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सियाचिन में देश की सुरक्षा संभालते हुए सेना के 28 जवान हर वर्ष हिमस्खलन में अपनी जान गंवा बैठते हैं। इस तरह के हादसों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने जवानों की शहादत पर कहा है कि हिमस्खलन की वजह से सियाचिन में हर साल इतनी संख्या में सैनिकों की जान जाने से चिंतित हैं।
सरकार की कोशिश इस संख्या को कम करने की है। सियाचिन में हिमस्खलन से शहीद होने वाले जवानों के मौत की संख्या बताते हुए परिकर ने कहा कि बीते 33 वर्षों में 915 जवान शहीद हुए हैं।
हाल कि घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में सियाचिन में जान गंवाने वाले सैनिकों की वार्षिक औषत संख्या 10 रही है। जबकि बीते 33 सालों की वार्षिक औसत संख्या 28 है।
वहीं अन्नाद्रमुक सांसद वी सत्यभामा के सवाल का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सियाचिन सरीखे कठिन हालातों में कार्य करने वाले सैनिकों की शहादत अनुग्रह राशि (कंपनसेशन) को बढ़ाने पर सरकार विचार कर रही है। हालांकि यह राशि कितनी होगी, इसका उन्होंने खुलासा नहीं किया।
मनोहर परिकर ने कहा कि सातवें वित्त आयोग की सिफारिशें अभी सामने हैं। रक्षा मंत्रालय उन सिफारिशों का अध्ययन कर रहा है। इसके अध्ययन के बाद ही शहीद सैनिकों को मिलने वाले अनुग्रह राशि के वृद्धि का एलान होगा। मगर उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि सैनिकों की शहादत खासतौर से सियाचिन सरीखे कठिन हालातों में कार्य करते हुए जान गंवाने वाले सैनिकों की अनुग्रह राशि में बढ़ोत्तरी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सियाचिन जैसे विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने वाले सैनिकों की व्यवस्था, उपकरण और उनके पहनावे में कोई कमी नहीं है। इनका विशेष ध्यान रखा गया है। दरअसल चंद दिनों पहले ही सियाचिन में हिमस्खलन की वजह से हनुमंथप्पा समेत कुल 10 सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
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सियाचिन में देश की सुरक्षा संभालते हुए सेना के 28 जवान हर वर्ष हिमस्खलन में अपनी जान गंवा बैठते हैं। इस तरह के हादसों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने जवानों की शहादत पर कहा है कि हिमस्खलन की वजह से सियाचिन में हर साल इतनी संख्या में सैनिकों की जान जाने से चिंतित हैं।
सरकार की कोशिश इस संख्या को कम करने की है। सियाचिन में हिमस्खलन से शहीद होने वाले जवानों के मौत की संख्या बताते हुए परिकर ने कहा कि बीते 33 वर्षों में 915 जवान शहीद हुए हैं।
हाल कि घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में सियाचिन में जान गंवाने वाले सैनिकों की वार्षिक औषत संख्या 10 रही है। जबकि बीते 33 सालों की वार्षिक औसत संख्या 28 है।
वहीं अन्नाद्रमुक सांसद वी सत्यभामा के सवाल का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सियाचिन सरीखे कठिन हालातों में कार्य करने वाले सैनिकों की शहादत अनुग्रह राशि (कंपनसेशन) को बढ़ाने पर सरकार विचार कर रही है। हालांकि यह राशि कितनी होगी, इसका उन्होंने खुलासा नहीं किया।
मनोहर परिकर ने कहा कि सातवें वित्त आयोग की सिफारिशें अभी सामने हैं। रक्षा मंत्रालय उन सिफारिशों का अध्ययन कर रहा है। इसके अध्ययन के बाद ही शहीद सैनिकों को मिलने वाले अनुग्रह राशि के वृद्धि का एलान होगा। मगर उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि सैनिकों की शहादत खासतौर से सियाचिन सरीखे कठिन हालातों में कार्य करते हुए जान गंवाने वाले सैनिकों की अनुग्रह राशि में बढ़ोत्तरी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सियाचिन जैसे विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने वाले सैनिकों की व्यवस्था, उपकरण और उनके पहनावे में कोई कमी नहीं है। इनका विशेष ध्यान रखा गया है। दरअसल चंद दिनों पहले ही सियाचिन में हिमस्खलन की वजह से हनुमंथप्पा समेत कुल 10 सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
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