अरुण जेटली आज पेश करेंगे आम बजट

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आम बजट 2016-17 में भले ही वित्त मंत्री कॉरपोरेट के लिए कोई तोहफा लेकर न आएं लेकिन उनका ध्यान निर्माण, खेती और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने पर हो सकता है। सरकार पहले ही मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, जन धन योजना, डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की घोषणा कर चुकी है।

सूत्रों के अनुसार, अब सरकार का ध्यान इन योजनाओं को कुछ इस तरह समेकित करने पर होगा जिससे निर्माण और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिल सके और रोजगार का सृजन हो सके। आम बजट से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उम्मीदों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह अवगत हैं। बजट पर प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत तौर पर नजर है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए जाने वाले बजट पर मोदी की छाप होगी।

शायद पहली बार ऐसा है कि पूरा विश्व भारत की सालाना बजट घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। वैश्विक सुस्ती की संभावनाओं के बीच भारत विश्व की उम्मीद बन कर उभरा है। जहां दूसरे विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने तीन फीसदी से कम की वृद्धि हासिल की वहीं भारत की वृद्धि दर 7.6 फीसदी रही। हाल ही में अमेरिकी राजनीतिज्ञ रोन पॉल ने कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में प्रवेश कर चुकी है।

ऐसी उम्मीद की जा रही है कि बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करेगा। इससे न केवल कृषि क्षेत्र का पुनरुत्थान होगा बल्कि उद्योग की उस मांग को भी पूरी करेगा जिस कारण निर्यात उद्योग फिलहाल परेशानियों का सामना कर रहा है। बजट में प्राथमिक, सेकंडरी और तकनीकी शिक्षा सरकार की प्राथमिकता रहेगी।

इसमें स्वास्थ्य और सामाजिक उन्नयन पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री का मानना है कि स्वस्थ समाज में ही स्वस्थ अर्थव्यवस्था होती है।

इंफ्रा पर वित्त मंत्री की रहेगी खास नजर

अनुमान है कि वित्त मंत्री इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर पर्याप्त ध्यान देंगे और इस पर अधिक लेकिन उत्पादक सार्वजनिक खर्च करेंगे। बजट में कानूनी और प्रशासनिक सुधारों पर भी जोर दिया जाएगा ताकि कारोबार करने में ज्यादा आसानी हो। सरकार यह बात बखूबी जानती है कि वैश्विक सुस्ती के बीच भारत वैश्विक निवेश का केंद्र बन सकता है और विदेशी निवेशकों के लिए यह देश चीन का विकल्प बन कर उभर सकता है।
देश के राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए बजट में व्यावहारिक तरीका अपनाए जाने की उम्मीद है। इस मोर्चे पर वित्त मंत्री का रुख भी लचीला लग रहा है।

चालू बजट सत्र के दौरान जीएसटी बिल पारित होने की संभावना काफी कम नजर आती है। पूरे विश्व के लिए यह निराशा की बात होगी। उम्मीद है कि इस मामले में बिना कांग्रेस बिना कठिन सौदा किए सरकार की मदद नहीं करेगी।

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