लेकिन, केजरीवाल ने इस पर जोर दिया है कि सीबीआई ने उनके दफ्तर पर छापा मारा है. केजरीवाल ने कहा, "मोदी जब मुझसे राजनैतिक रूप से नहीं निपट पाए, तो इस कायरता पर उतर आए हैं." केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कहा है कि राजेंद्र कुमार के खिलाफ अपने सरकारी पद का दुरुपयोग कर पिछले कुछ सालों में एक कंपनी को दिल्ली सरकार के विभागों से टेंडर दिलाने का मामला दर्ज कराया गया है. कुमार के खिलाफ आरोप दिल्ली संवाद आयोग के सदस्य सचिव आशीष कुमार जोशी ने लगाए हैं.
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नई दिल्ली : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव पर सीबीआई छापे के बाद सीबीआई के अधिकारों को लेकर बहस छिड़ गई है. लेकिन, अरविंद केजरीवाल की दोहरी नीति भी इस मसले पर सबके सामने आ गई है. अफसर पर छापे से पहले इजाजत को लेकर केजरीवाल ने सवाल उठाया था. लेकिन, यह नियम बदल गया है.
केजरीवाल की ओर से काह गया था कि उनके अफसर पर छापे से पहले उन्हें क्यों नहीं बताया ? ‘आप’ की दलील ये है कि नियम के मुताबिक प्रमुख सचिव स्तर के अफसर राजेंद्र कुमार पर कार्रवाई से पहले सीएम से पूछना चाहिए था. लेकिन एबीपी न्यूज आपको बता रहा है कि ये व्यवस्था पहले ही खत्म हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सीबीआई अब संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के अधिकारी के खिलाफ बिना सरकार से पूछे या बताए कार्रवाई कर सकती है.
रोचक तथ्य यह है कि इस नए बदलाव का ‘आप’ ने स्वागत किया था. इसमें सीबीआई के लिए सरकार से पूछने की बाध्यता खत्म कर दी थी. तब आप ने कहा था कि यूपीए और एनडीए सरकार ने पूछने की बाध्यता का इस्तेमाल भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए करती रही.
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