as per एबीपी :
New Delhi/Chandigarh : पठानकोट आतंकी हमले में आतंकियों द्वारा किडनैप किए गए गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह मीडिया के सामने आए हैं. उन्होंने उस दिन की पूरी बात बताई है लेकिन कुछ सवालों के जवाब जो उनकी ओर से आए हैं उन पर सवाल जरूर उठ सकता है. हालांकि, उन्होंने एक बात जरूर मानी है कि बंदूकधारी आतंकियों को देख कर वे डर गए थे और उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं की गई.
उन्होंने बताया कि वे अपने कुक और दोस्त राजेश वर्मा के साथ मजार पर मत्था टेक कर लौट रहे थे. रास्ते में आतंकियों ने उनके वाहन को हाईजैक किया. बंदूक के बल पर उन्होंने सभी की आंखें बांध दी थी. करीब 45 मिनट आतंकी उन्हें गाड़ी में लेकर घूमते रहे. इसके बाद उन्हें सूनसान जगह पर फेंक दिया. साथ ही उन्होंने बताया कि वे दुबारा लौट कर उन्हें मारने भी आए थे.
क्योंकि उन्हें बाद में पता चला कि वे एसपी हैं. एसपी के अनुसार वे धार्मिक स्थल पर थे ऐसे में वे जानबूझ कर अपने सुरक्षाकर्मियों को छोड़ दिया था. उन्होंने बताया कि आतंकी जीपीआरएस के जरिए रास्ता देख रहे थे. साथ ही उन्हीं के मोबाइल से आतंकियों ने पाकिस्तान में भी कॉल की. सलविंदर के अनुसार आतंकी कम उम्र के थे और उर्दू के साथ पंजाबी में बात कर रहे थे.
इन सबके बीच यह सवाल जरूर उठ रहे हैं …
- इतने संवेदनशील क्षेत्र में एसपी अकेले क्यों घूम रहे थे ?
- क्या उनके वाहन में किसी तरह का वायरलेस फोन आदि नहीं था ?
- यदि गाड़ी सरकारी नहीं थी तो उसपर नीली बत्ती क्यों लगी थी ?
- उन्हें बिना सुरक्षाकर्मियों के निकलने क्यों दिया गया ?
- बिना सूचना के वे पठानकोट गए थे या उनकी रवानगी की सूचना थी ?
- उन्होंने जो भी शिकायत की उसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया ?
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