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कोल्ड ड्रिंक्स की प्लास्टिक बॉटल में 5 तरह के खतरनाक जानलेवा तत्व मिले हैं। ये सभी तत्व सामान्य तापमान से ज्यादा होने पर पेय पदार्थ में घुलनशील हो जाते हैं। ये खुलासा किया है भारत सरकार के ही एक अध्ययन में। ये अध्ययन पेप्पी, कोका कोला, माउंटेन ड्यू, स्प्राइट और 7अप की बोतल पर किया गया था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने मिलकर ये अध्ययन कराया था। अध्ययन के लिए पांच अलग-अलग बॉटल बतौर सैंपल लिये गए थे। जांच में पांच खतरनाक तत्व जो मिले उनमें है, भारी तत्व, लेड, क्रोमियम, कैडमियम और डाई पैथलेट। ये टेस्ट इसी साल फरवरी मार्च में कराये गए थे। इसमें पाया गया कि कमरे के तापमान पर भी ये खतरनाक तत्व प्लास्टिक की बोतलों से पिघलकर कोल्ड ड्रिंक्स में मिल जाते हैं। ये टेस्ट कोलकाता में स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ द्वारा आयोजित किया गया था जो कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
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अगर आप कोल्ड ड्रिंक के शौकीन हैं तो अब थोड़ा पहेज कर लीजिये क्योकी,
मैगी के बाद अब पेप्सी और कोक में भी खतरनाक केमिकल मिले हैं। इसका सबसे
अधिक असर बच्चों पर पड़ने की चेतावनी जारी की गई है। गौर करने वाली बात ये
है कि ये टेस्ट भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ही कराया गया है।
इन सॉफ्ट ड्रिंक्स की प्लास्टिक बोतलों में ये खतरनाक केमिकल मिले हैं जो
आसानी से पेय पदार्थ में मिल जा रहे हैं।
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कोल्ड ड्रिंक्स की प्लास्टिक बॉटल में 5 तरह के खतरनाक जानलेवा तत्व मिले हैं। ये सभी तत्व सामान्य तापमान से ज्यादा होने पर पेय पदार्थ में घुलनशील हो जाते हैं। ये खुलासा किया है भारत सरकार के ही एक अध्ययन में। ये अध्ययन पेप्पी, कोका कोला, माउंटेन ड्यू, स्प्राइट और 7अप की बोतल पर किया गया था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने मिलकर ये अध्ययन कराया था। अध्ययन के लिए पांच अलग-अलग बॉटल बतौर सैंपल लिये गए थे। जांच में पांच खतरनाक तत्व जो मिले उनमें है, भारी तत्व, लेड, क्रोमियम, कैडमियम और डाई पैथलेट। ये टेस्ट इसी साल फरवरी मार्च में कराये गए थे। इसमें पाया गया कि कमरे के तापमान पर भी ये खतरनाक तत्व प्लास्टिक की बोतलों से पिघलकर कोल्ड ड्रिंक्स में मिल जाते हैं। ये टेस्ट कोलकाता में स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ द्वारा आयोजित किया गया था जो कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
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