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सियाचिन के हीरो लांसनायक हनुमंथप्पा की पत्नी महादेवी अपनी इकलौती बेटी को सैनिक बनाना चाहती हैं। उन्होंने अपने सम्मान में आयोजित एक समारोह में कहा कि उनका कोई बेटा नहीं है लेकिन वह इस बात से दुखी नहीं हैं। उनकी एक बेटी है और चाहती हैं कि वह एक मजबूत भारतीय के रूप में बड़ी हो तथा भारतीय सेना ज्वाइन करे।
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सियाचिन के हीरो लांसनायक हनुमंथप्पा की पत्नी महादेवी अपनी इकलौती बेटी को सैनिक बनाना चाहती हैं। उन्होंने अपने सम्मान में आयोजित एक समारोह में कहा कि उनका कोई बेटा नहीं है लेकिन वह इस बात से दुखी नहीं हैं। उनकी एक बेटी है और चाहती हैं कि वह एक मजबूत भारतीय के रूप में बड़ी हो तथा भारतीय सेना ज्वाइन करे।
महादेवी के अनुसार यही उसके पिता के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम में हनुमंथप्पा की मां और भाई भी मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पत्नी कंचन ने जवान के परिवार को एक लाख रुपये का चेक दिया। इसी माह सियाचिन में हिमस्खलन की एक घटना में हनुमंथप्पा अपने साथियों के साथ 30 फुट नीचे बर्फ में दब गए थे, जिसमें उनके सभी साथी शहीद हो गए, लेकिन छह दिन बाद इस कुदरती आपदा से वह जीवित निकाले गए थे।
जो किसी चमत्कार से कम नहीं था। हालांकि इलाज के दौरान दिल्ली में 11 फरवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया था। महादेवी ने कहा कि उनके पति सेना में जाना चाहते थे। उनका चयन पुलिस में भी हो गया था लेकिन उन्होंने सेना को चुना।
जेएनयू विवाद के संदर्भ में शहीद की पत्नी महादेवी ने युवाओं से आग्रह किया कि वे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शिरकत न करें। उन्होंने कहा कि हाल की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को सुनकर उन्हें दुख होता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को देश के लिए कुर्बान होने के लिए तैयार होना चाहिए। हमारा जन्म भारत में हुआ है और भारत माता ने हमें रहने की जगह दी है, ऐसी गतिविधियों में शामिल होकर हम इसका दुरुपयोग कर रहे हैं।
सियाचिन ग्लेशियर में शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में 30 फुट बर्फ के नीचे दबे हनुमंथप्पा का छह दिन बाद जीवित मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
हालांकि इलाज के दौरान हनुमंथप्पा ने दम तोड़ दिया। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के लिए यह शोध का विषय बन गया कि आखिर कोई इंसान इतनी विकट स्थिति में कैसे जीवित बच सकता है।
सियाचिन ग्लेशियर में शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में 30 फुट बर्फ के नीचे दबे हनुमंथप्पा का छह दिन बाद जीवित मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
हालांकि इलाज के दौरान हनुमंथप्पा ने दम तोड़ दिया। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के लिए यह शोध का विषय बन गया कि आखिर कोई इंसान इतनी विकट स्थिति में कैसे जीवित बच सकता है।
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