अब आप जीवन भर रहेंगे युवा, जानें कैसे ??????

--
 ऐसा कौन इंसान होगा जो नहीं चाहेगा कि बुढ़ापा उसके पास भी ना आए और वह जीवन भर युवा बना रहे। लेकिन इसके लिए आपको बहुत अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं है। योग की यह खास मुद्रा आपको युवा बनाए रखने में मदद करती है। मूलबन्ध, जालंधर बन्ध और उड्डियान बन्ध इन तीनों को एक साथ लगाने पर त्रिबंध मुद्रा बनती है। जानें कैसे करें यह मुद्रा और क्या हैं इसके लाभ-

-- --
--
कैसे करें:
इसके लिए पद्मासन या सुखासन में कमर व गर्दन को सीधा रखते हुए बैठ जाएं। अब दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें। हाथों से घुटनों को पकड़कर अधिक से अधिक सांस भरें व पूरी सांस बाहर निकाल दें। अब गुदा द्वार की मांशपेशियों को ऊपर की ओर खीचकर मूलबंध लगा लें। साथ ही पेट को अधिक से अधिक अंदर की ओर खींचे और उड्डियान बंध लगा लें। फिर सिर को विधिपूर्वक आगे की ओर झुका कर ठोढ़ी को गले से लगाकर जालंधर बंध लगा लें। यहां सांस को बाहर ही रोककर यथाशक्ति इस मुद्रा में बैठे रहें। जब लगे कि सांस नहीं रोक सकते, तब धीरे से गर्दन को सीधा कर सांस भरें और पेट की मांशपेशियों को ढीला छोड़ दें। उसके बाद अंत में मूलबन्ध को भी छोड़ दें। इस प्रकार 3 बार इसका अभ्यास करें।


सावधानियां:
हाई बीपी, हृदय रोग, गर्दन दर्द, कमर दर्द, हर्निया व कोलाइटिस होने पर इसका अभ्यास न करें।


लाभ:
जीवन शक्ति को बढ़ाने वाली यह मुद्रा प्राण, इंद्रियों, मन व बुद्धि को बलिष्ठ बनाती है। इसके अभ्यास से शरीर हल्का होने लगता है। यह मुद्रा हमें युवा बनाए रखने में मदद करती है। यौन शक्ति को बढ़ाने वाली यह मुद्रा मन को शांत करती है, इसके अभ्यास से शरीर की ऊर्जा उर्ध्वगामी हो जाती है। पेट के सभी रोगों से रोकथाम के लिए यह एक अनूठा अभ्यास है। मोटापा व डायबिटीज़ में भी उपयोगी है, साथ ही थाईरॉईड ग्रंथी को भी स्वस्थ बनाए रखती है।




-- Sponsored Links:-
Share on Google Plus

About PPN

0 comments:

Post a Comment