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रेलवे की बदइंतजामी पर अकसर सवाल उठाए जाते हैं मगर रविवार को कामाख्या एक्सप्रेस में सफर कर रहीं समस्तीपुर की ज्योति के लिए रेलवे कर्मचारियों ने देवदूत की भूमिका निभाई।
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रेलवे की बदइंतजामी पर अकसर सवाल उठाए जाते हैं मगर रविवार को कामाख्या एक्सप्रेस में सफर कर रहीं समस्तीपुर की ज्योति के लिए रेलवे कर्मचारियों ने देवदूत की भूमिका निभाई।
जनरल कोच में ज्योति ने सफर के दौरान बच्चे को जन्म दिया। ट्रेन के ईदगाह स्टेशन पहुंचने पर लोको पायलट को इसकी जानकारी हुई। उन्होंने आगरा फोर्ट स्टेशन पर जच्चा बच्चा के इलाज के लिए व्यवस्थाएं कराईं।
उपचार के बाद जच्चा, बच्चा इसी ट्रेन से गंतव्य को रवाना हुए।
गांधी धाम से कामाख्या जाने वाली कामाख्या एक्सप्रेस के जनरल कोच में समस्तीपुर बिहार की ज्योति अपने परिवार के साथ सफर कर ही थीं। प्रसव पीड़ा होने पर ईदगाह स्टेशन से पहले उन्होंने बच्चे को जन्म दिया। ट्रेन दोपहर डेढ़ बजे ईदगाह स्टेशन पर आकर रुकी।
तभी लोको पायलट हरिओम भारद्वाज और सह पायलट राजू सैनी को यात्री ने बताया कि जनरल कोच में महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। उसकी हालत खराब है। इस पर लोको पायलट ने कंट्रोल रूम को जानकारी दी। ट्रेन को आगरा फोर्ट स्टेशन पर लेकर आए। यहां रेलवे के डाक्टरों की टीम मौजूद थी। इलाज से जच्चा, बच्चा खतरे से बाहर हो गए।
डाक्टरों ने उन्हें रेलवे अस्पताल में भर्ती कराए जाने की बात कही, लेकिन महिला के पति ने इनकार कर दिया। वे अपने घर जाना चाहते थे। इसके बाद रेलवे के कर्मचारियों ने प्रसूता को फल, दूध वगैरह उपलब्ध कराए। इस कारण ट्रेन करीब आधा घंटे तक स्टेशन पर खड़ी रही।
तभी लोको पायलट हरिओम भारद्वाज और सह पायलट राजू सैनी को यात्री ने बताया कि जनरल कोच में महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। उसकी हालत खराब है। इस पर लोको पायलट ने कंट्रोल रूम को जानकारी दी। ट्रेन को आगरा फोर्ट स्टेशन पर लेकर आए। यहां रेलवे के डाक्टरों की टीम मौजूद थी। इलाज से जच्चा, बच्चा खतरे से बाहर हो गए।
डाक्टरों ने उन्हें रेलवे अस्पताल में भर्ती कराए जाने की बात कही, लेकिन महिला के पति ने इनकार कर दिया। वे अपने घर जाना चाहते थे। इसके बाद रेलवे के कर्मचारियों ने प्रसूता को फल, दूध वगैरह उपलब्ध कराए। इस कारण ट्रेन करीब आधा घंटे तक स्टेशन पर खड़ी रही।
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