदेश
उत्तरप्रदेश है जहां 9 लाख बालश्रमिक है। गुजरात में ढाई लाख से अधिक बच्चे
बालश्रमिक के रूप में चिहिंत किए गए है।
उन्होंने बताया कि बाल संरक्षण अधिनियम लागू होने से बालश्रम में कमी आई है
और पुर्नवास के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य किया गया है। श्री इंदौरिया ने
कहा कि जिले के अधिकारी एक-एक बालश्रमिक बच्चो की शिक्षा की जवाबदारी ले
तो बालश्रम के क्षेत्र में काफी कमी आ सकती है।
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