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सरकार की ओर से बजट से पहले पेश की गई आर्थिक समीक्षा में महंगाई कम रहने की उम्मीद जताई गई है। आर्थिक सर्वे में कहा गया कि अगले वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर 4 से 4.5 फीसदी के दायरे में रहेगी और इससे ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।
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सरकार की ओर से बजट से पहले पेश की गई आर्थिक समीक्षा में महंगाई कम रहने की उम्मीद जताई गई है। आर्थिक सर्वे में कहा गया कि अगले वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर 4 से 4.5 फीसदी के दायरे में रहेगी और इससे ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।
ब्याज दरों में कटौती से कर्ज सस्ता हो जाएगा और इसका सीधा फायदा कार, होम और पर्सनल लोन लेने वालों को होगा क्योंकि उन्हें कम ईएमआई देनी होगी। सर्वे में महंगाई कम होने से ब्याज दरों में कटौती की संभावना भले ही जताई गई हो लेकिन इसका सारा दारोमदार भारतीय रिजर्व बैंक पर टिका है।
पिछले कुछ समय से महंगाई दर स्थिर होने के बावजूद रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती के मामले में खासी सतर्कता बरती है। रिजर्व बैंक को इस बात का डर है कि अगर ब्याज दरों में ज्यादा कमी की गई तो महंगाई का दौर फिर लौट सकता है। हालांकि ब्याज दर कम होने से ग्रोथ में इजाफा हो सकता है। वैसे इस वक्त खुदरा महंगाई दर 5.6 के आसपास मंडरा रही है।
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2016-17 के दौरान विकास दर 7 से 7.75 फीसदी तक रह सकती है। यह पिछले साल की अनुमानित दर 8.5 फीसदी से काफी कम है। यह देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की ओर से पेश दूसरी आर्थिक समीक्षा है। सर्वे में मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए अर्थव्यवस्था की काफी यथार्थवादी तस्वीर पेश की गई है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से संसद में आर्थिक समीक्षा पेश करने के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेस में सुब्रमण्यम ने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आ रही है। चीनी अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है। यही हाल ब्राजील और रूस की अर्थव्यवस्थाओं का है। ऊपर से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने तेल निर्यातक देशों की मांग घटा दी है। लिहाजा भारत भी वैश्विक अर्थव्यवस्था की इन परिस्थितियों से अछूता नहीं रह सकता।
सुब्रमण्यम ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार और आने वाले दिनों में तेल मूल्यों में होने वाली बढ़ोतरी भारतीय विकास दर की अहम चुनौतियां होंगी। ऐसी आशंका जताई जा रही है मध्य पूर्व की अस्थिर भू-राजनैतिक स्थिति की वजह से तेल सप्लाई में अड़चन आ सकती है। लिहाजा इस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में 30 से 35 डॉलर बैरल के हिसाब से बिक रहा कच्चा तेल महंगा हो सकता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से संसद में आर्थिक समीक्षा पेश करने के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेस में सुब्रमण्यम ने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आ रही है। चीनी अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है। यही हाल ब्राजील और रूस की अर्थव्यवस्थाओं का है। ऊपर से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने तेल निर्यातक देशों की मांग घटा दी है। लिहाजा भारत भी वैश्विक अर्थव्यवस्था की इन परिस्थितियों से अछूता नहीं रह सकता।
सुब्रमण्यम ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार और आने वाले दिनों में तेल मूल्यों में होने वाली बढ़ोतरी भारतीय विकास दर की अहम चुनौतियां होंगी। ऐसी आशंका जताई जा रही है मध्य पूर्व की अस्थिर भू-राजनैतिक स्थिति की वजह से तेल सप्लाई में अड़चन आ सकती है। लिहाजा इस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में 30 से 35 डॉलर बैरल के हिसाब से बिक रहा कच्चा तेल महंगा हो सकता है।
आर्थिक सर्वे में उम्मीद जताई गई है कि सरकार अगले कुछ वर्षों में आठ फीसदी की विकास दर हासिल करने के लिए आर्थिक� सुधारों को जोर-शोर से आगे बढ़ाएगी। इसमें जीएसटी लागू करने, विनिवेश कार्यक्रम को बढ़ावा देने, सब्सिडी के बेहतर इस्तेमाल और बैंकों का एनपीए खत्म करने से लेकर पुराने कारोबारी कानूनों को खत्म करने जैसे कदम शामिल हैं।
सर्वे में कहा गया है कि सरकार सही दिशा में आगे बढ़ रही है। अभी तक की यात्रा में इसने भ्रष्टाचार को खत्म करने में कामयाबी हासिल कर ली है। स्पेक्ट्रमों की नीलामी और विभिन्न सड़क परियोजनाओं के ठेके देने में सरकार का रुख इसके सबूत हैं।
देश में कारोबार सुगम करने के लिए उठाए गए कदमों ने भी विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। हालांकि भारत तब तक लगातार बेहतर विकास दर हासिल नहीं कर सकता जब तक कृषि विकास और ग्रामीण मांग न बढ़े।
सर्वे में कहा गया है कि सरकार सही दिशा में आगे बढ़ रही है। अभी तक की यात्रा में इसने भ्रष्टाचार को खत्म करने में कामयाबी हासिल कर ली है। स्पेक्ट्रमों की नीलामी और विभिन्न सड़क परियोजनाओं के ठेके देने में सरकार का रुख इसके सबूत हैं।
देश में कारोबार सुगम करने के लिए उठाए गए कदमों ने भी विदेशी निवेश को आकर्षित किया है। हालांकि भारत तब तक लगातार बेहतर विकास दर हासिल नहीं कर सकता जब तक कृषि विकास और ग्रामीण मांग न बढ़े।
इस आर्थिक सर्वे से लोगों को कई उम्मीदें पूरी हो सकती हैं। जिससे महंगाई कम होगी, कर्ज सस्ता होगा और ईएमआई घटेगी। इसके अलावा अर्थव्यवस्था की अनुमानित विकास दर 7 से 7.75 फीसदी रहने की भी उम्मीद है।
सर्वे के मुताबिक अनुमानित महंगाई दर 4 से 4.5 फीसदी रहने की संभावना हैं। हालांकि, देश की अर्थव्यवस्था के सामने कई नई चुनौतियां भी हैं जिनमें मुश्किल वैश्विक हालात, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गिरावट, तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका और कृषि विकास दर में धीमापन प्रमुख है।
अब सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि ऐसे हालात में उसे क्या करना चाहिए? उसके लिए कृषि विकास दर बढ़ाए, जीएसटी लागू करे, विनिवेश कार्यक्रम में रफ्तार लाए, सब्सिडी के बेहतर इस्तेमाल करे, बैंकों का एनपीए खत्म करे और पुराने कारोबारी कानून खत्म करे।
सर्वे के मुताबिक अनुमानित महंगाई दर 4 से 4.5 फीसदी रहने की संभावना हैं। हालांकि, देश की अर्थव्यवस्था के सामने कई नई चुनौतियां भी हैं जिनमें मुश्किल वैश्विक हालात, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गिरावट, तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका और कृषि विकास दर में धीमापन प्रमुख है।
अब सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि ऐसे हालात में उसे क्या करना चाहिए? उसके लिए कृषि विकास दर बढ़ाए, जीएसटी लागू करे, विनिवेश कार्यक्रम में रफ्तार लाए, सब्सिडी के बेहतर इस्तेमाल करे, बैंकों का एनपीए खत्म करे और पुराने कारोबारी कानून खत्म करे।
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