OMG : तो इसलिए दिवाली की रात दी जाती है उल्लुओं की बलि ।

--
 आगरा : दीवाली की रात किए जाने वाले तांत्रिक और काला जादू संबंधी अनुष्ठानों के लिए उल्लू पक्षी की मांग काफी बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है इसका पक्षी की संख्या पर असर पड़ रहा है। आगरा में वन्यजीव एसओएस से जुड़े एक विशेषज्ञ ने कहा कि असंख्य उल्लू शिकारियों के कारण क्रूरता का शिकार होते हैं, जो अज्ञानता और अंधविश्वास की जरूरतों को पूरा करते हैं।

-- --
--
वन्यजीव एसओएस ने कहा- अंधविश्वास के कारण दी जाती हैं उल्लुओं की बलि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तंत्र मंत्र और काला जादू में संलिप्त कुछ लोग उल्लू की बलि दे देते हैं। कहा जाता है कि इससे धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। यह आकलन करना मुश्किल है कि दिवाली पर कितने उल्लू अंधविश्वास के शिकार होते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनकी संख्या अधिक होती है।

वन्यजीव एसओएस की सह संस्थापक गीता शेषमणि के अनुसार, इस तरह के अंधविश्वासों से इस अनोखी वन्यजीव प्रजाति का शोषण हुआ है और जंगल में इनके अस्तित्व खतरे में पड़ गए हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत भारतीय उल्लू प्रजातियों की बिक्री और शिकार पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

वन्यजीव एसओएस के अन्य सह संसथापक और इसकी शिकार विरोधी शाखा, ‘फॉरेस्ट वाच’ के प्रमुख कार्तिक सत्यनारयण का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद उल्लुओं की बलि दी जाती है। दिवाली से सप्ताहों पहले शिकारी बेचने और अच्छा मुनाफा कमाने के लिए उल्लू को पकड़ना शुरू कर देते हैं।

उल्लू के अंग जैसे पंजे, खोपड़ियां, हड्डियां, पंख, मांस और खून भी तावीजों और पारंपरिक दवाओं में इस्तेमाल किए जाते हैं। आगरा के एक तांत्रिक राममोहन ने कहा कि जब उल्लू की बलि दी जाती है तो लोगों को लगता है कि लक्ष्मी उनके घर में हमेशा रहेंगी, क्योकि यह पक्षी देवी का वाहन है।





-- Sponsored Links:-
Share on Google Plus

About PPN

0 comments:

Post a Comment