राफेल डील पर कांग्रेस बोली- सभी फाइटर जेट फ्रांस से आएंगे तो मेक इन इंडिया क्यों?

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  नई दिल्ली. भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल फाइटर जेट्स डील पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पार्टी नेता और यूपीए सरकार में डिफेंस मिनिस्टर रहे एके. एंटनी ने कहा- हमारी सरकार के दौरान तय हुआ था कि 18 जेट्स फ्रांस से आएंगे जबकि बाकी को भारत में बनाया जाएगा। अब सभी फ्रांस से आएंगे। फिर मेक इन इंडिया का क्या होगा? बता दें कि शुक्रवार को भारत-रूस के बीच 7.878 बिलियन यूरो (करीब 59 हजार करोड़ रुपए) की राफेल डील साइन हुई है।

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 क्या कहा एंटनी ने..
– एंटनी ने कहा- ये डील भारत की जरूरतों को पूरा नहीं करती। सरकार ने 36 राफेल खरीदने की डील साइन की है। एयरफोर्स के लिए 42 स्क्वॉड्रन की मंजूरी है। फिलहाल, 32 ही मौजूद हैं। 2002 तक 25 ही बचेंगी।
– पूर्व डिफेंस मिनिस्टर ने कहा- हमने 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट्स खरीदने को मंजूरी दी थी। हालात को देखते हुए ये फैसला जरूरी था। राफेल डील में हमने 18 जेट्स फ्रांस से मंगाने और बाकी भारत में तैयार करने की शर्त रखी थी। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। मेक इन इंडिया का क्या हुआ?
– एंटनी ने कहा- सरकार बताए कि आखिर इस डील से फायदा क्या होगा?
9 साल में फाइनल हो पाई डील
– राफेल डील को इंडियन एयरफोर्स का अब तक का सबसे बड़ा सौदा माना जा रहा है।
– शुक्रवार को डील साइन किए जाने के दौरान फ्रांस के डिफेंस मिनिस्टर के साथ Dassault Aviation के CEOs भी मौजूद थे। भारत की तरफ से मनोहर पर्रिकर ने डील पर साइन किए। राफेल को Dassault Aviation कंपनी ही बनाती है।
– 2007 में इस डील पर बातचीत शुरू हुई थी। भारत ने राफेल को अमेरिकी कंपनी लॉकहीड और रूसी मिग विमानों के मुकाबले तरजीह दी है।
क्यों जरूरी राफेल? 
– दरअसल, एयरफोर्स के पास अभी 44 फाइटर स्क्वॉड्रन हैं, लेकिन पुराने प्लेन फेज आउट होने से 34 स्क्वॉड्रन ही बचे हैं।
– फाइटर्स प्लेन की सख्त जरूरत है। आखिरी बार वायुसेना को 1996 में रूस से सुखोई 30 एमकेआई मिले थे। पुराने हो चुके मिग-21 और मिग-27 विमान बेड़े से हटाए जा रहे हैं।
कैसा है राफेल? 
– राफेल का फ्रेंच में मतलब होता है तूफान। राफेल दो इंजन वाला मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है।
– स्पीड 2250-2500 किमी प्रति घंटे तक। फ्यूल कैपिसिटी 4700 लीटर।
– यह एयरक्राफ्ट कैरियर से भी उड़ान भर सकता है। ब्रह्मोस जैसी 6 एटमी हथियार वाली मिसाइल आसानी से ले जाने की काबिलियत।
– 3 लेजर गाइडेड बम हवा से जमीन पर मार करने वाली 6 मिसाइल। हवा में भी फ्यूल भरने की कैपिसिटी। लगातार 10 घंटे तक उड़ सकता है।
– फ्रांस सरकार ने 4 यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इसे बनाना शुरू किया था।
– बाद में जब बाकी तीन देश अलग हो गए तो फ्रांस ने अकेले ही प्रोजेक्ट को पूरा किया।
– राफेल को लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है। अफगानिस्तान में अल कायदा के खिलाफ नाटो के अभियान में इसका अहम रोल था।
ये भी खास
– इंडियन एयरफोर्स बियोन्ड विजुअल रेंज यानी (BVR) मिसाइल पर काम कर रही है। राफेल इस एयर टू एयर मिसाइल को ले जाने में सक्षम है। ये 150 किलोमीटर तक निशाना साध सकती है।
– इसका मतलब है कि अगर राफेल से इसे दागा जाता है तो यह पाकिस्तान के अंदर तक तबाही मचा सकती है। चीन भी इसी वजह से परेशान हो रहा है।
– पाकिस्तान के पास अभी जो BVR मौजूद है, उसकी रेंज सिर्फ 80 किलोमीटर है।
– इसके अलावा, एयरफोर्स में स्कैल्प लॉन्ग रेंज मिसाइल को भी शामिल किए जाने की तैयारी है। ये हवा से जमीन पर मार करेगी। रेंज करीब 300 किलोमीटर है।
अभी क्या है स्थिति?
– भारत ने हाल ही में देश में ही बने 2 तेजस फाइटर को एयरफोर्स में शामिल किया है। हालांकि, इसका एडवांस्ड वर्जन 2018 तक आएगा।
– तेजस को शामिल कर भारत ने एक तरह से फाइटर प्लेन की सेकंड लाइन तैयार की है।
– वहीं, अमेरिकी F/A-18 और F-16 फाइटर और स्वीडिश ग्रिपन-ई को भी भारत में ही बनाने के लिए बातचीत जारी है।
– इन सभी 4th जनरेशन के फाइटर प्लेन डेवलप करने के अलावा भारत रूस से मल्टी-रोल FGFA सुखोई टी-50 या PAK-FA के लिए बात करने वाला है।
 
 
 
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